खबर के अनुसार उप्र राज्य विद्युत परिषद अभियंता संघ ने गुरुवार को इस मुद्दे पर बैठक की और घोषणा की कि वाराणसी और आगरा में विद्युत वितरण निगमों के निजीकरण के खिलाफ विरोध प्रदर्शन किया जाएगा। हालांकि संघ ने यह भी माना कि घाटे के कारण सुधार की जरूरत है, लेकिन निजीकरण की प्रक्रिया को वे स्वीकार नहीं करेंगे।
बता दें की आगरा और वाराणसी विद्युत वितरण निगमों में क्रमशः 10,411 और 17,189 कर्मचारी कार्यरत हैं। इन निगमों के निजीकरण के बाद इन कर्मचारियों के लिए संभावनाएं कम हो सकती हैं, और इसके साथ ही 1523 सहायक अभियंता के पद समाप्त हो जाएंगे। यह पूरी स्थिति कर्मचारियों के लिए एक गंभीर चिंता का कारण बन गई है, और वे इसके खिलाफ सड़कों पर उतरने की तैयारी कर रहे हैं।
दरअसल उप्र राज्य विद्युत परिषद अभियंता संघ की केन्द्रीय कार्यकारिणी ने पावर कॉर्पोरेशन प्रबंधन पर आरोप लगाया है कि वह घाटे के नाम पर गलत आंकड़े प्रस्तुत कर कर्मचारियों को गुमराह कर रहा है। संघ के महासचिव जितेंद्र सिंह ने कहा कि 5 अप्रैल 2018 और 6 अक्टूबर 2020 को ऊर्जा मंत्री और वित्त मंत्री सुरेश खन्ना के साथ हुए लिखित समझौते के तहत यह सुनिश्चित किया गया था कि उप्र के विद्युत वितरण निगमों में सुधार के लिए कर्मचारियों और अभियंताओं को विश्वास में लेकर सार्थक कदम उठाए जाएंगे।
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