यूपी का ये गांव एशिया का सबसे पढ़ा-लिखा विलेज

न्यूज डेस्क: उत्तर प्रदेश के अलीगढ़ जिले में स्थित धोर्रा माफी गांव एशिया का सबसे पढ़ा-लिखा गांव माना जाता है। इस गांव का नाम लिम्का बुक ऑफ रिकॉर्ड्स में भी दर्ज है। यहां के लोग शिक्षा के प्रति अपनी गहरी निष्ठा और लगन के लिए प्रसिद्ध हैं। इस गांव की खासियत यह है कि यहां के 90 फीसदी लोग पढ़े-लिखे हैं, जो इसे पूरे एशिया में एक अद्वितीय स्थान प्रदान करती है।

शिक्षा का स्तर

धोर्रा माफी गांव की शिक्षा दर की शुरुआत साल 2002 में लिम्का बुक ऑफ रिकॉर्ड्स में दर्ज की गई थी, जब गांव में 75 प्रतिशत से अधिक साक्षरता दर रिकॉर्ड की गई थी। आज के समय में, यह आंकड़ा और भी बढ़कर करीब 90 प्रतिशत तक पहुँच चुका है। खास बात यह है कि यहां केवल पुरुषों ही नहीं, बल्कि महिलाएं भी शिक्षा के मामले में पीछे नहीं हैं। महिलाओं की शिक्षा दर भी पुरुषों के बराबर है, और यहां की महिलाएं भी कई उच्च पदों पर कार्यरत हैं।

गांव की सुविधाएं

धोर्रा माफी गांव में न केवल शिक्षा का स्तर उच्च है, बल्कि यहां की जीवनशैली भी अत्यधिक व्यवस्थित और सुविधाजनक है। गांव में अच्छी सड़कें, पक्के मकान, सार्वजनिक शौचालय, और इंग्लिश मीडियम स्कूल जैसी आवश्यक सुविधाओं का भरपूर ध्यान रखा गया है। इन सुविधाओं के कारण यहां के लोग एक आरामदायक जीवन जीते हैं और यह गांव अपने आसपास के इलाकों से काफी अलग नजर आता है।

रोजगार और सरकारी नौकरी

गांव के लोग खेती की बजाय सरकारी नौकरी को प्राथमिकता देते हैं। यहां के युवाओं का सबसे बड़ा सपना सरकारी नौकरी पाना है, चाहे वह आईएएस, आईपीएस, डॉक्टर, इंजीनियर या किसी अन्य बड़े पद पर कार्यरत हों। इस गांव के लोग सरकारी नौकरियों के लिए कड़ी मेहनत करते हैं और सफल होते हैं। गांव के करीब 80 प्रतिशत लोग देशभर में विभिन्न प्रतिष्ठित पदों पर कार्यरत हैं। कई युवा आईएएस, आईपीएस, डॉक्टर, इंजीनियर, साइंटिस्ट, प्रोफेसर और अन्य उच्च पदों पर कार्यरत हैं।

गांव की अंतर्राष्ट्रीय पहचान

धोर्रा माफी गांव की एक और बड़ी पहचान यह है कि यहां के कई युवा विदेशों में भी काम कर रहे हैं। गांव के कुछ लोग मल्टीनेशनल कंपनियों में उच्च पदों पर काम कर रहे हैं, और यह गांव देश के भीतर और बाहर दोनों जगह अपनी शिक्षा और सफलता के लिए सराहा जाता है।

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