चीन और अमेरिका की वर्तमान आर्थिक स्थिति
चीन की आर्थिक मंदी: कोरोना महामारी के बाद चीन की अर्थव्यवस्था में गंभीर मंदी आई है। पहले की तेज़ी से बढ़ रही जीडीपी अब संघर्ष कर रही है। एक्सपोर्ट में गिरावट, रियल एस्टेट संकट, और बेरोजगारी में वृद्धि जैसी समस्याएँ बढ़ गई हैं।
रियल एस्टेट और बेरोजगारी: चीन का रियल एस्टेट सेक्टर गहरे संकट में है, जो अर्थव्यवस्था के लिए बड़ा धक्का है। इसके साथ ही चीन में तेजी से बेरोजगारी भी बढ़ी है, जिससे घरेलू खपत और उपभोक्ता विश्वास पर नकारात्मक असर पड़ा है।
चीन की विकास दर में कमी: ब्लूमबर्ग के अनुसार, चीन की जीडीपी ग्रोथ 2030 तक 3.5% रह सकती है, जो पहले 4.3% का अनुमान था। 2050 तक यह और भी घटकर 1% के आस-पास हो सकती है। इससे पता चलता है कि चीन की आर्थिक स्थिति में स्थिरता की कमी हो सकती है।
भारत की संभावना: चीन की समस्याओं के बीच, भारत को अब दुनिया का "आर्थिक इंजन" बनने की संभावना है। भारत की तेज़ी से बढ़ती अर्थव्यवस्था और वैश्विक निवेशक अब भारत की ओर देख रहे हैं, जो चीन के मुकाबले बेहतर स्थिति में हो सकता है।
अमेरिका की सुधारित स्थिति: अमेरिका की अर्थव्यवस्था बेहतर स्थिति में है। श्रम बाजार मजबूत है, कंज्यूमर खर्च बढ़ रहा है, और महंगाई में गिरावट आई है। इससे अमेरिकी अर्थव्यवस्था में आत्मविश्वास बढ़ा है। ट्रंप की सत्ता में वापसी चीन के लिए मुसीबत पैदा कर सकती हैं।
आर्थिक वृद्धि की गति: पिछले कुछ दशकों में चीन की आर्थिक वृद्धि दर बहुत तेज रही है। हालांकि, हाल के वर्षों में इसकी वृद्धि दर में मंदी आई है, लेकिन फिर भी चीन की जीडीपी अब भी तेजी से बढ़ रही है, जबकि अमेरिका की वृद्धि दर अपेक्षाकृत कम रही है।
अमेरिका और चीन के रिश्तों में तनाव: चीन और अमेरिका के बीच व्यापार और राजनीतिक तनाव लगातार बढ़ रहा है, जिससे चीन पर अतिरिक्त दबाव बन रहा है। पश्चिमी देशों और विदेशी कंपनियों का विश्वास भी चीन से घट रहा है।
चीन का जनसंख्या संकट: पिछले साल चीन की जनसंख्या में गिरावट आई, जो 1960 के दशक के बाद पहली बार हुआ है। यह चीन की लंबी अवधि की विकास संभावनाओं के लिए एक चुनौती बन सकता है, क्योंकि एक घटती जनसंख्या और वृद्ध होती आबादी का अर्थव्यवस्था पर नकारात्मक असर हो सकता है।
नवीन तकनीकों में निवेश: चीन ने तकनीकी क्षेत्र, जैसे कि आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस, 5G, और इलेक्ट्रिक व्हीकल्स में भारी निवेश किया है। इसका उद्देश्य भविष्य में उच्च तकनीकी विकास के माध्यम से अपनी अर्थव्यवस्था को प्रौद्योगिकी केंद्रित बनाना है। इससे वो अमेरिका की जीडीपी को टक्कर दे सकता हैं।
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