1. 1971 में वीटो पावर का इस्तेमाल
रूस ने 1971 में भारत-पाकिस्तान युद्ध के दौरान तीन बार अपने वीटो पावर का इस्तेमाल किया था। ये वीटो 4, 5 और 13 दिसंबर को संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद द्वारा लाए गए प्रस्तावों के खिलाफ लगाए गए थे। पाकिस्तान द्वारा भारत के खिलाफ प्रस्ताव लाए गए थे, लेकिन रूस ने इन प्रस्तावों को अस्वीकार कर दिया। इससे कश्मीर मुद्दे का अंतरराष्ट्रीयकरण नहीं हो सका और यह भारत और पाकिस्तान के बीच द्विपक्षीय मामला ही बना रहा।
2. 1962 में कश्मीर मुद्दे पर वीटो पावर
22 जून 1962 को संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद में भारत और पाकिस्तान के संबंधों को लेकर एक प्रस्ताव लाया गया था, जिसपर रूस ने वीटो पावर का इस्तेमाल किया। इस वीटो से कश्मीर मुद्दे को अंतरराष्ट्रीयकरण से बचाया गया और भारत के पक्ष में रूस का समर्थन और मजबूत हुआ।
3. 1957 में कश्मीर मुद्दे पर वीटो
1957 में भी कश्मीर मुद्दे को लेकर संयुक्त राष्ट्र में एक प्रस्ताव आया था, जिसे रूस ने वीटो कर दिया। इस कदम ने कश्मीर के मुद्दे को और अधिक अंतरराष्ट्रीय रूप से चर्चा का विषय बनने से रोका और भारत को महत्वपूर्ण कूटनीतिक समर्थन दिया।
4. गोवा की मुक्ति में रूस का समर्थन
दिसंबर 1961 में जब भारत ने गोवा को पुर्तगाल से मुक्त किया, तो रूस ने भी भारत के पक्ष में खड़ा होकर भारत के खिलाफ लाए गए प्रस्ताव पर वीटो पावर का प्रयोग किया। इस दौरान रूस का समर्थन भारत के लिए अत्यंत महत्वपूर्ण था, क्योंकि पुर्तगाल के खिलाफ भारत की कार्रवाई पर अंतरराष्ट्रीय आलोचना हो रही थी।
5. आर्टिकल 370 हटाने के बाद रूस का समर्थन
अगस्त 2019 में जब भारत ने जम्मू और कश्मीर से आर्टिकल 370 को हटाया और राज्य का विभाजन किया, तो पाकिस्तान ने इस मामले को संयुक्त राष्ट्र में उठाया। इस स्थिति में भी रूस ने भारत के पक्ष में खड़ा होते हुए पाकिस्तान द्वारा उठाए गए प्रस्ताव को खारिज किया और भारत का समर्थन किया। यह घटना इस बात का संकेत थी कि रूस अब भी भारत के महत्वपूर्ण रणनीतिक साझेदार के रूप में खड़ा है।
वीटो पावर: क्या है इसका महत्व?
संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद (UNSC) में कुल 15 सदस्य होते हैं, जिनमें 5 स्थायी सदस्य होते हैं – संयुक्त राज्य अमेरिका, यूनाइटेड किंगडम, चीन, फ्रांस और रूस। इन स्थायी सदस्यों को वीटो पावर प्राप्त है, जो उन्हें किसी भी प्रस्ताव को अस्वीकार करने का विशेष अधिकार देता है। यदि कोई स्थायी सदस्य किसी प्रस्ताव के खिलाफ वीटो करता है, तो वह प्रस्ताव पारित नहीं हो सकता, भले ही अन्य सदस्य उसका समर्थन करते हों। इस वीटो पावर का प्रयोग सुरक्षा परिषद के प्रस्तावों को निरस्त करने के लिए किया जाता है और इसका प्रभाव वैश्विक राजनीति में गहरा होता है।
भारत के लिए यह वीटो पावर एक महत्वपूर्ण सुरक्षा कवच के रूप में कार्य करता है, खासकर जब कश्मीर जैसे संवेदनशील मुद्दे उठते हैं। रूस का भारत के प्रति यह समर्थन न केवल दोनों देशों के रिश्तों को मजबूत करता है, बल्कि यह भारत को अंतरराष्ट्रीय मंच पर मजबूत स्थिति में भी रखता है।
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