यूपी में बिजली निजीकरण के लिए 5 नई कंपनियां

लखनऊ: उत्तर प्रदेश पावर कॉरपोरेशन (UPPCL) के प्रबंधन ने राज्य के विद्युत वितरण क्षेत्र में बड़ा कदम उठाते हुए पूर्वांचल और दक्षिणांचल विद्युत वितरण निगमों को तोड़कर 5 नई कंपनियां बनाने पर सहमति जताई है। यह निर्णय उपभोक्ताओं को बेहतर सेवा प्रदान करने और वितरण नेटवर्क के संचालन को अधिक कुशल बनाने के उद्देश्य से लिया गया है। 

खबर के अनुसार प्रदेश के पूर्वांचल और दक्षिणांचल विद्युत वितरण निगमों को अलग-अलग भागों में विभाजित कर पांच नई कंपनियां बनेगी। पूर्वांचल में तीन कंपनियां बनाई जाएंगी, जबकि दक्षिणांचल में दो कंपनियां बनाई जाएंगी। इन कंपनियों का गठन उपभोक्ताओं के बढ़ते दबाव, विद्युत आपूर्ति की गुणवत्ता में सुधार और प्रशासनिक दक्षता बढ़ाने के लिए किया गया है। प्रत्येक कंपनी को 30-35 लाख उपभोक्ताओं की जिम्मेदारी दी जाएगी।

यह कदम बिजली वितरण की दक्षता को बढ़ाने और उपभोक्ताओं को बेहतर सेवाएं प्रदान करने के उद्देश्य से उठाया गया है। बड़ी वितरण कंपनियों की तुलना में छोटे निगम बेहतर तरीके से समस्याओं का समाधान कर सकते हैं और क्षेत्रीय आधार पर सुविधाओं की पहुंच को सुनिश्चित कर सकते हैं। इससे उपभोक्ताओं को बिजली आपूर्ति में सुधार और लोड शेडिंग जैसी समस्याओं से राहत मिल सकती है।

पांच कंपनियों के गठन से कई फायदे हो सकते हैं:

प्रशासनिक सुधार: छोटे निगमों के संचालन में सरलता और दक्षता आएगी, जिससे अधिकारियों को क्षेत्रीय समस्याओं का समाधान करने में मदद मिलेगी।

बेहतर उपभोक्ता सेवा: क्षेत्रीय आधार पर काम करने वाली कंपनियां उपभोक्ताओं की समस्याओं को शीघ्र हल कर सकती हैं, जिससे बिजली आपूर्ति में सुधार होगा।

निवेश और बुनियादी ढांचे में सुधार: नए निगमों को अपनी क्षमता बढ़ाने के लिए निवेश मिलेगा, जिससे वितरण नेटवर्क का विस्तार और उन्नति होगी।

जवाबदेही में वृद्धि: छोटे निगमों के द्वारा सेवा वितरण के कार्यों में जवाबदेही बढ़ेगी और उपभोक्ताओं के लिए पारदर्शिता भी बढ़ेगी।

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