भारत का बड़ा कदम, चीन खुश, अमेरिका की बढ़ी टेंशन!

नई दिल्ली। भारत ने चीन के साथ संबंधों को धीरे-धीरे सामान्य बनाने की दिशा में एक अहम कदम उठाया है। पूर्वी लद्दाख में 2020 के सीमा तनाव के बाद पहली बार भारत ने चीनी नागरिकों, खासकर पेशेवरों के लिए वीजा नियमों को आसान किया है। इस फैसले को दोनों देशों के बीच जमी बर्फ को पिघलाने की कोशिश के तौर पर देखा जा रहा है। जहां एक ओर यह कदम चीन के लिए सकारात्मक संकेत है, वहीं दूसरी ओर अमेरिका की रणनीतिक चिंता बढ़ना तय माना जा रहा है।

वीजा नियमों में क्या बदला?

नए प्रावधानों के तहत अब चीन से आने वाले वे पेशेवर, जो सीमित समय के लिए भारत आना चाहते हैं, उन्हें लंबी अवधि वाले रोजगार या ई-वीजा के लिए आवेदन करने की जरूरत नहीं होगी। वे सीधे बिजनेस वीजा के लिए पात्र होंगे। इससे वीजा प्रक्रिया काफी सरल और तेज हो जाएगी। सरकारी सूत्रों के मुताबिक, बिजनेस वीजा से जुड़े आवेदन अब तीन से चार सप्ताह में निपटा दिए जाएंगे। हालांकि सुरक्षा से जुड़े नियमों में कोई ढील नहीं दी गई है और अन्य श्रेणियों के आवेदकों को पहले की तरह जांच प्रक्रिया से गुजरना होगा।

चीनी पेशेवरों कोज्यादा फायदा?

हालांकि यह नियम सभी देशों के नागरिकों पर लागू होंगे, लेकिन इसका सबसे अधिक लाभ चीनी पेशेवरों को मिलने की संभावना है। भारत की कई कंपनियां चीनी मशीनरी, तकनीक और उपकरणों पर निर्भर हैं। ऐसे में तकनीकी विशेषज्ञों का भारत आना आसान होने से उद्योग जगत को राहत मिलेगी और प्रोजेक्ट्स में देरी भी कम होगी।

भारत-चीन रिश्तों में सुधार के संकेत

पिछले कुछ महीनों से दोनों देश लोगों के बीच संपर्क बढ़ाने पर जोर दे रहे हैं। भारत ने जुलाई में चीनी नागरिकों के लिए पर्यटक वीजा दोबारा शुरू किया, जबकि अक्टूबर में सीधी उड़ानों की बहाली भी हुई। इसके अलावा कैलाश मानसरोवर यात्रा फिर से शुरू करने, वीजा प्रक्रिया को सरल बनाने और दोनों देशों के कूटनीतिक संबंधों के 75 वर्ष पूरे होने का जश्न मनाने जैसे कदम भी इस दिशा में उठाए गए हैं।

अमेरिका की बढ़ती बेचैनी और चिंता 

भारत और चीन की नजदीकी अमेरिका को सहज नहीं लग रही है। अमेरिका लंबे समय से भारत को चीन के मुकाबले एक रणनीतिक साझेदार के रूप में देखता रहा है। ऐसे में दोनों एशियाई शक्तियों के बीच सहयोग बढ़ना वॉशिंगटन की रणनीति को चुनौती दे सकता है।

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