एक्सप्रेसवे का मार्ग
वाराणसी से लेकर कोलकाता तक बनने वाला यह एक्सप्रेसवे बिहार के गया, औरंगाबाद, रोहतास और कैमूर जिलों से होकर गुजरेगा। उत्तर प्रदेश के चंदौली जिले से प्रवेश करने वाला यह एक्सप्रेसवे, बिहार में गया के इमामगंज से झारखंड की ओर निकल जाएगा। इसके निर्माण से इन जिलों की कनेक्टिविटी में बड़ा सुधार होगा और क्षेत्रीय विकास को बढ़ावा मिलेगा।
निर्माण लागत और समयसीमा
इस एक्सप्रेसवे के निर्माण में कुल लागत 35,000 करोड़ रुपये अनुमानित है। यह परियोजना न केवल स्थानीय यात्रा के समय को कम करने में मदद करेगी, बल्कि बिहार और पश्चिम बंगाल को एक बेहतर कनेक्टिविटी प्रदान करेगी, जिससे व्यापार, पर्यटन और उद्योग को भी लाभ होगा।
प्रमुख चुनौतियाँ और तकनीकी पहल
इस एक्सप्रेसवे का सबसे चुनौतीपूर्ण हिस्सा कैमूर पहाड़ियों में बनेगा, जहां 5 किलोमीटर लंबी सुरंग का निर्माण किया जाएगा। इस सुरंग का निर्माण तकनीकी दृष्टि से काफी जटिल होगा, क्योंकि इसमें पहाड़ी क्षेत्र की जटिलताओं को ध्यान में रखना पड़ेगा। इसके अलावा, सासाराम के तिलौथू में सोन नदी पर एक नया पुल बनाने की योजना है, जो एक्सप्रेसवे को औरंगाबाद और अन्य क्षेत्रीय शहरों से जोड़ने का काम करेगा।
इससे क्षेत्रीय विकास और आर्थिक प्रभाव
इस एक्सप्रेसवे का निर्माण बिहार में विशेष रूप से गया, औरंगाबाद, रोहतास और कैमूर जिलों के विकास के लिए बहुत महत्वपूर्ण साबित होगा। इससे इन क्षेत्रों में औद्योगिक विकास, रोजगार के अवसर और आर्थिक गतिविधियों में वृद्धि होने की उम्मीद है। साथ ही, यह एक्सप्रेसवे राष्ट्रीय राजधानी दिल्ली, पश्चिम बंगाल और अन्य राज्यों के साथ बेहतर कनेक्टिविटी का जरिया बनेगा, जिससे व्यापार और परिवहन को बहुत लाभ होगा।
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