1. आर्यभट्ट: आर्यभट्ट 5वीं सदी के महान गणितज्ञ, खगोलशास्त्री और भौतिक विज्ञानी थे। उनके योगदान को आज भी हम मान्यता देते हैं।
शून्य की खोज: आर्यभट्ट ने सबसे पहले बताया की शून्य केवल अंक नहीं, बल्कि एक प्रतीक और अवधारणा के रूप में प्रस्तुत किया। शून्य की खोज ने गणित को एक नई दिशा दी, जिसके परिणामस्वरूप नकारात्मक अंकों और अन्य नए आयामों की पहचान हुई।
पृथ्वी की गोलाई और उसका परिक्रमण: उन्होंने यह सिद्धांत प्रस्तुत किया कि पृथ्वी गोल है और अपनी धुरी पर घूमती है, जो उस समय के पारंपरिक विश्वास के खिलाफ था।
चंद्रमा और सूर्य ग्रहण: आर्यभट्ट ने सूर्य और चंद्र ग्रहण की वैज्ञानिक व्याख्या दी थी, जिससे खगोलशास्त्र में प्रगति हुई।
2. महावीराचार्य: महावीराचार्य, एक महान गणितज्ञ थे, जिन्होंने 8वीं सदी में कई गणितीय अवधारणाओं का वर्णन किया।
बीजगणित और द्विघात समीकरण: महावीराचार्य ने द्विघात समीकरणों को हल करने का तरीका बताया था और बीजगणित, लघुगणक, घातांकों, और श्रृंखलाओं पर भी काम किया था।
नकारात्मक अंकों का वर्गमूल: उन्होंने यह बताया कि नकारात्मक अंकों का कोई वास्तविक वर्गमूल नहीं होता है, जो गणित के विकास में एक महत्वपूर्ण योगदान था।
एलसीएम (लीस्ट कॉमन मल्टिपल): उन्होंने एलसीएम निकालने का तरीका बताया था, जो बाद में पश्चिमी गणितज्ञों द्वारा पुनः खोजा गया।
3. वराहमिहिर: वराहमिहिर, 6वीं सदी के प्रसिद्ध भारतीय विद्वान थे, जिन्होंने खगोलशास्त्र, गणित और जलविज्ञान में महत्वपूर्ण योगदान दिया।
गुरुत्वाकर्षण का सिद्धांत: वराहमिहिर ने सबसे पहले यह दावा किया था कि पृथ्वी पर एक "बल" होता है, जो वस्तुओं को आपस में बांधकर रखता है। यह दावा आज गुरुत्वाकर्षण के रूप में जाना जाता है।
पानी की उपस्थिति का अनुमान: उन्होंने दीमकों और पौधों की भूमिगत जल की उपस्थिति का संकेतक होने की संभावना की भविष्यवाणी की थी।
मंगल ग्रह पर पानी: इन्होंने मंगल ग्रह पर पानी की उपस्थिति की भविष्यवाणी की थी, जो बाद में वैज्ञानिक शोध में सत्य साबित हुआ।
4. चरक: चरक को प्राचीन भारतीय चिकित्सा विज्ञान का पिता माना जाता है। उन्होंने चिकित्सा और आयुर्वेद के सिद्धांतों पर गहरी छानबीन की और उनका विस्तार किया।
चरक संहिता: चरक की रचना "चरक संहिता" में रोगों के कारणों, उनके उपचार, और शरीर के पाचन, चयापचय और प्रतिरक्षा तंत्र के बारे में विस्तृत जानकारी दी गई।
आनुवंशिकी का ज्ञान: चरक को आनुवंशिकी की मूल बातें पता थीं, जो उस समय के लिए अत्यंत उन्नत समझी जाती थीं।
5. महर्षि पतंजलि: पतंजलि को योग का पिता माना जाता है। उन्होंने योग के 195 सूत्रों का संकलन किया और इसे व्यवस्थित रूप में प्रस्तुत किया।
योग सूत्र: पतंजलि के "योग सूत्र" में योग के उद्देश्य और शारीरिक-मानसिक स्वास्थ्य के लिए योग के महत्व पर ध्यान केंद्रित किया गया है।
आयुर्वेद और चिकित्सा: पतंजलि ने आयुर्वेद पर भी महत्वपूर्ण कार्य किया और शारीरिक व मानसिक स्वास्थ्य के लिए योग के उपयोग को प्रमोट किया।
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