बता दें की यह कदम सरकारी कार्यों में सुधार लाने और जनहित में काम करने की दिशा में उठाया गया है, ताकि भूमि अधिग्रहण की प्रक्रिया में कोई गड़बड़ी या हानि न हो। पत्र में भू अर्जन निदेशक ने स्पष्ट रूप से कहा है कि सामाजिक प्रभाव का आकलन समय सीमा के भीतर नहीं किया जा रहा है, जो भूमि अधिग्रहण की प्रक्रिया का एक महत्वपूर्ण हिस्सा है।
इसका उद्देश्य यह सुनिश्चित करना है कि भूमि अधिग्रहण से प्रभावित होने वाले लोगों पर सकारात्मक या नकारात्मक असर पड़े तो उसका सही मूल्यांकन किया जा सके। वर्तमान में, जन सुनवाई की प्रक्रिया में ज्यादा ध्यान नहीं दिया जा रहा है, जिससे संबंधित अधिकारी उसकी सुनवाई में अनुपस्थित रहते हैं। इसकी शिकायत भू अर्जन निदेशक के पास भी आई है।
यह समस्या मुख्य रूप से तब उत्पन्न होती है जब अधिकृत अधिकारी जैसे जिला भू अर्जन पदाधिकारी किसी कारणवश अनुपस्थित रहते हैं। पत्र में यह भी कहा गया है कि यदि जिला भू अर्जन पदाधिकारी अनुपस्थित होते हैं, तो अन्य सक्षम अधिकारी को इस कार्य के लिए अधिकृत किया जा सकता है। इन अधिकारियों को जिलाधिकारी की तरफ से नियुक्त किया जा सकता है, ताकि प्रक्रिया की सुचारू रूप से निगरानी की जा सके।
भू अर्जन निदेशक ने सभी जिला अधिकारियों को इस आदेश के पालन में तत्परता बरतने की अपील की है, ताकि भूमि अधिग्रहण की प्रक्रिया पारदर्शी और न्यायपूर्ण हो सके। इससे न सिर्फ प्रभावित लोगों के हक का सही तरीके से संरक्षण होगा, बल्कि भूमि अधिग्रहण के दौरान होने वाली समस्याओं का समाधान भी सुनिश्चित हो सकेगा।
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