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2 फरवरी को बसंत पंचमी, जानें पूजा का शुभ मुहूर्त

धर्म डेस्क: बसंत पंचमी एक अत्यंत महत्वपूर्ण हिंदू पर्व है, जो हर वर्ष माघ मास की शुक्ल पक्ष की पंचमी तिथि को मनाया जाता है। इस वर्ष, बसंत पंचमी 2 फरवरी 2025 को मनाई जाएगी। इस दिन विशेष रूप से विद्या और कला की देवी मां सरस्वती की पूजा की जाती है। मां सरस्वती ज्ञान, संगीत, कला और संस्कृतियों की देवी मानी जाती हैं, और इस दिन उनकी पूजा से विद्या और बुद्धि में वृद्धि होती है।

बसंत पंचमी का शुभ मुहूर्त

इस वर्ष बसंत पंचमी के दिन पूजा का विशेष मुहूर्त 2 फरवरी को सुबह 7 बजकर 09 मिनट से लेकर दोपहर 12 बजकर 35 मिनट तक रहेगा। इस दिन पूजा के लिए सिर्फ 5 घंटे 26 मिनट का समय मिलेगा। इस समय के बीच में कभी भी पूजा प्रारंभ की जा सकती है।

पंचमी तिथि का समय

पंचमी तिथि की शुरुआत 2 फरवरी 2025 को सुबह 9:14 बजे होगी और इसका समापन 3 फरवरी 2025 को प्रातः 6:52 बजे होगा। अतः इस तिथि के दौरान किसी भी समय पूजा का आयोजन किया जा सकता है।

बसंत पंचमी का महत्व

बसंत पंचमी को खासतौर पर मां सरस्वती की पूजा के रूप में मनाया जाता है, जो उनके भक्तों के जीवन में ज्ञान, बुद्धि और सफलता लाने के लिए की जाती है। माना जाता है कि इस दिन ही मां सरस्वती का प्रकट होना हुआ था, जो ब्रह्माजी के मुख से प्रकट हुई थीं। इसलिए इस दिन मां सरस्वती की पूजा से न केवल ज्ञान की प्राप्ति होती है, बल्कि व्यक्ति के जीवन में सुख, समृद्धि और सफलता भी आती है।

बसंत पंचमी के रीति-रिवाज और पूजा विधि

मां सरस्वती की पूजा: इस दिन विशेष रूप से मां सरस्वती की पूजा की जाती है। पूजा के दौरान पीले रंग के फूल, पीले चावल, हल्दी, ताजे फल, और मिठाइयां अर्पित की जाती हैं। पीला रंग बसंत ऋतु और समृद्धि का प्रतीक होता है, इसलिए पूजा में पीले रंग का विशेष महत्व है।

विधान: पूजा के दौरान सरस्वती वंदना और मंत्रोच्चार किए जाते हैं। इसके अलावा, विद्यार्थियों द्वारा अपनी किताबों और लेखन सामग्री की पूजा की जाती है ताकि उनकी पढ़ाई में सफलता मिले।

भोग और अर्पण: पूजा में मां सरस्वती को पीले फूल और पीले भोग अर्पित किए जाते हैं। पीले रंग का महत्व इस बात को दर्शाता है कि बसंत ऋतु के साथ हरियाली और सुख-समृद्धि का आगमन हो रहा है।

बिहार बोर्ड 12वीं परीक्षा 1 फरवरी से, जानें 7 नियम

पटना: बिहार बोर्ड की 12वीं परीक्षा 1 फरवरी से शुरू हो रही है और यह परीक्षा 15 फरवरी तक चलेगी। इस वर्ष लगभग 12 लाख 92 हजार छात्रों ने रजिस्ट्रेशन कराया है, जो बिहार राज्य भर में 1,677 परीक्षा केंद्रों पर परीक्षा देंगे। बिहार विद्यालय परीक्षा समिति (BSEB) ने इस बार परीक्षा को लेकर कुछ अहम गाइडलाइन जारी की हैं, जिनका पालन सभी छात्रों को करना जरूरी है। 

1 .समय पर पहुंचे एग्जाम सेंटर

बिहार बोर्ड ने छात्रों को निर्देश दिए हैं कि उन्हें परीक्षा केंद्र पर समय से कम से कम आधा घंटा पहले पहुंचना होगा। परीक्षा केंद्र के गेट परीक्षा शुरू होने से 30 मिनट पहले बंद हो जाएंगे। पहली शिफ्ट की परीक्षा सुबह 09:30 बजे शुरू होगी, और दूसरी शिफ्ट की परीक्षा दोपहर 02:00 बजे से शुरू होगी।

पहली शिफ्ट का प्रवेश सुबह 08:30 बजे से होगा, और गेट 09:00 बजे बंद हो जाएंगे। जबकि दूसरी शिफ्ट का प्रवेश दोपहर 01:00 बजे से होगा, और गेट 01:30 बजे बंद हो जाएंगे।

2 .इलेक्ट्रॉनिक गैजेट्स पर प्रतिबंध

परीक्षा केंद्रों में छात्रों को किसी भी प्रकार के इलेक्ट्रॉनिक गैजेट्स जैसे मोबाइल फोन, ब्लूटूथ, ईयरफोन, कैलकुलेटर, या अन्य इलेक्ट्रॉनिक उपकरण लाने की अनुमति नहीं होगी। परीक्षा में निष्पक्षता बनाए रखने के लिए यह कदम उठाया गया है।

3 .परीक्षा केंद्र के आसपास सुरक्षा

परीक्षा केंद्रों के आसपास कड़ी सुरक्षा व्यवस्था रहेगी। केंद्र के 200 मीटर के दायरे में धारा 144 लागू होगी, जो किसी भी प्रकार की भीड़-भाड़ या अव्यवस्था को रोकने के लिए लागू की गई है। इसके साथ ही पुलिस बल की तैनाती भी की जाएगी।

4 .वॉट्सएप ग्रुप और कंट्रोल रूम

परीक्षा के संचालन की निगरानी के लिए बिहार बोर्ड ने एक WhatsApp ग्रुप तैयार किया है। किसी भी समस्या के समाधान के लिए बोर्ड ने 31 जनवरी से 15 फरवरी 2025 तक एक कंट्रोल रूम भी स्थापित किया है। कंट्रोल रूम का संपर्क नंबर है: 0612-2232257 और 0612-2232227।

5 .जूते-मोजे पहनने की छूट मिलेगी

बिहार बोर्ड ने ठंड को देखते हुए छात्रों को 5 फरवरी तक परीक्षा में जूते और मोजे पहनने की छूट दी है। इसके बाद मौसम की स्थिति के आधार पर निर्णय लिया जाएगा कि यह छूट आगे जारी रखी जाए या नहीं।

6 .अनुशासन और नियमों का पालन

बिहार बोर्ड ने यह स्पष्ट किया है कि किसी भी छात्र को परीक्षा में नकल या अनुशासनहीनता की अनुमति नहीं दी जाएगी। परीक्षा केंद्र में छात्रों को शांतिपूर्वक और बिना किसी प्रकार के बाहरी मदद के परीक्षा देने की आवश्यकता होगी। यदि कोई छात्र किसी भी प्रकार के धोखाधड़ी में लिप्त पाया जाता है, तो उसके खिलाफ कड़ी कार्रवाई की जाएगी।

बिहार में लगेगी 50 दिनों में 15 नई फैक्ट्रियां

पटना: बिहार में औद्योगिक विकास के लिए एक बड़ी पहल की जा रही है। राज्य सरकार ने घोषणा की है कि अगले 50 दिनों में बिहार में 15 नई मैन्युफैक्चरिंग इकाइयां शुरू की जाएंगी। उद्योग मंत्री नीतीश मिश्र ने यह जानकारी अपने सोशल मीडिया अकाउंट पर साझा की और इस पहल को लेकर सकारात्मक उम्मीदें जताईं।

नीतीश मिश्र ने अपने पोस्ट में लिखा, "50 दिन….15 नई कार्यरत इकाइयां, उद्योग विभाग अगले 50 दिनों में 15 नई मैन्युफैक्चरिंग इकाईयों को शुरू करने हेतु संकल्पित है। उद्योग विभाग की टीम जिस उत्साह, ऊर्जा और श्रम के साथ इस दिशा में कार्य कर रही है, मुझे पूर्ण विश्वास है कि अगले 50 दिनों में 15 नई इकाईयों की शुरुआत का संकल्प अवश्य सिद्ध होगा।"

यह घोषणा बिहार के औद्योगिक विकास के दृष्टिकोण से महत्वपूर्ण मानी जा रही है। राज्य सरकार द्वारा नई मैन्युफैक्चरिंग इकाइयों की स्थापना से न केवल बिहार के आर्थिक विकास को गति मिलेगी, बल्कि स्थानीय लोगों को रोजगार के अवसर भी प्राप्त होंगे। इन इकाइयों के चालू होने से विभिन्न उद्योगों को बढ़ावा मिलेगा, और राज्य की औद्योगिक बुनियादी ढांचे में सुधार होगा।

राज्य सरकार द्वारा किया गया यह प्रयास बिहार के औद्योगिक परिदृश्य को बदलने में मददगार साबित हो सकता है, खासकर उन क्षेत्रों में जहां औद्योगिकीकरण की संभावनाएं अधिक हैं। उद्योग मंत्री ने यह भी उल्लेख किया कि इस प्रक्रिया को तेज और कुशल बनाने के लिए विभाग की टीम सक्रिय रूप से काम कर रही है।

आंखों का लेंस साफ रखते हैं ये 5 सुपरफूड्स

हेल्थ डेस्क: आंखों के लेंस को साफ और स्वस्थ रखने के लिए कुछ खास फूड्स बहुत फायदेमंद होते हैं। इसके सेवन से आंखों में किसी तरह की परेशानी नहीं होती हैं। साथ ही साथ इससे आंखों की रोशनी भी बनी रहती हैं। इसलिए सभी को इसका सेवन करनी चाहिए।

आंखों का लेंस साफ रखते हैं ये 5 सुपरफूड्स

1 .गाजर और शकरकंद: विटामिन A का स्रोत

गाजर और शकरकंद में विटामिन A भरपूर मात्रा में होता है, जो आंखों के लिए बहुत फायदेमंद है और दृष्टि को बेहतर बनाता है।

2 .पालक और केल: एंटीऑक्सीडेंट्स से भरपूर

पालक और केल जैसे हरी पत्तेदार सब्जियों में lutein और zeaxanthin जैसे एंटीऑक्सीडेंट्स होते हैं, जो आंखों की रोशनी को बनाए रखते हैं और उम्र बढ़ने के साथ होने वाली समस्याओं से बचाते हैं।

3 .साइट्रस फल: विटामिन C से भरपूर

आंवला, संतरा, नींबू, और अमरूद जैसे साइट्रस फल में विटामिन C होता है, जो आंखों के लेंस को स्वस्थ रखने के लिए जरूरी है और आंखों के टिश्यू को नुकसान से बचाता है।

4 .बादाम : आंखों की सुरक्षा के लिए सुपरफूड

ब्लू बैरीज़ में मौजूद एंटीऑक्सीडेंट्स और विटामिन्स आंखों को मुक्त कणों से बचाते हैं और दृष्टि को लंबे समय तक तेज बनाए रखते हैं।

5 .सप्ताह में एक बार मछली खाना: ओमेगा-3 का स्रोत

मछली, विशेषकर सैल्मन और टूना, ओमेगा-3 फैटी एसिड्स से भरपूर होती हैं, जो आंखों की सूजन और अन्य विकारों से बचाव करती हैं।

बिहार में होम गार्ड के 15,000 पदों पर होगी भर्ती

पटना: बिहार राज्य में सरकारी नौकरी की तलाश कर रहे युवाओं के लिए एक शानदार अवसर सामने आया है। बिहार गृह रक्षा वाहिनी ने होम गार्ड (गृहरक्षक) के कुल 15,000 पदों पर भर्ती की घोषणा की है। यह भर्ती उन उम्मीदवारों के लिए एक महत्वपूर्ण मौका है जो बिहार पुलिस में अपनी सेवा देने के इच्छुक हैं।

बिहार गृह रक्षा वाहिनी होम गार्ड भर्ती 2025: महत्वपूर्ण जानकारी

1. पदों की संख्या: बिहार गृह रक्षा वाहिनी ने कुल 15,000 होम गार्ड (गृहरक्षक) के पदों पर भर्ती की घोषणा की है। यह भर्ती विभाग की ओर से की जा रही है, और इसका उद्देश्य राज्य की सुरक्षा व्यवस्था को और अधिक मजबूत बनाना है।

2. शैक्षणिक योग्यता: हालांकि विभाग ने आधिकारिक रूप से शैक्षणिक योग्यता की घोषणा नहीं की है, लेकिन मीडिया रिपोर्ट्स और सूत्रों से यह जानकारी मिल रही है कि आवेदन करने के लिए उम्मीदवार को 10वीं या 12वीं पास होना आवश्यक हो सकता है, या फिर इसके समकक्ष शैक्षिक योग्यता भी मान्य हो सकती है। शैक्षणिक योग्यता को लेकर पूरी जानकारी जल्द ही विभाग द्वारा जारी की जाने वाली आधिकारिक अधिसूचना में दी जाएगी।

3. आयु सीमा: आयु सीमा की जानकारी भी जल्द ही जारी की जाएगी, लेकिन सामान्यत: इस प्रकार की भर्ती के लिए आयु सीमा 18 से 40 वर्ष के बीच रखी जाती है। आयु सीमा में सरकारी नियमों के तहत आरक्षित वर्ग के उम्मीदवारों को छूट दी जा सकती है।

4. चयन प्रक्रिया: चयन प्रक्रिया में उम्मीदवारों का शारीरिक दक्षता परीक्षण (PET) और लिखित परीक्षा शामिल हो सकती है। उम्मीदवारों को शारीरिक और मानसिक रूप से फिट होना आवश्यक होगा। इसके अलावा, दस्तावेज़ सत्यापन और मेडिकल परीक्षण भी किया जा सकता है।

5. आवेदन प्रक्रिया: इन पदों के लिए आवेदन प्रक्रिया ऑनलाइन के माध्यम से होगी। विभाग द्वारा आधिकारिक अधिसूचना जारी होते ही, इच्छुक उम्मीदवार विभाग की वेबसाइट पर जाकर आवेदन कर सकते हैं। आवेदन की प्रक्रिया में उम्मीदवारों से कुछ महत्वपूर्ण दस्तावेज़ों की मांग की जाएगी, जैसे शैक्षिक प्रमाणपत्र, जन्म प्रमाणपत्र, जाति प्रमाणपत्र (यदि लागू हो), और अन्य जरूरी दस्तावेज़।

6. रोस्टर क्लियरेंस: बिहार सरकार ने गृहरक्षक के 15,000 पदों के लिए रोस्टर क्लियरेंस की प्रक्रिया पूरी कर ली है, जिससे भर्ती की प्रक्रिया में तेजी आएगी। इस प्रक्रिया के बाद, विभाग जल्द ही आधिकारिक अधिसूचना जारी करेगा, जिसके बाद आवेदन प्रक्रिया शुरू की जाएगी।

आधिकारिक अधिसूचना का इंतजार:

बिहार गृह रक्षा वाहिनी द्वारा आधिकारिक अधिसूचना जारी होते ही भर्ती प्रक्रिया को लेकर सभी जरूरी विवरण जैसे शैक्षणिक योग्यता, आयु सीमा, आवेदन शुल्क, चयन प्रक्रिया आदि के बारे में पूरी जानकारी प्रदान की जाएगी। इच्छुक उम्मीदवारों को अधिसूचना का इंतजार करना होगा, ताकि वे सही समय पर ऑनलाइन आवेदन कर सकें।

बिहार में सरस्वती पूजा के लिए लेना होगा लाइसेंस

सारण: बिहार में इस वर्ष सरस्वती पूजा को लेकर प्रशासन ने नई दिशा-निर्देश जारी किए हैं। ताजा रिपोर्ट के मुताबिक सारण जिले समेत बिहार के अधिकांश जिलों में अब सरस्वती पूजा के आयोजन के लिए लाइसेंस लेना अनिवार्य कर दिया गया है। इस नई व्यवस्था को लेकर सारण जिले के परसा थाना परिसर में शांति समिति की बैठक आयोजित की गई, जिसमें पूजा समितियों को प्रशासन की तरफ से आवश्यक जानकारी दी गई।

बता दें की बैठक में सारण जिले के सीओ अनुज कुमार और थानाध्यक्ष सुनील कुमार ने पूजा समितियों के सदस्यों को कुछ महत्वपूर्ण दिशा-निर्देश दिए। सीओ अनुज कुमार ने पूजा समिति के सदस्यों से कहा कि वे निर्धारित समय सीमा के अंदर अपनी पूजा समिति का निबंधन करा लें और संबंधित सदस्यों की सूची प्रशासन को उपलब्ध कराएं। 

इसके अलावा, उन्होंने पूजा समितियों से यह भी कहा कि वे मूर्ति विसर्जन भी समय पर करें और किसी भी प्रकार के आपत्तिजनक गीतों और अश्लील गानों से परहेज करें। पूजा समिति के सदस्यों से यह भी अपील की कि वे पारंपरिक और आध्यात्मिक तरीके से पूजा सम्पन्न करें, ताकि वातावरण शांति और सौहार्दपूर्ण बना रहे। 

इसके साथ ही, उन्होंने शरारती तत्वों पर नजर रखने की भी बात की और पूजा समितियों से प्रशासन के साथ सहयोग करने की अपील की, ताकि किसी भी प्रकार की अशांति या हिंसा से बचा जा सके। पूजा समितियों को यह समझाया गया कि सरस्वती पूजा एक धार्मिक और सांस्कृतिक आयोजन है, जिसे पूरे सम्मान और श्रद्धा के साथ मनाना चाहिए। इस पहल के जरिए प्रशासन का उद्देश्य न केवल धार्मिक आयोजनों को शांतिपूर्ण तरीके से संपन्न कराना है, बल्कि समाज में शांति और सद्भाव भी बनाए रखना है।

यूपी के शुभांशु जाएंगे अंतरराष्ट्रीय अंतरिक्ष स्टेशन

न्यूज डेस्क: लखनऊ के शुभांशु शुक्ला, भारतीय वायुसेना के ग्रुप कैप्‍टन, ने एक नई ऊंचाई को छुआ है। उन्हें अंतरराष्ट्रीय अंतरिक्ष स्टेशन (आईएसएस) के लिए एक्सिओम मिशन-4 के पायलट के रूप में चुना गया है। यह एक ऐतिहासिक उपलब्धि है, क्योंकि वह पहले भारतीय हैं जो अंतरिक्ष में जाएंगे और आईएसएस पर अपना सफर करेंगे। इस सफलता के साथ, वह न केवल भारतीय वायुसेना का नाम रोशन कर रहे हैं, बल्कि भारत के अंतरिक्ष अभियान को भी नई दिशा दे रहे हैं।

शुभांशु शुक्ला का जन्‍म और कैरियर

शुभांशु शुक्ला का जन्म 10 अक्टूबर, 1985 को लखनऊ में हुआ था। उनके करियर की शुरुआत भारतीय वायु सेना से हुई, जहां जून 2006 में वह एक फाइटर पायलट के रूप में शामिल हुए। उन्होंने अपनी उड़ान क्षमता को कई विमानों पर साबित किया है, जैसे Su-30 MKI, MiG-21, MiG-29, Jaguar, Hawk, Dornier और An-32। 2,000 घंटे से अधिक उड़ान भरने का उनका अनुभव इसे प्रमाणित करता है कि वह किसी भी चुनौती का सामना करने के लिए पूरी तरह तैयार हैं। मार्च 2024 में उन्हें वायुसेना में ग्रुप कैप्टन के रूप में पदोन्नति मिली।

अंतरिक्ष मिशन की ट्रेनिंग और एक नई यात्रा

शुभांशु शुक्ला ने 2019 में रूस के यूरी गगारिन कॉस्मोनॉट ट्रेनिंग सेंटर में एस्ट्रोनॉट की ट्रेनिंग ली थी। इसके बाद उनका चयन भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (ISRO) के गगनयान मिशन के लिए भी हुआ। अब, वह नासा और एक्सिओम स्पेस के सहयोग से आईएसएस पर जाने वाले पहले भारतीय अंतरिक्ष यात्री बनेंगे।

अंतरिक्ष यात्रा में भारतीय संस्कृति और योग

शुभांशु शुक्ला की अंतरिक्ष यात्रा न केवल वैज्ञानिक दृष्टिकोण से महत्वपूर्ण होगी, बल्कि वह इस यात्रा को एक सांस्कृतिक यात्रा के रूप में भी देख रहे हैं। वह अपने साथ भारतीय संस्कृति की कुछ वस्तुएं ले जाने की योजना बना रहे हैं ताकि अंतरिक्ष में भी भारतीयता की एक झलक हो सके। इसके अलावा, वह कक्षीय प्रयोगशाला में योग आसन करने का भी इरादा रखते हैं। यह कदम अंतरिक्ष में भारतीयता और शारीरिक व मानसिक संतुलन को बनाए रखने के महत्व को उजागर करेगा।

आईएसएस की यात्रा और भारत का प्रतिनिधित्व

अंतरराष्ट्रीय अंतरिक्ष स्टेशन (आईएसएस) पर भारतीय वैज्ञानिकों और अंतरिक्ष यात्रियों का होना एक बड़ी उपलब्धि है, और इस यात्रा के दौरान शुभांशु शुक्ला अपने अनुभव को देशवासियों के साथ साझा करेंगे। वह अपनी यात्रा की तस्वीरें और वीडियो रिकॉर्ड करके भारत में बैठे लोगों को इस अद्भुत अनुभव का हिस्सा बनाएंगे। उनका यह कदम देश के लोगों को अंतरिक्ष यात्रा के प्रति प्रेरित करेगा और भारतीय अंतरिक्ष कार्यक्रम को और मजबूती प्रदान करेगा।

नासा और इसरो का संयुक्त प्रयास

शुभांशु शुक्ला की अंतरिक्ष यात्रा नासा और इसरो के संयुक्त प्रयास का परिणाम है। यह मिशन भारत और अमेरिका के बीच सहयोग का प्रतीक है और भविष्य में और अधिक संयुक्त अंतरिक्ष अभियानों का रास्ता खोल सकता है। शुभांशु शुक्ला का कहना है कि वह माइक्रोग्रैविटी (न्यून गुरुत्वाकर्षण) का अनुभव करने और अंतरिक्ष में खुद को स्वतंत्र रूप से उड़ते हुए देखने के लिए बेहद उत्साहित हैं।

अंतरराष्ट्रीय हथियार बाजार में कहां है भारत? पढ़ें

नई दिल्ली: भारत ने रक्षा निर्यात के क्षेत्र में बड़ी सफलता हासिल की है और इस दिशा में देश की स्थिति लगातार मजबूत हो रही है। रक्षा मंत्रालय के ताजा आंकड़ों के मुताबिक, 2024-25 की दूसरी तिमाही में भारत का रक्षा निर्यात 77 प्रतिशत बढ़कर 11,233 करोड़ रुपए तक पहुँच गया है। पिछले साल इसी अवधि में यह केवल 6,342 करोड़ रुपए था, जो इस वृद्धि को और स्पष्ट करता है।

भारत ने एक और महत्वपूर्ण मील का पत्थर हासिल किया है, जो यह है कि वर्तमान में देश 100 से अधिक देशों को रक्षा उपकरण निर्यात कर रहा है। यह आंकड़ा भारत की बढ़ती अंतरराष्ट्रीय ताकत को दर्शाता है और देश की आत्मनिर्भरता की दिशा में किए गए प्रयासों का नतीजा है। रक्षा मंत्रालय के अनुसार, भारत का रक्षा क्षेत्र अब ग्लोबल लीडरशिप की ओर बढ़ रहा है, जो ‘आत्मनिर्भर भारत’ के सिद्धांत को आगे बढ़ाता है।

एक दशक में हुई जबरदस्त वृद्धि

अगर पिछले 10 वर्षों की बात की जाए तो भारत के रक्षा निर्यात में लगभग 10 गुना वृद्धि हो चुकी है। 2014-15 में भारत ने केवल 1,941 करोड़ रुपए के रक्षा उपकरणों का निर्यात किया था, जो अब 2023-24 में बढ़कर 21,083 करोड़ रुपए तक पहुँच चुका है। यह वृद्धि भारत के रक्षा उत्पादन में सुधार और वैश्विक बाजार में अपनी स्थिति को मजबूत करने के प्रयासों का परिणाम है।

भारत का रक्षा निर्यात और वैश्विक स्थिति

भारत का रक्षा निर्यात लगातार बढ़ रहा है और इस वृद्धि से यह स्पष्ट हो रहा है कि आने वाले समय में भारत का नाम भी दुनिया के प्रमुख रक्षा निर्यातक देशों की सूची में शामिल हो सकता है। वर्तमान में अमेरिका, रूस, फ्रांस, चीन और जर्मनी ऐसे देश हैं जो वैश्विक रक्षा निर्यात का 76 प्रतिशत हिस्सा आपूर्ति करते हैं। 2018-2022 के दौरान, अमेरिका सबसे बड़ा रक्षा निर्यातक देश रहा, इसके बाद रूस और फ्रांस का स्थान है।

हालांकि, भारत अभी तक वैश्विक रक्षा निर्यातक देशों की शीर्ष 10 सूची में शामिल नहीं है, लेकिन पिछले कुछ वर्षों में रक्षा निर्यात के आंकड़ों ने यह साबित कर दिया है कि भारत इस क्षेत्र में तेजी से प्रगति कर रहा है। रक्षा मंत्रालय का कहना है कि यदि यही रफ्तार बनी रही, तो भारत बहुत जल्द इस सूची में अपना स्थान बना सकता है।

भारत की आत्मनिर्भरता की दिशा

भारत सरकार का ‘आत्मनिर्भर भारत’ अभियान रक्षा क्षेत्र में भी अपने सकारात्मक परिणाम दिखा रहा है। देश ने आत्मनिर्भरता की ओर कदम बढ़ाते हुए कई प्रमुख रक्षा उपकरणों का स्वदेशी उत्पादन शुरू किया है। इसके परिणामस्वरूप, न केवल घरेलू बाजार में रक्षा उत्पादों की उपलब्धता बढ़ी है, बल्कि भारतीय रक्षा उद्योग ने अंतरराष्ट्रीय स्तर पर भी अपनी पहचान बनानी शुरू कर दी है।

इस वृद्धि के पीछे भारतीय रक्षा कंपनियों का लगातार प्रयास और सरकार की नीतियों का महत्वपूर्ण योगदान है। भारत ने उन्नत तकनीकी उपकरणों और मिसाइल सिस्टम जैसे अत्याधुनिक रक्षा उपकरणों का निर्माण किया है, जो न केवल देश की सुरक्षा के लिए महत्वपूर्ण हैं, बल्कि वैश्विक बाजार में भी प्रतिस्पर्धा में बने रहने में मदद कर रहे हैं।

भारत का GDP ग्रोथ 6.3% से 6.8% रहने का अनुमान

नई दिल्ली: भारत का आर्थिक सर्वे 2024-25 के लिए सरकार द्वारा 31 जनवरी को पेश किया गया है, जिसमें आगामी वित्तीय वर्ष यानी FY26 (1 अप्रैल 2025 से 31 मार्च 2026) के लिए GDP ग्रोथ का अनुमान 6.3% से 6.8% के बीच रखा गया है। यह ग्रोथ अनुमान भारत की अर्थव्यवस्था के भविष्य के विकास के संकेत देता है, जिसमें विभिन्न घरेलू और अंतरराष्ट्रीय कारकों का असर होगा। 

GDP ग्रोथ का अनुमान:

इकोनॉमिक सर्वे के अनुसार, भारतीय अर्थव्यवस्था में 2024-25 में लगातार विकास की उम्मीद है और आगामी वित्तीय वर्ष FY26 में 6.3% से 6.8% तक की विकास दर का अनुमान है। यह भारत की सकल घरेलू उत्पाद (GDP) वृद्धि को दर्शाता है, जो मुख्य रूप से कृषि, विनिर्माण, सेवा क्षेत्र और निर्यात के योगदान से प्रभावित होगा।

GST कलेक्शन में वृद्धि:

सर्वे में यह भी अनुमानित किया गया है कि 2024-25 के लिए GST कलेक्शन 11% बढ़कर 10.62 लाख करोड़ रुपये तक पहुंचने का अनुमान है। GST (Goods and Services Tax) कलेक्शन में वृद्धि का मतलब है कि देश में व्यापारिक गतिविधियां सक्रिय हैं और सरकार की टैक्स संग्रहण व्यवस्था प्रभावी हो रही है। यह व्यापारिक विकास और उपभोक्ता खर्च की बढ़त को भी दर्शाता है।

महंगाई दर में गिरावट:

दिसंबर 2024 में भारत में महंगाई दर 4 महीने के निचले स्तर 5.22% पर पहुंच गई। इससे पहले नवंबर में यह दर 5.48% थी और अगस्त में 3.65% थी। महंगाई दर में यह गिरावट उपभोक्ताओं के लिए राहत देने वाली खबर है, क्योंकि इससे जीवन यापन की लागत पर नियंत्रण पाया जा सकता है। महंगाई दर में कमी खाद्य पदार्थों और अन्य आवश्यक वस्तुओं की कीमतों में गिरावट की वजह से हुई है।

आर्थिक सर्वे का महत्व:

इकोनॉमिक सर्वे देश की आर्थिक स्थिति का एक महत्वपूर्ण दस्तावेज़ है, जिसे हर साल बजट से एक दिन पहले पेश किया जाता है। यह दस्तावेज़ सरकार द्वारा आर्थिक दृष्टिकोण, विकास दर, वित्तीय समृद्धि, और देश के विभिन्न आर्थिक क्षेत्रों की स्थिति का जायजा लेने के लिए तैयार किया जाता है। इसे समझकर नीति निर्माता, व्यवसायी और आम नागरिक यह अनुमान लगा सकते हैं कि देश की अर्थव्यवस्था किस दिशा में जा रही है और कौन सी नीतियां कारगर साबित हो सकती हैं।

यूपी में बनेंगे 7 नए एक्सप्रेस-वे, इन जिलों को फायदा

लखनऊ: उत्तर प्रदेश में नए एक्सप्रेस-वे बनाने की योजना से राज्य में सड़क संपर्क और परिवहन व्यवस्था में महत्वपूर्ण सुधार हो सकता है। सरकार ने कुल सात नए एक्सप्रेस-वे बनाने की योजना बनाई है, जिनसे राज्य के विभिन्न हिस्सों को सीधे जोड़ने का लक्ष्य है। इन एक्सप्रेस-वे से न केवल यात्रा की गति बढ़ेगी, बल्कि इन क्षेत्रों का आर्थिक विकास भी होगा। 

यूपी में बनेंगे 7 नए एक्सप्रेस-वे, इन जिलों को फायदा। 

1 .झांसी लिंक एक्सप्रेसवे (100 किमी)

झांसी और जालौन जिलों को जोड़ने वाला यह एक्सप्रेसवे क्षेत्रीय कनेक्टिविटी में सुधार करेगा। इससे इन दोनों जिलों में व्यापार, शिक्षा और पर्यटन को बढ़ावा मिलेगा। झांसी जिले का यह मार्ग प्रमुख रूप से यात्री और माल परिवहन में सहायक होगा।

2 .जेवर लिंक एक्सप्रेसवे (76 किमी)

जेवर एयरपोर्ट से नोएडा, बुलंदशहर और मेरठ को जोड़ने वाला यह एक्सप्रेसवे इन तीन जिलों के विकास में मदद करेगा। नोएडा और मेरठ के बीच के यातायात को सुगम बनाएगा, साथ ही जेवर एयरपोर्ट के लिए आने-जाने वाले यात्रियों को सुविधा होगी।

3 .विन्ध्य एक्सप्रेसवे (320 किमी)

विन्ध्य एक्सप्रेसवे राज्य के उत्तर और दक्षिण को जोड़ने का कार्य करेगा। यह एक्सप्रेसवे प्रयागराज, मिर्जापुर, संत रविदास नगर, वाराणसी, चंदौली और सोनभद्र जिलों को जोड़ते हुए राज्य के पूर्वी हिस्से को बेहतर कनेक्टिविटी प्रदान करेगा। इस एक्सप्रेसवे से इन जिलों में व्यापार, पर्यटन और औद्योगिक गतिविधियों को बढ़ावा मिलेगा।

4 .चित्रकूट लिंक एक्सप्रेसवे (120 किमी)

चित्रकूट जिले को कौशांबी और प्रयागराज से जोड़ने वाला यह एक्सप्रेसवे क्षेत्रीय कनेक्टिविटी को मजबूत करेगा। इस एक्सप्रेसवे से चित्रकूट, कौशांबी और प्रयागराज के बीच यातायात में आसानी होगी, जिससे इन जिलों के विकास में योगदान मिलेगा।

5 .विन्ध्य पूर्वांचल लिंक एक्सप्रेसवे (100 किमी)

यह एक्सप्रेसवे चंदौली, गाजीपुर और सोनभद्र जिलों को जोड़ने का कार्य करेगा। इससे इन जिलों में आवागमन में सुधार होगा, जिससे व्यापारिक और सामाजिक गतिविधियों को बढ़ावा मिलेगा। खासतौर पर पूर्वांचल क्षेत्र में विकास को गति मिलेगी।

6 .आगरा-लखनऊ एक्सप्रेसवे-पूर्वांचल एक्सप्रेसवे लिंक एक्सप्रेसवे (60 किमी)

यह लिंक एक्सप्रेसवे आगरा-लखनऊ एक्सप्रेसवे को पूर्वांचल एक्सप्रेसवे से जोड़ने का कार्य करेगा। इससे राज्य के पश्चिमी और पूर्वी हिस्सों के बीच बेहतर कनेक्टिविटी सुनिश्चित होगी। इस एक्सप्रेसवे से एक जिला प्रभावित होगा, और इसका मुख्य लाभ इन जिलों के विकास में होगा।

7 .आगरा-लखनऊ एक्सप्रेसवे-गंगा एक्सप्रेसवे वाया फर्रुखाबाद लिंक एक्सप्रेसवे (93 किमी)

यह एक्सप्रेसवे आगरा-लखनऊ एक्सप्रेसवे को गंगा एक्सप्रेसवे से जोड़ने के लिए बनाया जाएगा। इसका मार्ग फर्रुखाबाद, इटावा, हरदोई जिलों से होकर गुजरेगा। इस परियोजना से इन तीन जिलों में विकास को बढ़ावा मिलेगा और व्यापारिक गतिविधियां भी बढ़ेंगी।

बिहार में किसानों के लिए मुफ्त बिजली कनेक्शन

पटना: बिहार के किसानों के लिए मुख्यमंत्री कृषि विद्युत संबंध योजना के तहत एक महत्वपूर्ण और लाभकारी पहल शुरू की गई है। इस योजना के तहत किसानों को अपने खेतों में कृषि कार्य के लिए मुफ्त बिजली कनेक्शन प्रदान किया जाएगा। किसानों के लिए यह एक बड़ी राहत साबित हो सकती है, क्योंकि इससे उनका विद्युत खर्च बहुत कम हो जाएगा और कृषि उत्पादन में सुधार भी होगा।

क्या है मुख्यमंत्री कृषि विद्युत संबंध योजना?

मुख्यमंत्री कृषि विद्युत संबंध योजना के अंतर्गत राज्य सरकार किसानों को बिना किसी शुल्क के मुफ्त बिजली कनेक्शन उपलब्ध कराएगी। इसका उद्देश्य किसानों को कृषि कार्य के लिए आवश्यक बिजली मुहैया कराना है, ताकि वे अपने खेतों में सिंचाई, बुवाई, और अन्य कृषि कार्यों में बेहतर तरीके से काम कर सकें। इस योजना से किसानों को अपनी आय बढ़ाने का एक बेहतरीन अवसर मिलेगा, साथ ही कृषि क्षेत्र में विकास को भी बढ़ावा मिलेगा।

कौन कर सकता है आवेदन?

यह योजना केवल बिहार राज्य के किसानों के लिए है। जिन किसानों के पास कृषि कार्य के लिए उपयुक्त भूमि है, वे इस योजना का लाभ उठा सकते हैं। योजना का लाभ लेने के लिए किसान अपनी भूमि की जाँच करा सकते हैं और यह सुनिश्चित कर सकते हैं कि वे आवेदन के लिए पात्र हैं।

आवेदन प्रक्रिया

किसान इस मुफ्त बिजली कनेक्शन के लिए 28 फरवरी 2025 तक आवेदन कर सकते हैं। आवेदन के लिए कृषि विभाग द्वारा एक ऑनलाइन ऐप की सुविधा दी गई है, जहां किसान अपने खेतों के लिए कनेक्शन की मांग कर सकते हैं। आवेदन करने के बाद, किसान को निर्धारित प्रक्रिया के तहत कनेक्शन दिया जाएगा।

यूपी में जमीन की रज‍िस्‍ट्री को लेकर सख्त आदेश

लखनऊ: उत्तर प्रदेश में अब घर या ज़मीन की रजिस्ट्री करवाने वालों को कुछ नई और कड़ी शर्तों का पालन करना होगा। अगर आपने रजिस्ट्री में गलत जानकारी दी या कुछ छुपाने की कोशिश की, तो आपको इसका भारी नुकसान हो सकता है। 

बता दें की उत्तर प्रदेश में स्टांप ड्यूटी बचाने के लिए कुछ लोग संपत्ति की रजिस्ट्री में गलत जानकारी देने का प्रयास करते हैं, जिससे सरकार को राजस्व का नुकसान होता है। इसी संदर्भ में स्टांप राज्यमंत्री (स्वतंत्र प्रभार) रवीन्द्र जायसवाल ने हाल ही में एक बयान जारी किया है, जिसमें कुछ महत्वपूर्ण बदलावों और जांच प्रक्रियाओं के बारे में जानकारी दी गई।

सड़क की चौड़ाई में गड़बड़ी

रवीन्द्र जायसवाल के मुताबिक, राजधानी लखनऊ में ही 100 से अधिक मामलों में यह देखा गया है कि संपत्ति की रजिस्ट्री करते समय सड़क की वास्तविक चौड़ाई के बजाय कम चौड़ाई दिखाई गई है। इसका मुख्य कारण यह होता है कि सड़क की चौड़ाई कम होने पर सर्किल रेट (Circle Rate) भी घट जाता है, जिसके परिणामस्वरूप स्टांप ड्यूटी कम बनती है और सरकार को राजस्व का नुकसान होता है। ऐसे मामलों में जांच की जाएगी, और यह आदेश दिए गए हैं कि इस प्रकार के मामलों की जांच विभाग के एआईजी और डीआईजी द्वारा की जाए।

आयकर से बचने की कोशिश

इसके साथ ही कुछ क्रेता संपत्ति की वास्तविक कीमत से कम कीमत पर रजिस्ट्री कराते हैं, ताकि आयकर से बचा जा सके। यानी, अगर कोई संपत्ति मूल्य के हिसाब से महंगी है, तो उसे 30 लाख रुपये से कम कीमत पर रजिस्ट्री कराने की कोशिश की जाती है। इस तरह के मामलों में बाद में सर्किल रेट के हिसाब से स्टांप ड्यूटी का भुगतान किया जा सकता है, जिससे सरकार को नुकसान नहीं होता, लेकिन आयकर की बचत करने की कोशिश साफ दिखाई देती है। ऐसे मामलों में भी जांच की जाएगी।

सरकार आगे की कार्रवाई करेगी

राज्य सरकार ने ऐसे मामलों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई करने की योजना बनाई है। विभागों को निर्देश दिए गए हैं कि इन मामलों की सही तरीके से जांच करें और जो लोग स्टांप ड्यूटी या आयकर बचाने के लिए गलत जानकारी दे रहे हैं, उनके खिलाफ सख्त कानूनी कदम उठाए जाएं। यह कदम स्टांप ड्यूटी के रूप में सरकार के राजस्व में वृद्धि करने के साथ-साथ सही जानकारी प्राप्त करने में भी मदद करेगा।

दुनिया के सबसे स्वच्छ हवा वाले 7 शहर - नई रैंकिंग

न्यूज डेस्क: स्वच्छ हवा हमारे स्वास्थ्य के लिए अत्यंत महत्वपूर्ण है, और यह केवल प्राकृतिक सुंदरता और वातावरण के लिए ही नहीं, बल्कि हमारी जीवनशैली और दीर्घायु के लिए भी जरूरी है। विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) के अनुसार, साफ हवा का मतलब है कि PM2.5 का स्तर 5 माइक्रोग्राम प्रति घन मीटर (µg/m³) या उससे कम होना चाहिए।

PM2.5 और स्वास्थ्य पर प्रभाव

PM2.5 कणों से जुड़े स्वास्थ्य खतरे कई प्रकार के हो सकते हैं। लंबे समय तक इन कणों के संपर्क में रहने से शारीरिक और मानसिक स्वास्थ्य पर गंभीर असर हो सकता है। ये कण फेफड़ों और हृदय से जुड़े रोगों का कारण बन सकते हैं, जैसे कि अस्थमा, ब्रोंकाइटिस, उच्च रक्तचाप, और यहां तक कि समय से पहले मृत्यु का खतरा भी बढ़ा सकते हैं। इसके अलावा, मानसिक स्वास्थ्य पर भी असर हो सकता है, जिससे चिंता (एंग्जायटी) और अवसाद (डिप्रेशन) जैसी समस्याएं हो सकती हैं।

विश्व में सबसे स्वच्छ हवा वाले देश

स्वच्छ हवा की स्थिति अब पहले से कहीं अधिक महत्वपूर्ण हो गई है, और इसके मद्देनज़र, स्विस एयर क्वालिटी टेक्नोलॉजी फर्म IQAir द्वारा 2023 की वर्ल्ड एयर क्वालिटी रिपोर्ट जारी की गई है, जिसमें सात देशों की सूची प्रकाशित की गई है, जहां औसत PM2.5 का स्तर 5 µg/m³ से कम दर्ज किया गया है। इस रिपोर्ट के अनुसार, इन सात देशों में सबसे स्वच्छ हवा पाई गई है:

1 .ऑस्ट्रेलिया, 

2 .एस्टोनिया, 

3 .फिनलैंड

4 .ग्रेनेडा

5 .आइसलैंड

6 .मॉरीशस

7 .न्यूजीलैंड

इन देशों में PM2.5 का औसत स्तर 5 माइक्रोग्राम प्रति घन मीटर (µg/m³) या उससे कम है, जो यह दर्शाता है कि ये देश अपने पर्यावरण को साफ रखने में सफल रहे हैं और यहां के निवासी स्वच्छ हवा का आनंद ले रहे हैं। इन देशों में आइसलैंड सबसे आगे है, जहां PM2.5 का स्तर 4 µg/m³ है। यह स्तर अन्य देशों की तुलना में सबसे कम है, और यह साबित करता है कि आइसलैंड की हवा बेहद शुद्ध है। 

इसके बाद एस्टोनिया (4.7 µg/m³) और फिनलैंड (4.9 µg/m³) आते हैं। इन देशों में वायु प्रदूषण का स्तर बहुत ही कम है, और इनकी सरकारें इस दिशा में कठोर कदम उठा रही हैं ताकि हवा की गुणवत्ता बेहतर बनी रहे। इसके अलावा, कुछ अन्य क्षेत्रों जैसे प्योर्टो रिको, बरमूडा, और फ्रेंच पॉलिनेशिया ने भी WHO के स्वच्छ हवा के मानकों को पूरा किया है। इन जगहों पर PM2.5 का स्तर 5 µg/m³ या उससे कम था, और यह इन स्थानों पर बेहतर वायु गुणवत्ता को दर्शाता है।

नई दिल्ली में 1 से 9 फरवरी तक विश्व पुस्तक मेला

न्यूज डेस्क: दिल्ली में हर साल आयोजित होने वाला विश्व पुस्तक मेला इस बार 1 फरवरी से 9 फरवरी तक भारतीय सांस्कृतिक धरोहर और साहित्य प्रेमियों के लिए एक विशेष आयोजन साबित होने जा रहा है। यह मेला 2025 में भारत मंडपम, नई दिल्ली में आयोजित किया जाएगा। इस बार मेला खास है, क्योंकि इसका थीम 75वें गणतंत्र दिवस पर केंद्रित है, और इसमें 50 देशों के प्रतिभागियों की उपस्थिति देखने को मिलेगी।

बच्चों के लिए खास गतिविधियां

पुस्तक मेले में बच्चों के लिए भी कई विशेष गतिविधियाँ आयोजित की जाएंगी। 'चिल्ड्रन कॉर्नर' नामक पहल के तहत बच्चों के लिए कहानी सुनाने, साहित्य, कला, नृत्य और शिल्प कार्यशालाएं आयोजित की जाएंगी। इस प्रकार बच्चों को किताबों से परिचित कराने और उनकी रचनात्मकता को बढ़ावा देने के लिए यह एक अद्भुत मंच होगा।

टिकटों की कीमत और प्रवेश प्रक्रिया

विश्व पुस्तक मेले में प्रवेश के लिए टिकट की कीमत 20 रुपये प्रति व्यक्ति निर्धारित की गई है। हालांकि, बच्चों के लिए टिकट की कीमत केवल 10 रुपये होगी। इसके अलावा, स्कूल यूनिफॉर्म में आने वाले छात्रों और वरिष्ठ नागरिकों के लिए प्रवेश निःशुल्क रहेगा। टिकट दिल्ली के विभिन्न मेट्रो स्टेशनों से भी खरीदे जा सकते हैं, और ऑनलाइन भी टिकट खरीदी जा सकती है।

ऑनलाइन टिकट खरीदने के लिए, आपको राष्ट्रीय पुस्तक न्यास (NBT) की आधिकारिक वेबसाइट nbtindia.gov.in पर जाना होगा। वहां से आप अपनी पसंदीदा यात्रा तिथि चुन सकते हैं और भुगतान कर टिकट प्राप्त कर सकते हैं। इसके बाद, QR कोड के साथ अपना टिकट डाउनलोड करके मेले में प्रवेश किया जा सकता है।

मेले का समय और प्रवेश द्वार

विश्व पुस्तक मेले का समय सुबह 11 बजे से शाम 8 बजे तक रहेगा। पुस्तक प्रेमी इस समय में मेले का आनंद ले सकते हैं। मेले में प्रवेश के लिए गेट नंबर 10, गेट नंबर 4 और 6 का उपयोग किया जा सकता है। विशेष परिस्थितियों में गेट नंबर 4 और 8 पर व्हीलचेयर की सुविधा भी उपलब्ध रहेगी।

Indigo और Akasa ने 50% घटाए टिकट के दाम

न्यूज डेस्क: प्रयागराज में आयोजित होने वाला महाकुंभ धार्मिक दृष्टि से लाखों श्रद्धालुओं के लिए महत्वपूर्ण है। इस अवसर पर देश-विदेश से लाखों लोग प्रयागराज आते हैं। हाल ही में खबर आई थी कि महाकुंभ के दौरान प्रयागराज जाने वाली फ्लाइट्स के टिकट का किराया अत्यधिक बढ़ा दिया गया था, जिसके कारण यात्रियों को भारी परेशानी का सामना करना पड़ रहा था।

किराया बढ़ने पर उठी थी आवाज

पिछले कुछ दिनों में ये खबरें सामने आई थीं कि पहले जो फ्लाइट्स का किराया 5000-8000 रुपये के बीच था, वही अब बढ़कर 50000-60000 रुपये तक पहुंच गया है। इस कीमत में आई बेतहाशा वृद्धि पर आम जनता और नेताओं ने सरकार से राहत की मांग की थी। 

इंडिगो ने घटाए दाम

इंडिगो एयरलाइन ने अपनी फ्लाइट्स के किराए में 30 से 50 प्रतिशत तक की कमी की घोषणा की। इसके अलावा, इंडिगो ने प्रयागराज के लिए दिल्ली, मुंबई, बेंगलुरु, हैदराबाद, लखनऊ, रायपुर, अहमदाबाद, कोलकाता और जयपुर समेत कई प्रमुख शहरों से विशेष फ्लाइट्स शुरू करने का ऐलान भी किया। इस कदम से यात्रियों को बड़ी राहत मिली है, क्योंकि अब उन्हें महाकुंभ यात्रा के लिए सस्ते दामों पर टिकट मिल सकेंगे।

अकासा एयरलाइन भी मैदान में

इसी बीच, अकासा एयरलाइन ने भी अपने किराए में 30-45 प्रतिशत तक की कमी करने की घोषणा की है। अकासा ने पुणे, हैदराबाद, अहमदाबाद और बेंगलुरु से प्रयागराज के लिए विशेष उड़ानें शुरू करने का ऐलान किया। इस कदम से भी महाकुंभ के लिए आने वाले श्रद्धालुओं को बड़ी राहत मिलेगी, क्योंकि अब उन्हें पहले से तय किए गए किराए पर ही टिकट मिल सकेंगे, और महंगे टिकटों के कारण यात्रा करने में कोई बाधा नहीं आएगी।

चीन की वजह से भारत को वीटो पावर में अड़चन

नई दिल्ली: भारत के संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद (UNSC) में स्थायी सदस्यता प्राप्त करने के प्रयास लगातार जारी हैं, लेकिन इसके रास्ते में सबसे बड़ी अड़चन चीन बन चुका है। भारत की स्थायी सदस्यता की कोशिशों को लेकर दुनिया के कई प्रमुख देशों का समर्थन प्राप्त है, लेकिन चीन के विरोध ने इसे एक बड़ा चुनौतीपूर्ण मसला बना दिया है। यह विरोध न केवल भारत की वैश्विक भूमिका को प्रभावित करता है, बल्कि दक्षिण एशियाई क्षेत्रीय राजनीति में भी कई सवाल खड़े कर देता है।

चीन का विरोध

भारत को UNSC में स्थायी सदस्यता दिलाने की दिशा में चीन की लगातार रोकथाम एक गंभीर समस्या बन चुकी है। चीन न केवल भारत के क्षेत्रीय प्रतिद्वंद्वी के रूप में खड़ा है, बल्कि वह जानबूझकर UNSC में भारत की स्थायी सदस्यता को लेकर विरोध करता है। चीन का यह कदम उसकी वैश्विक रणनीति और दक्षिण एशिया में अपनी प्रभावशाली स्थिति बनाए रखने के लिए अहम है। चीन भारत को UNSC में एक शक्तिशाली सदस्य के रूप में नहीं देखना चाहता, क्योंकि इससे उसकी क्षेत्रीय और वैश्विक स्थिति को चुनौती मिल सकती है।

अमेरिका, रूस, फ्रांस, ब्रिटेन का समर्थन

हालांकि, भारत को UNSC में स्थायी सदस्यता दिलाने के लिए कई देशों का समर्थन प्राप्त है। अमेरिका, रूस, फ्रांस और ब्रिटेन जैसे प्रमुख देशों ने भारत के पक्ष में अपनी आवाज उठाई है। इन देशों के समर्थन से भारत को वैश्विक स्तर पर काफी बल मिला है। अमेरिका ने भारत के स्थायी सदस्यता के हक में बयान दिया है, जबकि रूस और फ्रांस भी इस मुद्दे पर भारत के साथ खड़े हैं। ब्रिटेन ने भी भारत की भूमिका को मान्यता दी है और UNSC में सुधारों के पक्ष में बात की है।

भारतीय कूटनीति का महत्व

भारत की कूटनीतिक पहल और वैश्विक मंचों पर सक्रियता ने उसे कई देशों का समर्थन दिलवाया है। भारतीय प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कई अंतरराष्ट्रीय मंचों पर भारत के UNSC में स्थायी सदस्यता का मुद्दा उठाया है और इसे सही ठहराया है। भारत की आर्थिक और सैन्य ताकत को भी उसकी स्थायी सदस्यता की मांग को मजबूती मिल रही है, जिससे वह UNSC के मामलों में अधिक प्रभावी भूमिका निभा सकता है।

यूपी के टॉप-5 मेडिकल कॉलेज, MBBS फीस है कम

लखनऊ: उत्तर प्रदेश में कई मेडिकल कॉलेज उच्च गुणवत्ता वाली शिक्षा के साथ-साथ कम फीस भी प्रदान करते हैं, जिससे छात्रों को एक बेहतरीन मेडिकल शिक्षा प्राप्त होती है। चाहे आप सरकारी कॉलेज में अध्ययन करना चाहें या किसी प्रतिष्ठित निजी कॉलेज में, इन कॉलेजों में फीस कम होने के बावजूद शिक्षा का स्तर उत्कृष्ट है।

यूपी के टॉप-5 मेडिकल कॉलेज, MBBS फीस है कम. 

1 .एम्स गोरखपुर (AIIMS Gorakhpur)

एम्स गोरखपुर उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के संसदीय क्षेत्र में स्थित है। यह कॉलेज देशभर में अपनी बेहतरीन मेडिकल शिक्षा के लिए प्रसिद्ध है। एम्स गोरखपुर में फीस बेहद कम है, मात्र 6100 रुपये सालाना, जो बाकी मेडिकल कॉलेजों से काफी कम है। यह कॉलेज छात्रों को एक बेहतरीन चिकित्सा शिक्षा प्रदान करने के साथ-साथ उच्चतम स्तर के प्रशिक्षण की सुविधा भी देता है।

2 .उत्तर प्रदेश यूनिवर्सिटी ऑफ मेडिकल साइंसेज

यह विश्वविद्यालय कई मेडिकल और हेल्थ साइंसेज के कोर्सेस जैसे MBBS, BDS आदि के लिए जाना जाता है। यहाँ की सालाना फीस सिर्फ 81,000 रुपये है, जो की काफी सस्ती है। इस विश्वविद्यालय से छात्रों को गुणवत्तापूर्ण चिकित्सा शिक्षा मिलती है, और वे आसानी से डॉक्टर बनने के बाद अच्छी स्थिति में नौकरी पा सकते हैं।

3 .बनारस हिंदू यूनिवर्सिटी (BHU)

बनारस हिंदू यूनिवर्सिटी (BHU) न केवल एक प्रमुख शैक्षिक संस्थान है, बल्कि मेडिकल शिक्षा में भी यह कॉलेज बहुत ही प्रतिष्ठित है। BHU के मेडिकल कॉलेज में हर साल की फीस 1.5 लाख रुपये के आसपास होती है। यह विश्वविद्यालय मेडिकल शिक्षा के क्षेत्र में एक बेहतरीन संस्थान माना जाता है, और यहाँ से स्नातक और स्नातकोत्तर दोनों प्रकार के मेडिकल कोर्स कराए जाते हैं।

4 .अलीगढ़ मुस्लिम यूनिवर्सिटी (AMU)

अलीगढ़ मुस्लिम यूनिवर्सिटी (AMU) भी देश के सबसे सम्मानित और प्रतिष्ठित मेडिकल कॉलेजों में से एक है। यहाँ MBBS और अन्य मेडिकल कोर्सेस की फीस लगभग 2.2 लाख रुपये प्रति वर्ष है। AMU में अध्ययन करने का अनुभव छात्रों को न केवल उन्नत चिकित्सा शिक्षा प्रदान करता है, बल्कि यहां के शिक्षक और सुविधाएं भी बहुत ही उच्च स्तर की होती हैं।

5 .किंग जॉर्ज मेडिकल यूनिवर्सिटी (KGMU)

किंग जॉर्ज मेडिकल यूनिवर्सिटी, लखनऊ में स्थित है और यह उत्तर प्रदेश के सबसे प्रसिद्ध मेडिकल कॉलेजों में से एक है। यहाँ की फीस लगभग 2.5 लाख रुपये प्रति वर्ष होती है। KGMU में मेडिकल शिक्षा का स्तर बहुत ही उच्च है, और यह कॉलेज अपने छात्रों को बेहतरीन क्लीनिकल प्रशिक्षण, रिसर्च और अन्य शैक्षिक अवसर प्रदान करता है।

अमेरिका का पहला '6th' जेनरेशन एटमी बॉम्बर

न्यूज डेस्क: अमेरिका ने हाल ही में अपने पहले "6th जेनरेशन" एटमी बॉम्बर B-21 Raider का निर्माण कर लिया है, जो दुनिया का सबसे आधुनिक, खतरनाक और चुपचाप हमला करने वाला बमवर्षक माना जा रहा है। यह बमवर्षक अमेरिका की रक्षा क्षमताओं में एक नई क्रांति ला सकता है और इसके चलते अमेरिका के विमानन और सैन्य रणनीतियों में अहम बदलाव की संभावना है।

B-21 Raider का विकास और उद्देश्य:

B-21 Raider को Northrop Grumman द्वारा विकसित किया गया है, और इसका डिज़ाइन आधुनिक स्टेल्थ तकनीक पर आधारित है, जो इसे radar से पूरी तरह से अदृश्य बनाता है। इसका मतलब है कि यह बॉम्बर दुश्मन की रक्षा प्रणालियों से बचने में सक्षम होगा, जिससे यह एक बेहद खतरनाक और प्रभावी हमला करने वाली मशीन बन जाएगा।

तकनीकी विशेषताएँ:

स्टेल्थ तकनीक: B-21 Raider में अत्याधुनिक स्टेल्थ तकनीक का उपयोग किया गया है, जिससे यह दुश्मन के रडार से बचकर आसानी से किसी भी लक्ष्य पर हमला कर सकता है।

बड़े रेंज: यह बॉम्बर लंबी दूरी तक उड़ान भरने में सक्षम है, जिससे यह किसी भी प्रकार के मिशन को बहुत दूर तक भी अंजाम दे सकता है।

सुरक्षा और उन्नत क्षमता: इसके अलावा, B-21 Raider की डिज़ाइन ऐसी है कि इसे उच्च सुरक्षा वाले परमाणु हथियारों के साथ भी इस्तेमाल किया जा सकता है। यह महत्वपूर्ण रणनीतिक हमलों के लिए तैयार किया गया है।

यूएस एयरफोर्स की योजना: US Air Force ने यह घोषणा की है कि 2025-26 तक वह 100 B-21 Raider बॉम्बर्स खरीदेगी, और 2030 तक इन्हें पुराने B-2 और B-1B बॉम्बर्स की जगह तैनात किया जाएगा। इन बॉम्बर्स को उन्नत मिसाइलों और परमाणु हथियारों से लैस किया जाएगा, और इनकी तैनाती से अमेरिका की रणनीतिक हमलावर क्षमताओं में जबरदस्त इजाफा होगा।

रक्षा बलों पर प्रभाव: B-21 Raider के आने से अमेरिका के एटमी हमलावर विमान और लंबी दूरी के हमलों की क्षमता में बड़ा बदलाव आ सकता है। इसके साथ ही, यह अमेरिका को एक अत्याधुनिक और सुरक्षित रक्षा प्रणाली उपलब्ध कराएगा, जो दुनिया के किसी भी अन्य देश से भी सुरक्षित और सक्षम होगा। इसके अलावा, यह अन्य देशों के लिए एक चेतावनी भी हो सकती है, क्योंकि इससे अमेरिका की ताकत को और अधिक बढ़ावा मिलेगा।

यूपी में 10वीं/12वीं/ग्रेजुएट के लिए बंपर भर्तियां

लखनऊ: यूपी में 10वीं/12वीं/ग्रेजुएट के लिए बंपर भर्तियां होने वाली हैं। ताजा रिपोर्ट के मुताबिक किंग जॉर्ज मेडिकल यूनिवर्सिटी उत्तर प्रदेश केजीएमयू लखनऊ ने विभिन्न नॉन टीचिंग ग्रुप बी और ग्रुप सी पोस्ट भर्ती 2024 का विज्ञापन जारी किया है। 

यदि आप केजीएमयू नॉन टीचिंग रिक्ति के लिए इच्छुक हैं तो 03 मार्च 2025 तक ऑनलाइन आवेदन कर सकते हैं। केजीएमयू नॉन टीचिंग 2024 भर्ती से संबंधित अन्य जानकारी जैसे आयु सीमा, योग्यता, वेतनमान और अन्य सभी जानकारी के लिए विज्ञापन पढ़ें और फिर आवेदन करें।

पद का नाम : कंप्यूटर प्रोग्रामर, सहायक सुरक्षा अधिकारी, लाइब्रेरियन ग्रेड-2, फार्मासिस्ट ग्रेड-2, रिसेप्शनिस्ट, चिकित्सा समाज सेवा अधिकारी, जूनियर मेडिकल लैब टेक्नोलॉजिस्ट (लैब), अन्य पद। 

पदों की संख्या : कुल 322 पद। 

योग्यता : इन पदों पर आवेदन करने के लिए उम्मीदवारों की योग्यता पदों के अनुसार 10वीं/12वीं/ग्रेजुएट/पोस्टग्रेजुएट्स/डिग्री/डिप्लोमा आदि निर्धारित किया गया हैं। 

आयु सीमा : इन पदों पर आवेदन करने के लिए उम्मीदवारों की न्यूनतम आयु सीमा 18 वर्ष, जबकि अधिकतम आयु सीमा 40 वर्ष निर्धारित किया गया हैं। 

चयन प्रक्रिया : भर्ती नोटिफिकेशन के अनुसार इन पदों पर उम्मीदवारों का चयन टेस्ट के द्वारा होगा। अधिक जानकारी के लिए नोटिश देखें। 

आवेदन प्रक्रिया : इच्छुक और योग्य उम्मीदवार किंग जॉर्ज मेडिकल यूनिवर्सिटी उत्तर प्रदेश की वेबसाइट पर जा कर नोटिश को पढ़ें और आवेदन करें।

आवेदन शुल्क: सामान्य/ओबीसी/ईडब्ल्यूएस के लिए 2360/-, एससी/एसटी के लिए 1416/-, परीक्षा शुल्क का भुगतान केवल डेबिट कार्ड / क्रेडिट कार्ड / नेट बैंकिंग / यूपीआई शुल्क मोड के माध्यम से करें।

आधिकारिक वेबसाइट : https://jobportal.kgmu.org/

बिहार में मिड-डे मील मेन्यू में बदलाव, छात्र होंगे खुश

पटना: बिहार के सरकारी स्कूलों में पढ़ाई करने वाले बच्चों के लिए एक बड़ी खबर आ रही हैं। ताजा रिपोर्ट के मुताबिक बिहार के स्कूलों में मिड-डे मील मेन्यू में बदलाव होने जा रहा हैं। यह बदलाव 15 फरवरी 2025 से लागू होगा। अब मिड-डे मील में बच्चों को हर दिन कुछ नया और पोषण से भरपूर भोजन मिलेगा।

नए मेन्यू में बदलाव:

शनिवार को खिचड़ी: पहले शनिवार और बुधवार को खिचड़ी दी जाती थी, लेकिन अब केवल शनिवार को खिचड़ी मिलेगी। यह बदलाव बच्चों के लिए उत्साहजनक होगा क्योंकि खिचड़ी एक पौष्टिक और प्रिय भोजन है।

शुक्रवार को छोला: पहले शुक्रवार को पुलाव दिया जाता था, लेकिन अब इसे चावल और लाल चने के छोले से बदला जाएगा। यह परिवर्तन बच्चों के लिए स्वादिष्ट और पौष्टिक दोनों होगा, क्योंकि छोला एक प्रोटीन से भरपूर व्यंजन है।

मंगलवार का भोजन: मंगलवार को पहले जीरा चावल दिया जाता था, लेकिन अब इसकी जगह चावल और सोयाबीन-आलू की सब्जी दी जाएगी। यह बदलाव बच्चों के लिए एक नया और स्वादिष्ट विकल्प होगा, साथ ही सोयाबीन प्रोटीन का एक अच्छा स्रोत है।

सोमवार और गुरुवार को तड़का और चावल: पहले इन दिनों में अलग-अलग प्रकार का भोजन दिया जाता था, लेकिन अब दोनों दिनों में बच्चों को तड़का और चावल मिलेगा। इस तड़के में हरी सब्जियां भी मिलेंगी, जिससे बच्चों को विटामिन और मिनरल्स का अच्छा स्रोत मिलेगा।

इस बदलाव से बच्चों को न केवल स्वाद में विविधता मिलेगी, बल्कि उनकी सेहत को भी लाभ होगा। बच्चों को अब और बेहतर पोषण मिलेगा और वे मिड-डे मील को और अधिक उत्सुकता के साथ खाएंगे। यह कदम राज्य सरकार के लिए एक महत्वपूर्ण प्रयास है ताकि बच्चों का स्वास्थ्य और विकास सुनिश्चित किया जा सके।

यूपी में इन कर्मचारियों के सैलरी-प्रमोशन पर रोक

लखनऊ: उत्तर प्रदेश में राज्य कर्मचारियों के लिए एक बड़ी खबर सामने आई है। राज्य सरकार ने तय किया है कि जो कर्मचारी अपनी संपत्ति का ब्योरा मानव संपदा पोर्टल पर नहीं देंगे, उनके वेतन और पदोन्नति पर रोक लगाई जाएगी। यह कदम तब उठाया जा रहा है जब कर्मचारियों की ओर से पोर्टल पर संपत्ति का विवरण देने में अनियमितता पाई गई है।

राज्य सरकार ने कर्मचारियों से पोर्टल पर अपनी चल और अचल संपत्ति का पूरा विवरण देने का निर्देश दिया था। यह प्रक्रिया 2024 के अंत तक पूरी होनी थी, लेकिन अब अंतिम तिथि 31 जनवरी 2025 निर्धारित की गई है। हालांकि, गुरुवार तक केवल 52 प्रतिशत कर्मचारियों ने ही पोर्टल पर अपनी संपत्ति की जानकारी दी है। यह आंकड़ा कुल 8.32 लाख कर्मचारियों में से 4.33 लाख का है। बाकी 48 प्रतिशत कर्मियों ने अब तक अपना विवरण नहीं भरा है।

सरकार का कहना है कि कर्मचारियों द्वारा संपत्ति का विवरण न देने से पारदर्शिता और जवाबदेही में कमी आ रही है। खासकर ऐसे समय में जब सरकारी कर्मचारियों की संपत्ति की जांच और संपत्ति निर्धारण को लेकर सख्त नियम लागू किए जा रहे हैं। इसके अलावा, सरकार ने यह भी साफ किया है कि जो कर्मचारी इस कार्य में लापरवाही बरतेंगे, उनकी पदोन्नति और वेतन वृद्धि पर प्रभाव पड़ेगा।

इस दिशा में राज्य सरकार ने आदेश जारी करने की प्रक्रिया शुरू कर दी है और जल्द ही सख्त कदम उठाए जा सकते हैं। इसके तहत उन कर्मचारियों के खिलाफ कार्रवाई हो सकती है जो बिना उचित कारण के संपत्ति विवरण नहीं देंगे। सरकारी अधिकारियों का कहना है कि यह कदम न सिर्फ सरकारी कर्मचारियों की पारदर्शिता बढ़ाने के लिए है, बल्कि यह भ्रष्टाचार पर भी रोक लगाने में मदद करेगा।

भारत का वो 'शेर' जिसने उड़ा दिए थें पाकिस्तान के 8 टैंक

न्यूज डेस्क: अब्दुल हमीद का नाम भारतीय सैन्य इतिहास में हमेशा स्वर्णाक्षरों में लिखा जाएगा। 1965 के भारत-पाक युद्ध में उनकी अदम्य वीरता और बलिदान ने उन्हें अमर बना दिया। वह व्यक्ति थे, जिन्होंने अकेले ही पाकिस्तान के अजेय माने जाने वाले अमेरिकन पैटन टैंकों को ध्वस्त करके इतिहास रचा। उनकी वीरता न केवल भारत, बल्कि पूरी दुनिया में छा गई, और अमेरिका तक इस असाधारण घटना की गूंज पहुंची।

प्रारंभिक जीवन और सैन्य कैरियर

वीर अब्दुल हमीद का जन्म उत्तर प्रदेश के गाजीपुर जिले के धामूपुर गांव में 1 जुलाई, 1933 में हुआ था। वह भारतीय सेना के 4 गोरखा राइफल्स में हवलदार के पद पर तैनात थे। एक साहसी और बहादुर सैनिक के रूप में उनकी पहचान बनी। अपनी सेवा के दौरान उन्होंने कई कठिन परिस्थितियों का सामना किया और हर बार अपने कर्तव्य के प्रति निष्ठा और वीरता का परिचय दिया।

1965 का भारत-पाक युद्ध

1965 में भारत-पाकिस्तान के बीच युद्ध छिड़ गया था, जिसमें पाकिस्तान ने भारत के खेमकरण सेक्टर पर हमला किया। पाकिस्तान ने इस हमले में अमेरिकी पैटन टैंकों का इस्तेमाल किया था, जिन्हें उस समय अजेय माना जाता था। इन टैंकों के सामने भारतीय सैनिकों को लड़ाई कठिन लग रही थी। लेकिन अब्दुल हमीद ने इस चुनौती को स्वीकार किया और अपनी सूझबूझ और साहस से उसे मात दी।

8 सितंबर, 1965 को अब्दुल हमीद अपनी जीप में सवार होकर गन्ने के खेतों से गुजर रहे थे, तभी उन्होंने पाकिस्तान के टैंकों के आने की आवाज सुनी। तुरंत ही वह गन्ने के खेतों में छिप गए और अपनी रिकॉयलेस गन (आरसीएच) का सही उपयोग करने का अवसर इंतजार करने लगे। जैसे ही पाकिस्तानी टैंक उनकी रेंज में आए, अब्दुल हमीद ने बिना किसी झिझक के फायरिंग शुरू कर दी। एक ही बार में उन्होंने चार पाकिस्तानी टैंकों को ध्वस्त कर दिया। यह घटना युद्ध के इतिहास में एक महत्वपूर्ण मोड़ साबित हुई।

आठ टैंक नष्ट किए

अब्दुल हमीद की वीरता यहीं खत्म नहीं हुई। अगले दिन, 9 सितंबर, 1965 को अब्दुल ने तीन और पाकिस्तानी टैंकों को नष्ट कर दिया। लेकिन उनका मिशन अभी खत्म नहीं हुआ था। एक और टैंक को निशाना बनाने के दौरान पाकिस्तानी सेना ने चारों ओर से उन पर गोलीबारी शुरू कर दी। बावजूद इसके, अब्दुल हमीद ने डटे रहकर पाकिस्तान के आठवें टैंक को भी नष्ट कर दिया। इस बहादुरी के बाद, जब पाकिस्तानी सेना ने उन्हें चारों ओर से घेर लिया, तो वीर अब्दुल हमीद शहीद हो गए।

मरणोपरांत परमवीर चक्र

अब्दुल हमीद की वीरता ने भारतीय सेना और राष्ट्र को गर्व महसूस कराया। उनकी बहादुरी के लिए उन्हें मरणोपरांत परमवीर चक्र, भारत के सर्वोच्च सैन्य सम्मान से नवाजा गया। उनकी वीरता का सम्मान न केवल भारत में, बल्कि पूरे विश्व में किया गया।

अमेरिकी भी हुए हैरान

अब्दुल हमीद की बहादुरी की गूंज अमेरिका तक पहुंची। अमेरिका के सैन्य अधिकारियों ने पाकिस्तान के पैटन टैंकों की फिर से समीक्षा की, क्योंकि यह टैंक उस समय अपराजेय माने जाते थे। अब्दुल की छोटी सी रिकॉयलेस गन से इन टैंकों का नष्ट होना उनके लिए एक बड़ा रहस्य बन गया।

डाक टिकट और सम्मान

भारत सरकार ने 28 जनवरी, 2000 को वीर अब्दुल हमीद की बहादुरी को सम्मानित करते हुए एक डाक टिकट जारी किया। इस डाक टिकट पर उनकी तस्वीर थी, जिसमें वह रिकॉयलेस गन से फायर करते हुए अपनी जीप पर सवार नजर आ रहे थे। यह डाक टिकट भारतीय वीरता और बहादुरी का प्रतीक बन गया।

यूपी के 12 जिलों को सीएम योगी ने दी बड़ी सौगात

लखनऊ: उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने राज्य के 12 जिलों में शिक्षा व्यवस्था को और सशक्त बनाने के लिए एक महत्वपूर्ण कदम उठाया है। ताजा रिपोर्ट के मुताबिक इन जिलों में मुख्यमंत्री अभ्युदय योजना के तहत स्कूलों का निर्माण कराया जाएगा। यह योजना प्रदेश के बच्चों को उच्च गुणवत्ता वाली शिक्षा देने के लिए बनाई गई है, जिससे उन्हें कांवेंट स्कूलों जैसी सुविधाएं मिल सकेंगी। 

इस परियोजना में लगभग 1619.56 करोड़ रुपए की लागत से नए स्कूलों का निर्माण होगा, और इसका उद्देश्य बच्चों को एक बेहतर और आधुनिक शैक्षिक माहौल प्रदान करना है। इन स्कूलों का निर्माण बरेली, शाहजहांपुर, एटा, संभल, बिजनौर, अमरोहा सहित प्रदेश के कुल 12 जिलों में किया जाएगा। 

इस पहल के तहत, न केवल बच्चों के लिए कक्षा और अन्य शैक्षिक सुविधाएं बनाई जाएंगी, बल्कि स्कूलों में दिव्यांग बच्चों के लिए शौचालय की व्यवस्था, गार्ड रूम, लाइब्रेरी, किचन शेड, रसोइया के लिए व्यवस्था और बच्चों को मध्याह्न भोजन (MDM) प्रदान करने के लिए पूरी सुविधाएं भी मुहैया कराई जाएंगी।

इसके अतिरिक्त, बच्चों के हाथ धोने के लिए विशेष स्थान बनाए जाएंगे और स्कूल भवन को भव्य रूप से सजाया जाएगा, जिसमें फुलवारी सजावट और एलईडी लाइट की व्यवस्था होगी। इस परियोजना का मुख्य उद्देश्य बच्चों को एक ऐसा वातावरण देना है, जिसमें उनकी शिक्षा की गुणवत्ता में सुधार हो और वे बेहतर तरीके से आगे बढ़ सकें।

मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने इस योजना को बच्चों के भविष्य को बेहतर बनाने के एक महत्वपूर्ण कदम के रूप में देखा है। इस परियोजना के तहत बनाए जा रहे स्कूलों से प्रदेश के बच्चों को गुणवत्तापूर्ण शिक्षा का लाभ मिलेगा, जिससे उनका समग्र विकास संभव हो सकेगा।

बिहार में अतिथि शिक्षकों की सेवा समाप्ति का आदेश रद्द

पटना: बिहार राज्य के अतिथि शिक्षकों को पटना हाई कोर्ट से एक बड़ी राहत मिली है। न्यायमूर्ति पूर्णेन्दु सिंह की एकल पीठ ने राज्य सरकार द्वारा जारी अतिथि शिक्षकों की सेवा समाप्ति के आदेश को रद्द कर दिया है। अदालत ने यह स्पष्ट किया कि राज्य सरकार को बिना उचित सुनवाई का अवसर दिए इन शिक्षकों की सेवा समाप्त नहीं कर सकती है।

यह आदेश अतिथि शिक्षक राजेश कुमार सिंह और अन्य द्वारा दायर की गई याचिका पर सुनवाई के बाद आया। याचिकाकर्ताओं ने अदालत में आरोप लगाया था कि उन्हें सेवा समाप्ति से पहले अपनी बात रखने का मौका नहीं दिया गया था, जो कि संविधान के तहत उनकी मौलिक अधिकारों का उल्लंघन है।

कोर्ट ने यह भी कहा कि राज्यपाल के अनुमोदन से जारी अधिसूचना को किसी कार्यकारी आदेश के माध्यम से समाप्त नहीं किया जा सकता। राज्य सरकार ने 30 मार्च 2024 को माध्यमिक शिक्षा निदेशक द्वारा एक पत्र जारी किया था, जिसके तहत अतिथि शिक्षकों की सेवा समाप्ति का आदेश दिया गया था। कोर्ट ने इसे रद्द कर दिया और संबंधित अधिकारियों को निर्देश दिया कि वे प्रभावित अतिथि शिक्षकों का पक्ष सुनने के लिए उन्हें उचित अवसर प्रदान करें।

इसके अलावा, कोर्ट ने निर्देश दिए कि संबंधित अधिकारी तत्काल प्रभाव से अपनी कार्यवाही में सुधार करें और सभी प्रभावित अतिथि शिक्षकों को सुनवाई का अवसर प्रदान करें, ताकि तर्कसंगत और कानूनी आदेश जारी किया जा सके। इस फैसले से राज्य के हजारों अतिथि शिक्षकों को उम्मीद की एक नई किरण मिली है, और अब वे अपने मामलों को उचित तरीके से प्रस्तुत कर सकेंगे। 

यह निर्णय बिहार सरकार के लिए एक सख्त संदेश है कि सरकारी आदेशों में पारदर्शिता और कानूनी प्रक्रिया का पालन आवश्यक है। अदालत ने यह भी स्पष्ट किया कि भविष्य में कोई भी सेवा समाप्ति का आदेश तब तक प्रभावी नहीं होगा जब तक संबंधित कर्मचारियों को उचित सुनवाई का अवसर न दिया जाए।

भारत के ये 5 फ्यूचर वेपन, चीन-पाक के लिए काल

नई दिल्ली: भारत ने अपनी रक्षा क्षमताओं को लगातार मजबूत किया है और इसके लिए कई नई और अत्याधुनिक हथियार प्रणालियाँ विकसित की जा रही हैं। इनमें से कुछ हथियार भविष्य में भारतीय सेना की शक्ति को कई गुना बढ़ा सकते हैं। इनमें अग्नि-6 मिसाइल, 5.5 जनरेशन फाइटर जेट, दुर्गा-2 लेजर हथियार, ब्रह्मोस-2, और हाइपरसोनिक ग्लाइड व्हीकल जैसे प्रमुख प्रौद्योगिकी शामिल हैं। 

1. अग्नि-6 मिसाइल

अग्नि-6 एक लंबी दूरी की बैलिस्टिक मिसाइल है, जो भारतीय परमाणु त्रय का हिस्सा है। यह अग्नि शृंखला की छठी मिसाइल है और इसमें अत्यधिक वृद्धि की गई है। इसका मुख्य उद्देश्य दुश्मन के ठिकानों को सटीकता से नष्ट करना है। यह 10,000 किलोमीटर से अधिक की दूरी तक परमाणु और पारंपरिक वारहेड्स को लेकर जा सकती है। अग्नि-6 में मल्टी-स्टेज रॉकेट तकनीक, उन्नत मार्गदर्शन प्रणाली, और नवीनतम सुरक्षा प्रौद्योगिकियों का उपयोग किया गया है।

2. 5.5 जनरेशन फाइटर जेट

भारत ने अपनी वायु सेना को और अधिक मजबूत करने के लिए 5.5 जनरेशन के लड़ाकू विमान विकसित करने की योजना बनाई है। ये विमान, जिनमें अत्याधुनिक रडार, स्टील्थ तकनीक, और उन्नत हथियार प्रणालियाँ होंगी, चीन और पाकिस्तान जैसे देशों के खिलाफ भारतीय वायु सेना की सटीकता और शक्ति को बढ़ाएँगे। इन जेटों में नई एयर-टू-एयर मिसाइलों, बेहतर इंजन और उन्नत एवियोनिक्स की क्षमता होगी। 5.5 जनरेशन के जेट में फ्यूल एफिशियेंसी भी काफी बेहतर होगी, जिससे लंबी दूरी तक हमला करने की क्षमता मिलेगी।

3. दुर्गा-2 लेजर हथियार

दुर्गा-2 लेजर हथियार प्रणाली भारत का एक और शानदार विकास है, जो दुश्मन के राडार, मिसाइल, और अन्य इलेक्ट्रॉनिक उपकरणों को निशाना बनाने में सक्षम है। इस तकनीक में उच्च शक्ति वाली लेजर किरणों का इस्तेमाल करके दुश्मन के मिसाइलों और ड्रोन को नष्ट किया जा सकता है। यह हथियार प्रणाली शारीरिक रूप से शक्तिशाली तो है ही, इसके अलावा यह एक किफायती और प्रभावी रक्षा उपाय भी साबित हो सकता है, क्योंकि इसमें मिसाइल या अन्य पारंपरिक हथियारों की तुलना में बहुत कम लागत आती है।

4. ब्रह्मोस-2

ब्रह्मोस-2 एक उच्च गति वाली हाइपरसोनिक क्रूज मिसाइल है, जिसे भारत और रूस ने संयुक्त रूप से विकसित किया जा रहा है। यह मिसाइल मैक 6 की गति से उड़ान भर सकती है और इसमें अत्याधुनिक नेविगेशन और मार्गदर्शन प्रणाली होती है। ब्रह्मोस-2 का लक्ष्य दुश्मन के जहाजों, पनडुब्बियों, और ठिकानों को सटीकता से नष्ट करना है। इस मिसाइल की सबसे बड़ी खासियत इसकी गति और लचीला उपयोग है, जो इसे समुद्री, हवाई और भूमि आधारित दोनों मंचों पर प्रभावी बनाती है।

5. हाइपरसोनिक ग्लाइड व्हीकल (HGV)

भारत ने हाइपरसोनिक ग्लाइड व्हीकल (HGV) का विकास किया है, जो ध्वनि की गति से पांच गुना (5 माच) से अधिक गति से उड़ान भरने में सक्षम है। इस प्रणाली का मुख्य उद्देश्य दुश्मन के एंटी-मिसाइल सिस्टम को चकमा देना और अपने लक्ष्य को सटीकता से नष्ट करना है। हाइपरसोनिक ग्लाइड व्हीकल किसी भी पारंपरिक मिसाइल की तुलना में कहीं अधिक तेज और प्रभावी है। इसकी गति और क्षमता के कारण यह दुश्मन की किसी भी रक्षा प्रणाली को पार कर सकती है, जिससे यह एक प्रमुख रणनीतिक हथियार बन जाता है।

AAP या BJP? नए सर्वे में कौन जीत रहा है दिल्ली?

नई दिल्ली: दिल्ली विधानसभा चुनाव 2025 को लेकर विभिन्न सर्वे रिपोर्ट्स सामने आ रही हैं, जो राजनीतिक हलकों में चर्चा का कारण बन रही हैं। इनमें से टाइम्स नाउ जेवीसी पोल, सी-वोटर सर्वे और NACDOR सर्वे का विश्लेषण सबसे अहम है। इन सर्वे रिपोर्ट्स में दिल्ली में आगामी चुनावों के परिणाम को लेकर कई दिलचस्प बिंदुओं पर चर्चा की गई है।

टाइम्स नाउ जेवीसी पोल: करीबी मुकाबला

टाइम्स नाउ जेवीसी पोल के मुताबिक, दिल्ली में इस बार आम आदमी पार्टी (AAP) और भारतीय जनता पार्टी (BJP) के बीच एक कड़ा मुकाबला देखने को मिल सकता है। इस सर्वे में यह अनुमान जताया गया है कि आम आदमी पार्टी की सीटों में गिरावट हो सकती है। हालांकि, सर्वे में यह भी बताया गया है कि महिला वोटर्स इस बार चुनाव में महत्वपूर्ण भूमिका निभा सकती हैं।

महिला वोटर्स के लिए किए गए वादे, जैसे मुफ्त सेवाएं और कल्याणकारी योजनाएं, खासकर दिल्ली के वोटर्स को आकर्षित कर रही हैं। सर्वे का निष्कर्ष यह है कि इस बार आम आदमी पार्टी की सीटों में गिरावट हो सकती है, लेकिन चुनाव परिणाम पूरी तरह से अनिश्चित है और महिला वोटरों का रुझान महत्वपूर्ण होगा।

सी-वोटर सर्वे: फिर से AAP की सरकार?

सी-वोटर सर्वे के अनुसार, दिल्ली में आम आदमी पार्टी को फिर से सत्ता में आने की संभावना है। इस सर्वे में 51 प्रतिशत लोगों ने कहा कि अरविंद केजरीवाल की पार्टी एक बार फिर सत्ता में आ सकती है। वहीं, 42 प्रतिशत लोगों का मानना है कि इस बार सत्ता परिवर्तन हो सकता है और भाजपा दिल्ली की सरकार बना सकती है।

दिल्ली में भाजपा के पक्ष में रुझान बढ़ने का कारण यह है कि जिन लोगों ने सत्ता बदलने की इच्छा जताई, वे कांग्रेस की जगह भाजपा को अपना समर्थन दे सकते हैं। सर्वे में यह भी कहा गया है कि इस बार विधानसभा चुनावों में भाजपा की सीटें बढ़ सकती हैं। हालांकि, करीब 10 से 15 प्रतिशत लोगों ने कहा कि चुनाव परिणाम काफी असमंजस में रह सकते हैं, जिससे यह स्पष्ट होता है कि यह चुनाव कांटे की टक्कर वाला हो सकता है।

NACDOR सर्वे: दलित वोटर्स का महत्व ज्यादा 

राष्ट्रीय दलित संगठनों के परिसंघ (NACDOR) ने दलित समुदाय के वोटर्स पर आधारित एक सर्वे किया, जिसमें दिल्ली के 6,256 लोगों को शामिल किया गया। इस सर्वे के अनुसार, दलित वोटर्स का झुकाव इस बार आम आदमी पार्टी की ओर अधिक है।

सर्वे में पाया गया कि 44 प्रतिशत दलित वोटर आम आदमी पार्टी को वोट देने की योजना बना रहे हैं, जबकि 32 प्रतिशत भाजपा और 21 प्रतिशत कांग्रेस के पक्ष में हैं। NACDOR सर्वे के अनुसार, दलित समुदाय की तरफ से आम आदमी पार्टी को 35 सीटें मिल सकती हैं, जबकि भाजपा को 28 और कांग्रेस को सात सीटों का समर्थन मिल सकता है।

चीन और अमेरिका के बीच 'साइलेंट युद्ध', पढ़ें रिपोर्ट

न्यूज डेस्क: आज के वैश्विक परिपेक्ष्य में चीन और अमेरिका के बीच प्रतिस्पर्धा केवल व्यापारिक या कूटनीतिक नहीं रही है। यह प्रतिस्पर्धा अब एक "साइलेंट युद्ध" के रूप में बदल चुकी है, जिसमें दोनों देशों के बीच प्रौद्योगिकी, विज्ञान, और सैन्य ताकत को लेकर निरंतर संघर्ष जारी है।

1. आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (AI) की रेस

आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस या कृत्रिम बुद्धिमत्ता, चीन और अमेरिका के बीच सबसे महत्वपूर्ण प्रतिस्पर्धा का केंद्र बन चुकी है। AI के क्षेत्र में दोनों देशों की अपार क्षमता है, और यह क्षेत्र न केवल आर्थिक विकास के लिए महत्वपूर्ण है, बल्कि सैन्य और सुरक्षा मामलों में भी इसका विशेष महत्व है।

अमेरिका में सिलिकॉन वैली और अन्य तकनीकी हबों ने AI अनुसंधान और विकास में जबरदस्त बढ़ोतरी की है। गूगल, माइक्रोसॉफ्ट, और एप्पल जैसी कंपनियाँ AI के क्षेत्र में अग्रणी हैं। वहीं, चीन ने भी AI के क्षेत्र में भारी निवेश किया है। चीन सरकार ने इसे 2030 तक वैश्विक AI नेता बनने का लक्ष्य रखा है। इसके लिए चीन ने अपने अनुसंधान संस्थानों, सरकारी प्रायोजित कार्यक्रमों और विश्वविद्यालयों में भारी निवेश किया है।

आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस की रेस में चीन ने एक बड़ी छलांग भी लगाई है आपको बता दें की हाल ही में चीन ने deepseekAI लॉंच किया है जिसने अमेरिका के चैट जीपीटी को भी पीछे छोड़ दिया है। इस संदर्भ में, AI की रेस चीन और अमेरिका के बीच "साइलेंट युद्ध" की एक महत्वपूर्ण कड़ी बन चुकी है।

क्वांटम रिसर्च की रेस

क्वांटम कंप्यूटिंग एक और ऐसा क्षेत्र है, जो चीन और अमेरिका के बीच प्रतिस्पर्धा का केंद्र बना हुआ है। काण्टम कंप्यूटिंग वह तकनीक है जो डेटा प्रोसेसिंग के पारंपरिक तरीकों से कहीं अधिक तेज और प्रभावी है। यह न केवल साइबर सुरक्षा के लिए खतरनाक हो सकता है, बल्कि बडी डेटा सेट्स को प्रोसेस करने में भी इसे क्रांतिकारी माना जा रहा है।

अमेरिका में काण्टम शोध में निवेश लगातार बढ़ रहा है, और यहाँ की प्रमुख कंपनियाँ जैसे IBM, Google और Intel काण्टम कंप्यूटिंग पर काम कर रही हैं। अमेरिका के काण्टम अनुसंधान में प्रमुख योगदान देने वाले विश्वविद्यालय और सरकारी संस्थाएँ भी हैं, जो इसे एक राष्ट्रीय प्राथमिकता मानती हैं।

वहीं, चीन ने भी इस क्षेत्र में अपनी पकड़ मजबूत करने के लिए काण्टम तकनीकों पर विशेष ध्यान दिया है। चीन ने काण्टम उपग्रहों के माध्यम से काण्टम संचार में महत्वपूर्ण प्रगति की है, और यह काण्टम कंप्यूटिंग के विकास में भी अपनी भूमिका को बढ़ाने के लिए तत्पर है।

सैन्य ताकत की रेस

सैन्य शक्ति के मामले में भी अमेरिका और चीन के बीच एक निरंतर प्रतिस्पर्धा चल रही है। अमेरिका का सैन्य बजट दुनिया का सबसे बड़ा है, और उसकी सैन्य ताकत विश्व में सबसे प्रभावशाली मानी जाती है। हालांकि, चीन ने पिछले कुछ वर्षों में अपनी सैन्य शक्ति में तेजी से सुधार किया है और इसे आधुनिक बनाने के लिए बड़े पैमाने पर निवेश किया है। चीन का लक्ष्य अब अपने सैन्य क्षेत्र में अमेरिका को चुनौती देने का है, और इसके लिए उसने अपने सेना और नौसेना के लिए नए तकनीकी हथियारों और मिसाइलों का विकास किया है।

यह "साइलेंट युद्ध" केवल जमीनी सेनाओं तक सीमित नहीं है, बल्कि अब यह अंतरिक्ष और साइबर युद्ध की ओर भी बढ़ रहा है। सैन्य टेक्नोलॉजी में उन्नति की रेस, खास तौर पर AI और ड्रोन तकनीक का उपयोग, दोनों देशों के लिए एक महत्वपूर्ण प्रतिस्पर्धा बन गई है।

स्पेस ताकत बढ़ाने की रेस

अंतरिक्ष में नेतृत्व करने की प्रतिस्पर्धा भी इस साइलेंट युद्ध का एक अहम हिस्सा है। अमेरिका का NASA और निजी कंपनियाँ जैसे SpaceX, Blue Origin अंतरिक्ष अन्वेषण में अग्रणी हैं। स्पेस टेक्नोलॉजी के क्षेत्र में अमेरिका ने बड़े मिशनों को अंजाम दिया है, जैसे कि मंगल पर रोवर भेजना और चाँद पर नए अभियान शुरू करना आदि।

चीन भी इस क्षेत्र में पीछे नहीं है। चीन ने अपनी स्पेस एजेंसी CNSA के तहत कई महत्वपूर्ण मिशन किए हैं, जैसे कि चाँद पर रोवर भेजना और मंगल पर अपनी पहली सफल लैंडिंग करना। इसके अलावा, चीन ने अपने स्वयं के स्पेस स्टेशन का निर्माण किया है, जो अंतरराष्ट्रीय अंतरिक्ष स्टेशन (ISS) से स्वतंत्र है।

यूपी के इन जिलों में 5 फरवरी तक स्‍कूल रहेंगे बंद

लखनऊ: उत्तर प्रदेश के कई जिलों में 5 फरवरी तक स्कूल बंद रखने का आदेश जारी किया गया है। यह निर्णय खास तौर पर प्रयागराज महाकुंभ मेले के दौरान भगदड़ जैसी स्थिति और ट्रैफिक की भारी समस्या के चलते लिया गया है। मौनी अमावस्या के दिन लाखों की संख्या में श्रद्धालु गंगा स्नान के लिए जुटे थे, जिसके कारण आसपास के इलाकों में ट्रैफिक जाम की स्थिति उत्पन्न हो गई थी। इसे देखते हुए, प्रशासन ने शिक्षा संस्थानों को बंद रखने का आदेश दिया।

इन जिलों में होंगे स्कूल बंद:

सुल्तानपुर: महाकुंभ के दौरान उमड़ी भीड़ के कारण यहां के जिलाधिकारी ने 30, 31 जनवरी और 1 फरवरी को सभी बोर्ड के स्कूलों में छुट्टी की घोषणा की थी।

जौनपुर: 30 जनवरी को स्कूल बंद रखने का आदेश दिया गया, क्योंकि यहां भी ट्रैफिक जाम की समस्या गंभीर हो गई थी।

वाराणसी: महाकुंभ से लौटने वाले श्रद्धालु काशी विश्वनाथ के दर्शन करने के लिए उमड़ पड़े थे। इस कारण 23 जनवरी से 5 फरवरी तक 12वीं तक के स्कूल बंद कर दिए गए हैं। शहर में भीड़ इतनी ज्यादा हो गई है कि सामान्य जीवन अस्त-व्यस्त हो गया है।

चंदौली: वाराणसी से सटे चंदौली जिले में भी 30 जनवरी तक स्कूल बंद रखने का निर्णय लिया गया है। इसको लेकर निर्देश दिए गए हैं।

अयोध्या: महाकुंभ के बाद श्रद्धालु अयोध्या में रामलला के दर्शन करने के लिए पहुंच रहे हैं। यहां भी श्रद्धालुओं की भारी भीड़ के कारण 5 फरवरी तक सभी स्कूल बंद रखने का आदेश जारी किया गया है।

प्रतापगढ़: प्रयागराज से सटी सीमा होने के कारण यहां भी बाहरी श्रद्धालुओं का दबाव अधिक है। इसे देखते हुए प्रशासन ने 5 फरवरी तक स्कूल बंद रखने का निर्णय लिया।

अंबेडकरनगर: अंबेडकरनगर में 30 और 31 जनवरी को इंटरमीडिएट तक के स्कूल बंद रखने का आदेश जारी किया गया है। प्रशासन ने यह कदम महाकुंभ के दौरान उमड़ी श्रद्धालु भीड़ और ट्रैफिक की समस्या को ध्यान में रखते हुए लिया है।

प्रशासन की तैयारी: इन जिलों में प्रशासन ने ट्रैफिक की स्थिति को सुधारने और लोगों को सुरक्षित रखने के लिए विशेष इंतजाम किए हैं। अधिकारियों का कहना है कि स्कूलों में छुट्टी का निर्णय महाकुंभ के दौरान जनसुरक्षा के मद्देनजर लिया गया है। उन्होंने सभी श्रद्धालुओं से अपील की है कि वे अपनी यात्रा के दौरान सुरक्षित रहें और ट्रैफिक नियमों का पालन करें।

इजरायल ने की थी कारगिल युद्ध में भारत की मदद

नई दिल्ली: कारगिल युद्ध, जो 1999 में भारत और पाकिस्तान के बीच हुआ, एक ऐसा संघर्ष था जिसने दोनों देशों को भारी क्षति पहुंचाई। लेकिन इस युद्ध में भारत को जीत मिली, इस संघर्ष के दौरान भारत को अप्रत्याशित रूप से एक महत्वपूर्ण सहयोग मिला, और वह सहयोग था इजरायल से। इजरायल ने अपनी सैन्य सहायता और उन्नत तकनीकी उपकरणों के साथ भारत की मदद की, जिससे भारत को कारगिल में जीत प्राप्त करने में मदद मिली।

इजरायल की मदद का महत्व

कारगिल युद्ध के दौरान भारत को कई कठिनाइयों का सामना करना पड़ा था। एक तरफ जहां पाकिस्तान ने भारतीय सीमा में घुसपैठ की थी, वहीं दूसरी तरफ भारतीय सेना के पास कई महत्वपूर्ण संसाधनों की कमी थी। भारत के पास उस समय दुश्मनों के बंकरों को नष्ट करने के लिए उपयुक्त हथियार नहीं थे और न ही दुश्मन की स्थिति का सही-सही आकलन करने के लिए पर्याप्त टोही विमान थे। ऐसे में इजरायल ने भारत को सैन्य सहायता प्रदान करने का निर्णय लिया।

इजरायल की सैन्य मदद

इजरायल ने भारत को मोर्टार, गोला-बारूद, और सबसे महत्वपूर्ण, लेजर गाइडेड मिसाइलें मुहैया कराई। इन मिसाइलों के जरिए भारतीय सेना को दुश्मन के बंकरों और ठिकानों पर सटीक हमला करने में मदद मिली। साथ ही, इजरायल ने भारतीय वायु सेना को मिराज 2000 लड़ाकू विमानों के लिए मिसाइलें भी प्रदान कीं, जो युद्ध के दौरान अत्यधिक प्रभावी साबित हुईं।

इसके अलावा, इजरायल ने भारत को अपनी उन्नत हेरोन अनमैंड एरियल व्हीकल (यूएवी) की भी आपूर्ति की। ये ड्रोन युद्ध के दौरान महत्वपूर्ण टोही अभियानों के लिए इस्तेमाल किए गए, जिससे भारतीय सेना को दुश्मन की स्थिति का सही-सही आकलन करने में मदद मिली। इजरायल ने न केवल उपकरण प्रदान किए, बल्कि भारतीय सैनिकों को इन उपकरणों का संचालन करने के लिए प्रशिक्षण भी दिया, ताकि युद्ध में उनका अधिकतम उपयोग किया जा सके।

अंतरराष्ट्रीय दबाव के बावजूद इजरायल की मदद

इजरायल की मदद की एक और खास बात यह थी कि यह अंतरराष्ट्रीय दबाव के बावजूद हुई। कारगिल युद्ध के दौरान पाकिस्तान को समर्थन देने वाले कई देशों ने इजरायल पर दबाव डाला था कि वह भारत को सैन्य मदद ना दे। लेकिन इजरायल ने इस दबाव को नजरअंदाज करते हुए भारत को अपने पहले से किए गए ऑर्डर के तहत जल्द से जल्द हथियारों की शिपमेंट भेजी। इस मदद ने भारत को एक निर्णायक बढ़त दिलाई और युद्ध के दौरान परिस्थितियों को भारतीय सेना के पक्ष में मोड़ा।

भारत-इजरायल संबंध हुआ और मजबूत

कारगिल युद्ध के दौरान इजरायल द्वारा दी गई मदद ने दोनों देशों के रिश्तों को और मजबूत किया। यह मदद केवल सैन्य सहायता तक सीमित नहीं रही, बल्कि इसके जरिए दोनों देशों के बीच एक विश्वास और सहयोग का मजबूत आधार भी बना। इसके बाद से भारत और इजरायल के बीच सैन्य और सुरक्षा मामलों में सहयोग बढ़ा है। आज भी दोनों देशों के बीच रक्षा क्षेत्र में घनिष्ठ संबंध हैं।

बिहार के टॉप-5 प्राइवेट मेडिकल कॉलेज, जानें फीस

पटना: बिहार में यदि आप प्राइवेट से मेडिकल की पढ़ाई करना चाहते हैं तो आप यहां के पांच प्राइवेट मेडिकल संस्थान में पढ़ाई कर सकते हैं। इन संस्थानों में एमबीबीएस की फ़ीस देश के अन्य प्राइवेट मेडिकल संस्थानों के मुकाबले थोड़ा कम हैं।

1. कटिहार मेडिकल कॉलेज एंड हॉस्पिटल

कटिहार मेडिकल कॉलेज बिहार राज्य के कटिहार शहर में स्थित है और यह MBBS, MD, और MS जैसी पोस्टग्रेजुएट कोर्सेस भी प्रदान करता है। यह कॉलेज मेडिकल शिक्षा के क्षेत्र में एक महत्वपूर्ण स्थान रखता है। आप चाहें तो यहां मेडिकल की पढ़ाई कर सकते हैं।

फीस: जनरल कैटेगरी के छात्रों के लिए MBBS की कुल फीस लगभग ₹1.55 करोड़ (₹1,55,00,000) है।

2. लॉर्ड बुद्धा कोशी मेडिकल कॉलेज, सहरसा

लॉर्ड बुद्धा कोशी मेडिकल कॉलेज सहरसा में स्थित एक प्रमुख संस्थान है। यह MBBS कोर्स 66 महीने का होता है, जिसमें 12वीं में 50% से अधिक अंक होने चाहिए।

फीस: इस कॉलेज में MBBS कोर्स की कुल फीस लगभग ₹54 लाख है और हर साल ₹12 लाख की फीस आती है।

3. माता गुजरी मेमोरियल मेडिकल कॉलेज और लायन्स सेवा केंद्र अस्पताल, किशनगंज

यह कॉलेज 1990 में स्थापित हुआ था और यह सिख धार्मिक अल्पसंख्यक समुदाय के ट्रस्ट द्वारा चलाया जाता है। यहां MBBS, MD, MS, और डिप्लोमा कोर्सेस उपलब्ध हैं।

फीस: MBBS कोर्स की फीस लगभग ₹16 लाख सालाना है, जिसमें हॉस्टल और खाने का खर्च भी शामिल है।

4. नारायण मेडिकल कॉलेज एंड हॉस्पिटल, सासाराम (NMCH)

नारायण मेडिकल कॉलेज सासाराम में स्थित है और यह बिहार के प्रमुख निजी मेडिकल कॉलेजों में से एक है। यह कॉलेज वीर कुंवर सिंह विश्वविद्यालय से संबद्ध है और राष्ट्रीय चिकित्सा आयोग (NMC) द्वारा मान्यता प्राप्त है।

फीस: MBBS के लिए सालाना फीस ₹10 लाख से अधिक होती है। इसके अलावा, हॉस्टल शुल्क ₹4 लाख और एडमिशन चार्ज ₹50,000 अलग से होते हैं।

5. पटना होम्योपैथिक मेडिकल कॉलेज और अस्पताल

यह बिहार के प्रमुख होम्योपैथिक मेडिकल कॉलेजों में से एक है। यहां BHMS (बैचलर ऑफ होम्योपैथिक मेडिकल साइंसेस) कोर्स की पेशकश की जाती है।

फीस: इसकी फीस के बारे में अधिक जानकारी के लिए आप कॉलेज की आधिकारिक वेबसाइट पोर्टल  (phmchpatna.com) पर जाकर देख सकते हैं।

शुक्रवार को करें 5 मंत्रों का जाप, धन की होगी वर्षा

धर्म डेस्क: शुक्रवार का दिन विशेष रूप से माता लक्ष्मी की पूजा के लिए बहुत ही उपयुक्त माना जाता है। इस दिन यदि आप इन 5 विशेष मंत्रों का जाप करेंगे, तो आपके घर में समृद्धि और धन की वर्षा हो सकती है। यहाँ पर उन 5 मंत्रों का विवरण दिया जा रहा है, जिन्हें शुक्रवार के दिन नियमित रूप से जाप करना बेहद लाभकारी माना जाता हैं।

1. मंत्र 1:

ॐ श्रीं ह्रीं क्लीं त्रिभुवन महालक्ष्म्यै अस्मांक दारिद्र्य नाशय प्रचुर धन देहि देहि क्लीं ह्रीं श्रीं ॐ

यह मंत्र धन, समृद्धि और समग्र सुख की प्राप्ति के लिए है। इस मंत्र का जाप विशेष रूप से शुक्रवार के दिन करें और यह मंत्र आपके घर में धन की कमी को दूर करेगा और लक्ष्मी का वास बढ़ेगा।

2. मंत्र 2:

ॐ श्री महालक्ष्म्यै च विद्महे विष्णु पत्न्यै च धीमहि तन्नो लक्ष्मी प्रचोदयात् ॐ

यह लक्ष्मी के मंत्रों में से एक महत्वपूर्ण मंत्र है। इस मंत्र का जाप करने से मां लक्ष्मी की कृपा प्राप्त होती है और आर्थिक स्थिति में सुधार होता है।

3. मंत्र 3:

ॐ ह्रीं श्रीं क्रीं श्रीं कुबेराय अष्ट-लक्ष्मी मम गृहे धनं पुरय पुरय नमः

यह मंत्र भगवान कुबेर को समर्पित है, जो धन के देवता माने जाते हैं। इस मंत्र के जाप से घर में धन की प्राप्ति होती है और आर्थिक संकट दूर होते हैं।

4. मंत्र 4:

ॐ भृगुराजाय विद्महे दिव्य देहाय धीमहि तन्नो शुक्र प्रचोदयात्

यह मंत्र शुक्र ग्रह को प्रसन्न करने वाला है। शुक्र ग्रह का अच्छा प्रभाव व्यक्ति की वित्तीय स्थिति पर बहुत सकारात्मक असर डालता है। इस मंत्र का जाप करने से आर्थिक समस्याएं दूर होती हैं।

5. मंत्र 5:

ऊँ श्रींह्रीं श्रीं कमले कमलालये प्रसीद प्रसीद श्रीं ह्रीं श्रीं ऊँ महालक्ष्मीै नमः

यह मंत्र लक्ष्मी माता की विशेष पूजा में उपयोग होता है। इसे नियमित रूप से जाप करने से घर में लक्ष्मी का वास होता है और आर्थिक स्थिति सुदृढ़ होती है।

फलोदी सट्टा बाजार ने लगाया AAP के हार-जीत का अनुमान?

नई दिल्ली: दिल्ली विधानसभा चुनाव 2025 के सट्टा बाजार में इस बार दिलचस्प मुकाबला देखने को मिल सकता है। फलोदी सट्टा बाजार से जुड़े सूत्रों के मुताबिक, इस बार चुनाव में आम आदमी पार्टी (AAP) और भारतीय जनता पार्टी (BJP) के बीच कड़ी टक्कर देखने को मिल सकती है, हालांकि दिल्ली चुनाव 2025 की कुछ प्रमुख सीटों पर खासा ध्यान केंद्रित किया जा रहा है।

आम आदमी पार्टी की संभावित वापसी

फलोदी सट्टा बाजार के अनुसार, इस बार आम आदमी पार्टी की वापसी की उम्मीद जताई जा रही है। अनुमानित तौर पर AAP को 36 से 38 सीटों तक मिल सकती हैं, हालांकि सट्टा बाजार में यह भी माना जा रहा है कि भाजपा को 31 से 33 सीटों के बीच हार का सामना करना पड़ सकता है। इस बार कांग्रेस का प्रदर्शन बहुत कमजोर प्रतीत हो रहा है और उसे केवल एक सीट मिलने का अनुमान है।

नई दिल्ली सीट पर जीत की संभावना

दिल्ली की नई दिल्ली सीट पर मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल का मुकाबला भाजपा के प्रवेश वर्मा और कांग्रेस के संदीप दीक्षित से है। सट्टा बाजार में अरविंद केजरीवाल की जीत को लेकर 65/85 पैसे तक के भाव लगाए गए हैं, जो उनकी जीत की संभावना को दर्शाते हैं। प्रवेश वर्मा, जो पूर्व मुख्यमंत्री साहिब सिंह वर्मा के बेटे हैं, और संदीप दीक्षित, जो शीला दीक्षित के बेटे हैं, इन दोनों के खिलाफ केजरीवाल की स्थिति मजबूत बताई जा रही है।

जंगपुरा सीट पर मनीष सिसोदिया की चुनौती

जंगपुरा सीट पर इस बार आम आदमी पार्टी के वरिष्ठ नेता और पूर्व उपमुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया की जीत की उम्मीद जताई जा रही है। सिसोदिया ने पटपड़गंज सीट को छोड़कर जंगपुरा से चुनाव लड़ा है। उनके खिलाफ भाजपा के तरविंदर सिंह मारवाह और कांग्रेस के फरहाद सूरी की चुनौती होगी। सट्टा बाजार में मनीष सिसोदिया की जीत के भाव 55/70 पैसे तक हैं, जो उनकी जीत की संभावना को दर्शाते हैं।

पटपड़गंज सीट पर अवध ओझा की उम्मीद

पटपड़गंज सीट पर आम आदमी पार्टी ने चर्चित शिक्षक अवध ओझा को उम्मीदवार बनाया है। ओझा का मुकाबला भाजपा के रविंदर सिंह नेगी और कांग्रेस के अनिल चौधरी से होगा। सट्टा बाजार में अवध ओझा की जीत के लिए 37/47 पैसे तक के भाव लगाए गए हैं, जो इस सीट पर उनकी स्थिति को मजबूत बताते हैं।

कालकाजी सीट पर आतिशी मार्लेना की उम्मीद

दिल्ली की प्रमुख सीटों में से एक कालकाजी पर भी सट्टा बाजार की निगाहें टिकी हुई हैं। आम आदमी पार्टी की उम्मीदवार और दिल्ली की मौजूदा शिक्षा मंत्री आतिशी मार्लेना इस सीट पर भाजपा के रमेश बिधूड़ी और कांग्रेस की अलका लांबा से मुकाबला करेंगी। सट्टा बाजार में आतिशी की जीत के भाव 25/33 पैसे हैं, जो उनकी मजबूत स्थिति को दर्शाते हैं।