ड्राइविंग टेस्ट के नए नियम
बिहार में ड्राइविंग लाइसेंस पाने के लिए अब सिर्फ थ्योरी टेस्ट और आँखों की जांच ही नहीं होगी, बल्कि उम्मीदवारों को एक ट्रैक पर जाकर प्रैक्टिकल टेस्ट देना होगा। इस टेस्ट में वाहन चलाने की वास्तविक क्षमता को परखा जाएगा, जिससे यह सुनिश्चित हो सके कि उम्मीदवार सड़क पर सुरक्षित तरीके से वाहन चला सकता है।
36 जिलों में बनेंगे टेस्टिंग ट्रैक
राज्य सरकार ने कुल 36 जिलों में ड्राइविंग लाइसेंस के लिए टेस्टिंग ट्रैक बनाने की योजना बनाई है। इनमें से 26 जिलों में टेस्टिंग ट्रैक लगभग बनकर तैयार है, जबकि बाकी 10 जिलों में यह ट्रैक बनने का काम जारी है। इस ट्रैक पर उम्मीदवारों को विभिन्न स्थितियों में वाहन चलाकर दिखाना होगा, जैसे कि पार्किंग, ओवरटेकिंग, सिग्नल के दौरान रुकना, और ट्रैफिक नियमों का पालन करना।
क्यों जरूरी है यह बदलाव?
यह कदम राज्य में सड़क सुरक्षा को बढ़ावा देने के लिए उठाया गया है। पिछले कुछ सालों में सड़क दुर्घटनाओं में वृद्धि देखी गई है, और इसका मुख्य कारण चालक की अपर्याप्त ड्राइविंग क्षमता और नियमों का पालन न करना है। टेस्टिंग ट्रैक पर ड्राइविंग टेस्ट से यह सुनिश्चित किया जा सकेगा कि ड्राइविंग लाइसेंस प्राप्त करने वाले लोग सड़कों पर जिम्मेदारी से वाहन चलाने में सक्षम हैं।
इसके अलावा, यह बदलाव उन लोगों के लिए भी है जो केवल कागजी दस्तावेज़ पर ही लाइसेंस प्राप्त करते थे, बिना किसी वास्तविक परीक्षण के। अब उन्हें यह सिद्ध करना होगा कि वे वास्तव में गाड़ी चलाने के योग्य हैं।
ट्रैक पर टेस्ट देने की प्रक्रिया
ड्राइविंग टेस्ट के लिए उम्मीदवारों को पहले रजिस्ट्रेशन कराना होगा। इसके बाद, उन्हें टेस्टिंग ट्रैक पर अपने वाहन के साथ एक निर्धारित समय पर उपस्थित होना होगा। ट्रैक पर विभिन्न प्रकार की सिचुएशंस दी जाएंगी, जैसे कि पार्किंग की कठिनाइयां, ट्रैफिक नियमों का पालन, तेज़ी से रुकना, और सुरक्षा मानकों का पालन। इन सबका आकलन एक प्रशिक्षित अधिकारी द्वारा किया जाएगा।
यदि उम्मीदवार सफल होता है तो उसे ड्राइविंग लाइसेंस जारी किया जाएगा, जबकि अगर वह टेस्ट में असफल होता है, तो उसे कुछ समय बाद पुनः टेस्ट देने का अवसर मिलेगा।
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