खबर के अनुसार उत्तर प्रदेश रिटायरमेंट बेनीफिट रूल्स-1961 के अनुसार, यदि कोई सरकारी कर्मचारी सेवा के दौरान या सेवानिवृत्ति के बाद ग्रेज्युटी प्राप्त किए बिना निधन हो जाता है और उसके पीछे कोई परिवार या नामांकित व्यक्ति नहीं होता, तो उसकी ग्रेज्युटी की राशि सरकारी खजाने में चली जाती थी।
लेकिन योगी कैबिनेट ने मौजूदा कानून में संशोधन करते हुए यह स्पष्ट किया है कि यदि किसी कर्मचारी की मृत्यु सेवा के दौरान या सेवानिवृत्ति के बाद ग्रेज्युटी की धनराशि प्राप्त किए बिना हो जाती है, और उसने अपने पीछे कोई परिवार नहीं छोड़ा है, तो उसकी ग्रेज्युटी की राशि का भुगतान उस व्यक्ति को किया जा सकेगा, जिसके पक्ष में न्यायालय द्वारा उत्तराधिकारी प्रमाणपत्र जारी किया गया हो।
दरअसल सरकार के इस फैसले से उन मामलों में मदद मिलेगी जहां कर्मचारी के पास कोई नामांकित व्यक्ति नहीं है, और यह सुनिश्चित करेगा कि ग्रेज्युटी का लाभ सही व्यक्ति को मिले। यह कदम सरकारी कर्मचारियों और उनके परिवारों के लिए एक सकारात्मक और सहायक पहल माना जा रहा है।
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