यूपी में भूलकर भी न खरीदें ये 7 तरह की 'जमीन':
गवर्नमेंट या सरकारी ज़मीन: यूपी में सरकारी ज़मीन, जैसे कि स्कूलों, अस्पतालों या अन्य सार्वजनिक उपयोग के लिए नियत ज़मीन, को व्यक्तिगत उपयोग के लिए खरीदा या बेचा नहीं जा सकता। इसे सरकारी प्राधिकरण से अनुमति प्राप्त किए बिना खरीदा नहीं जा सकता।
नदी, तालाब, या जल स्रोत की ज़मीन: यूपी में जल स्रोतों के पास की ज़मीन पर मालिकाना हक नहीं हो सकता, क्योंकि यह आमतौर पर सार्वजनिक संपत्ति होती है और इसे किसी के निजी उपयोग के लिए हस्तांतरित नहीं किया जा सकता।
मालिकाना हक न हो या विवादित ज़मीन: यदि ज़मीन पर पहले से ही कोई कानूनी विवाद चल रहा हो, तो उसे खरीदने से बचें। यह ज़मीन कोर्ट के आदेशों के तहत हो सकती है, और इसकी खरीददारी में भविष्य में समस्याएं उत्पन्न हो सकती हैं।
भूमि जो अवैध रूप से अधिग्रहित हो: यूपी में मौजूद ऐसी ज़मीनें जो बिना उचित दस्तावेज या प्रक्रिया के खरीदी गई हों, वो खरीदना जोखिम भरा हो सकता है। आपको यह सुनिश्चित करना चाहिए कि ज़मीन के सभी दस्तावेज़ और कानूनी कागजात सही और वैध हैं।
राजस्व रिकॉर्ड में अनिश्चित ज़मीन: यदि ज़मीन का राजस्व रिकॉर्ड साफ नहीं है या उसमें कोई गड़बड़ी है, तो आपको उस ज़मीन को खरीदने से बचना चाहिए। कभी-कभी गलत या अपूर्ण राजस्व रिकॉर्ड ज़मीन के मालिकाना हक को अस्पष्ट कर सकते हैं। इससे आपको परेशानी हो सकती हैं।
गिरवी रखी हुई जमीन(बैंक लोन): यदि किसी जमीन को गिरवी रख कर लोन लिया गया हैं और लोन की क़िस्त पूरी नहीं हुई हैं तो इसतरह की जमीन को खरीदने से बचना चाहिए।
गोचर भूमि: गोचर भूमि (Gauchar Land) वह भूमि होती है जो विशेष रूप से पशुओं, जैसे गायों, बैल, बकरियों आदि के लिए चराई (गायबस्ती) के रूप में निर्धारित की जाती है। इसे खरीद-बिक्री करना अवैध माना जाता हैं।
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