वायुसेना में होते हैं ये रैंक, जानें किसे कितनी शक्ति

नई दिल्ली: भारतीय वायुसेना में विभिन्न रैंक होती हैं, जो अधिकारियों और कर्मियों की जिम्मेदारियों और अनुभव के आधार पर निर्धारित की जाती हैं। इन रैंकों का उद्देश्य वायुसेना की संरचना को व्यवस्थित रखना और प्रत्येक अधिकारी या कर्मचारी की जिम्मेदारी को स्पष्ट रूप से परिभाषित करना होता है। 

भारतीय वायुसेना में कुल मिलाकर तीन मुख्य श्रेणियां होती हैं: कमीशन्ड ऑफिसर्स (Commissioned Officers), जूनियर कमीशन्ड ऑफिसर्स (Junior Commissioned Officers), और नॉन-कमीशन्ड ऑफिसर्स (Non-Commissioned Officers)।

1. मार्शल ऑफ द एयरफोर्स (Marshal of the Air Force)

रैंक: यह भारतीय वायुसेना की सबसे उच्चतम रैंक है।

विशेषता: यह पद युद्ध के दौरान सम्मान के रूप में दिया जाता है और यह एक फाइव-स्टार रैंक है।

इतिहास: भारतीय वायुसेना में केवल एक व्यक्ति को यह रैंक मिली है, वह हैं अर्जन सिंह, जो भारतीय वायुसेना के पहले और एकमात्र मार्शल ऑफ द एयरफोर्स रहे हैं।

2. एयर चीफ मार्शल (Air Chief Marshal)

यह वायुसेना की दूसरी सबसे बड़ी रैंक है और फोर-स्टार रैंक होती है। केवल एयर चीफ मार्शल ही चीफ ऑफ द एयर स्टाफ (CAS) की पोजिशन लेते हैं। यह भारतीय वायुसेना के प्रोफेशनल हेड और कमांडर होते हैं।

3. एयर मार्शल (Air Marshal)

यह तीसरी उच्चतम रैंक है और इसमें वरिष्ठ अधिकारी होते हैं। यह एक सीनियर रैंक है, जो वायुसेना के विभिन्न महत्वपूर्ण कार्यों का प्रबंधन करती है।

4. एयर वाइस मार्शल (Air Vice Marshal)

यह टू-स्टार रैंक होती है। एयर वाइस मार्शल वायुसेना में उच्च पदस्थ अधिकारियों में से एक होते हैं और विभिन्न प्रशासनिक और ऑपरेशनल कार्यों की जिम्मेदारी निभाते हैं।

5. एयर कॉमडोर (Air Commodore)

यह सिंगल-स्टार रैंक होती है और स्टार कैटेगरी में सबसे जूनियर रैंक मानी जाती है। एयर कॉमडोर वायुसेना के विभिन्न विभागों या स्क्वाड्रन का नेतृत्व करते हैं और सीनियर अधिकारियों के साथ काम करते हैं।

6. ग्रुप कैप्टन (Group Captain)

यह एक सीनियर कमीशन्ड रैंक है, जो कर्नल के बराबर मानी जाती है। यह रैंक वायुसेना में वरिष्ठ अधिकारियों के बीच होती है और ग्रुप कैप्टन बड़ी इकाइयों का नेतृत्व करते हैं।

7 .विंग कमांडर (Wing Commander)

यह ग्रुप कैप्टन के बाद आने वाली रैंक है। यह भी एक सीनियर कमीशन्ड रैंक है, जो वायुसेना के विभिन्न ऑपरेशनों और स्क्वाड्रनों की जिम्मेदारी निभाती है।

8. स्क्वॉड्रन लीडर (Squadron Leader)

यह विंग कमांडर के बाद की रैंक है। स्क्वॉड्रन लीडर छोटे समूहों या स्क्वाड्रन का नेतृत्व करता है और वायुसेना की रणनीतियों के क्रियान्वयन में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है।

9. फ्लाइट लेफ्टिनेंट (Flight Lieutenant)

यह कमीशन्ड एयर ऑफिसर की रैंक होती है और स्क्वॉड्रन लीडर के बाद आती है। फ्लाइट लेफ्टिनेंट वरिष्ठ अधिकारियों के मार्गदर्शन में कार्य करते हैं और उन्हें उड़ान संचालन और अन्य एयर ऑपरेशनों में समर्थन देना होता है।

10. फ्लाइंग ऑफिसर (Flying Officer)

यह भी एक कमीशन्ड रैंक है। इसे विमान उड़ाने वाले अधिकारी, ग्राउंड ड्यूटी अधिकारी और एयर क्रू ऑफिसर्स होल्ड कर सकते हैं।

जूनियर कमीशन्ड ऑफिसर्स (Junior Commissioned Officers)

11. मास्टर वारंट ऑफिसर (Master Warrant Officer)

यह जूनियर कमीशन्ड ऑफिसर्स में सबसे उच्चतम रैंक मानी जाती है। मास्टर वारंट ऑफिसर टेक्निकल या प्रशासनिक कार्यों के उच्च स्तर पर होते हैं और वे वायुसेना के संचालन में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं।

12. वारंट ऑफिसर (Warrant Officer)

यह जूनियर कमीशन्ड ऑफिसर्स में दूसरी सबसे बड़ी रैंक है। वारंट ऑफिसर तकनीकी और अन्य महत्वपूर्ण कार्यों में वायुसेना के लिए योगदान देते हैं।

13. जूनियर वारंट ऑफिसर (Junior Warrant Officer)

यह एक जूनियर कमीशन्ड ऑफिसर रैंक है, और आमतौर पर यह पद तकनीकी कार्यों के विशेषज्ञों को सौंपा जाता है।

नॉन कमीशन्ड ऑफिसर्स (Non-Commissioned Officers)

14. सार्जेंट (Sergeant)

यह जूनियर वारंट ऑफिसर के बाद की रैंक होती है। सार्जेंटों का कार्य वायुसेना के तकनीकी और संचालन कार्यों का प्रबंधन करना होता है।

15. कॉर्पोरल (Corporal)

यह एक मिलिट्री रैंक है, जो सैनिकों के समूह का नेतृत्व करने के लिए जिम्मेदार होती है। कॉर्पोरल मुख्य रूप से छोटे समूहों का नेतृत्व करते हैं और वायुसेना के संचालन में योगदान देते हैं।

16. लीडिंग एयरक्राफ्टमैन (Leading Aircraftman)

यह एक टाइटल है, जो विशेष रूप से तकनीकी रूप से प्रशिक्षित कर्मियों को दिया जाता है। ये कर्मी वायुसेना के विमान और अन्य तकनीकी उपकरणों की देखभाल और संचालन में लगे रहते हैं।

17. एयरक्राफ्ट मैन (Aircraftman)

यह भारतीय वायुसेना की सबसे निचली रैंक मानी जाती है। एयरक्राफ्ट मैन वायुसेना के विमान, उपकरणों और अन्य संसाधनों की देखरेख और तकनीकी कार्यों में शामिल होते हैं।

0 comments:

Post a Comment