नई दरों का प्रभाव:
15 दिसंबर से ECHS के सभी संबद्ध अस्पतालों में इलाज नई दरों के अनुसार होगा। इसके अलावा, लाभार्थियों द्वारा किए गए रीइम्बर्समेंट क्लेम पर भी यही नई दरें लागू रहेंगी। सर्विस पेंशनरों और अन्य अधिकृत वर्ग को पहले की तरह कैशलेस इलाज की सुविधा मिलेगी। नई दरों में सेमी-प्राइवेट वार्ड को आधार बनाया गया है और पूरी लिस्ट ECHS की वेबसाइट पर उपलब्ध होगी।
दरों में बदलाव के मुख्य बिंदु:
अस्पताल की मान्यता: NABH/NABL मान्यता प्राप्त अस्पतालों में दरें अधिक होंगी, जबकि गैर-मान्यता प्राप्त अस्पतालों पर कम दर लागू होगी।
अस्पताल का प्रकार: सुपर स्पेशियलिटी अस्पतालों की दरें सामान्य अस्पतालों की तुलना में ऊंची रहेंगी।
शहर की कैटेगरी: टियर-I शहरों में दरें सबसे अधिक, टियर-II और टियर-III में कम। उत्तर-पूर्व, जम्मू-कश्मीर और लद्दाख में टियर-II दरें लागू होंगी।
वार्ड पात्रता: सेमी-प्राइवेट वार्ड को आधार माना गया है। हालांकि ओपीडी कंसल्टेशन, जांच, रेडियोथेरेपी और डे-केयर प्रक्रियाओं में वार्ड का असर नहीं होगा।
कैंसर इलाज: कैंसर सर्जरी पर पुराने CGHS नियम ही लागू रहेंगे; नई दरें कीमोथेरेपी, जांच और रेडियोथेरेपी पर लागू होंगी।
अस्पतालों के लिए जरूरी कदम:
15 दिसंबर से नई दरें लागू होते ही सभी प्राइवेट संबद्ध अस्पतालों को MoA (Memorandum of Agreement) नवीनीकरण करना होगा। मौजूदा MoA 15 दिसंबर रात 12 बजे से स्वतः समाप्त हो जाएगा। अस्पतालों को ECHS के ऑनलाइन एम्पैनलमेंट मॉड्यूल के माध्यम से नया MoA पूरा करना होगा।
इसके अलावा, 15 दिसंबर से पहले एक अंडरटेकिंग जमा करना अनिवार्य है कि वे नई दरों और नियमों को स्वीकार करते हैं। यदि कोई अस्पताल समय पर अंडरटेकिंग जमा नहीं करता, तो उसे डिपैनल्ड यानी सूची से हटा दिया जाएगा। 15 दिसंबर से ECHS के सभी लाभार्थियों के लिए इलाज और रीइम्बर्समेंट के नियम नई CGHS दरों के अनुसार तय होंगे। वहीं, कैशलेस सुविधा जारी रहेगी लेकिन यदि इलाज किसी गैर-एम्पैनल्ड निजी अस्पताल में कराया जाता है, तो दावा केवल Non-NABH दरों के आधार पर ही स्वीकार किया जाएगा।
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