जिला संक्रामक रोग नियंत्रण पदाधिकारी, डॉ. सीके दास ने बताया कि जांच में यह तथ्य सामने आ रहा है कि कम उम्र के बच्चे ड्रग्स लेने के आदी हो रहे हैं, और वे ड्रग्स लेने के लिए सूई का इस्तेमाल कर रहे हैं। एक ही सूई से ड्रग्स लेने से यह बीमारी फैल रही है।
एचआईवी नियंत्रण के जिला समन्वयक, जेपी सिंह का कहना है कि इन बच्चों में कई अच्छे घरों के हैं, और असुरक्षित यौन संबंध भी इस बीमारी का कारण बन रहे हैं। पिछले दो वर्षों में किशोरों में एचआईवी संक्रमण की संख्या में तेजी से वृद्धि हो रही है। जिले में इस समय लगभग 30 किशोरों का इलाज एआरटी सेंटर में चल रहा है, जबकि पिछले वर्ष यह संख्या 25 थी।
डॉ. सीके दास ने यह भी बताया कि एआरटी सेंटर में मरीजों की काउंसलिंग भी की जा रही है, जिससे उन्हें इलाज में फायदा हो रहा है। हालांकि, जागरूकता को सबसे बड़ा बचाव और इलाज माना जा रहा है। कई मरीज, जो एचआईवी से जूझ रहे हैं, वे अब लोगों को जागरूक कर रहे हैं। किशोरों में एचआईवी के मामलों में वृद्धि चिंता का विषय बन गई है, और इस पर नियंत्रण पाने के लिए जागरूकता और शिक्षा महत्वपूर्ण कदम हैं।
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