यह आदेश अतिथि शिक्षक राजेश कुमार सिंह और अन्य द्वारा दायर की गई याचिका पर सुनवाई के बाद आया। याचिकाकर्ताओं ने अदालत में आरोप लगाया था कि उन्हें सेवा समाप्ति से पहले अपनी बात रखने का मौका नहीं दिया गया था, जो कि संविधान के तहत उनकी मौलिक अधिकारों का उल्लंघन है।
कोर्ट ने यह भी कहा कि राज्यपाल के अनुमोदन से जारी अधिसूचना को किसी कार्यकारी आदेश के माध्यम से समाप्त नहीं किया जा सकता। राज्य सरकार ने 30 मार्च 2024 को माध्यमिक शिक्षा निदेशक द्वारा एक पत्र जारी किया था, जिसके तहत अतिथि शिक्षकों की सेवा समाप्ति का आदेश दिया गया था। कोर्ट ने इसे रद्द कर दिया और संबंधित अधिकारियों को निर्देश दिया कि वे प्रभावित अतिथि शिक्षकों का पक्ष सुनने के लिए उन्हें उचित अवसर प्रदान करें।
इसके अलावा, कोर्ट ने निर्देश दिए कि संबंधित अधिकारी तत्काल प्रभाव से अपनी कार्यवाही में सुधार करें और सभी प्रभावित अतिथि शिक्षकों को सुनवाई का अवसर प्रदान करें, ताकि तर्कसंगत और कानूनी आदेश जारी किया जा सके। इस फैसले से राज्य के हजारों अतिथि शिक्षकों को उम्मीद की एक नई किरण मिली है, और अब वे अपने मामलों को उचित तरीके से प्रस्तुत कर सकेंगे।
यह निर्णय बिहार सरकार के लिए एक सख्त संदेश है कि सरकारी आदेशों में पारदर्शिता और कानूनी प्रक्रिया का पालन आवश्यक है। अदालत ने यह भी स्पष्ट किया कि भविष्य में कोई भी सेवा समाप्ति का आदेश तब तक प्रभावी नहीं होगा जब तक संबंधित कर्मचारियों को उचित सुनवाई का अवसर न दिया जाए।
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