यूपी में पैतृक संपत्ति का बंटवारा करने के 4 नियम

लखनऊ: उत्तर प्रदेश में पुश्तैनी जमीन के बंटवारे को लेकर कई नियम बनाये गए हैं। इन नियमों का पालन करते हुए आप पुश्तैनी जमीन का बंटवारा कर सकते हैं। हाल ही में यूपी में पारिवारिक संपत्ति का बंटवारा करने के लिए, अब 5,000 रुपये के स्टांप पर बंटवारा निर्धरित किया गया हैं।

1. मौखिक बटवारा। 

यह पारंपरिक तरीका है, जो विशेष रूप से ग्रामीण इलाकों में प्रचलित था। इस प्रक्रिया में बुजुर्ग लोग अपनी संपत्ति को शब्दों के जरिए अपने उत्तराधिकारियों में बाँट देते थे। इस बंटवारे में किसी कागजी सबूत की आवश्यकता नहीं होती थी। मौखिक बंटवारे में कोई लिखित प्रमाण नहीं होता, जिससे बाद में विवाद हो सकता है।

2. सहमति बटवारा। 

इसमें सभी वारिसों की आपसी सहमति से संपत्ति का बंटवारा किया जाता है। यह एक लीगल और स्थिर तरीका है, क्योंकि इसमें सभी पक्षों की सहमति शामिल होती है और बंटवारा न्यायिक रूप से भी मान्यता प्राप्त होता है। इस प्रक्रिया में पहले सभी वारिसों के बीच आपसी समझौता होता है। फिर यह सहमति तहसील कार्यालय में जाती है, जहाँ तहसीलदार बंटवारे का आधिकारिक रूप से दस्तावेजीकरण करते हैं।

3. पारिवारिक समझौता पत्र।

इस प्रक्रिया में, पारिवारिक स्तर पर संपत्ति का बंटवारा किया जाता है, जिसमें सभी वारिसों के हिस्से तय होते हैं। यह बंटवारा एक परिवारिक समझौते के रूप में होता है, और इसमें लोकप्रतिनिधियों (जैसे पंचायत सदस्य या सरपंच) की साक्षी भी होती है। इसमें स्टाम्प पेपर पर सभी वारिसों और साक्षियों के सिग्नेचर होते हैं।

4. पार्टीशन सूट (Partition Suit)

यदि अगर किसी कारणवश परिवार में आपसी सहमति नहीं बन पाती, या अगर एक वारिस संपत्ति का बंटवारा नहीं चाहता है, तो न्यायालय में पार्टीशन सूट दायर किया जा सकता है। इसमें अदालत सभी दस्तावेज़ों, साक्ष्यों और पक्षों की बातों को सुनकर निर्णय लेती है। इस प्रक्रिया में कानूनी दस्तावेज़ और अदालत का आदेश होता है, जो भविष्य में संपत्ति के अधिकार को स्पष्ट करता है।

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