शनिदेव के 5 शक्तिशाली मंत्र, खोलेंगे किस्मत के द्वार।
1. ॐ शं शनैश्चराय नमः
यह मंत्र शनिदेव के प्रमुख मंत्रों में से एक है। "ॐ शं" का अर्थ है शांति और शुद्धता, जबकि "शनैश्चराय" का अर्थ है शनिदेव। यह मंत्र शनिदेव की विशेष कृपा प्राप्त करने के लिए उच्चारित किया जाता है। इसके जाप से न केवल मानसिक शांति मिलती है, बल्कि यह जीवन में अच्छे कर्मों और संतुलन को स्थापित करता है। यह मंत्र विशेष रूप से तब लाभकारी होता है जब शनि की महादशा या अंतरदशा चल रही हो।
जाप विधि: इस मंत्र का जाप नियमित रूप से करना चाहिए, विशेष रूप से शनिवार के दिन। आप इसे 108 बार या 21 बार रोज़ कर सकते हैं।
2. ॐ प्रां प्रीं प्रौं सः शनये नमः
यह एक विशेष मंत्र है जिसे शनि ग्रह से उत्पन्न कष्टों को दूर करने के लिए जप सकते हैं। इस मंत्र में "प्रां प्रीं प्रौं" ध्वनियाँ शनि ग्रह के शक्तिशाली स्वरूप का प्रतिनिधित्व करती हैं। यह मंत्र शनि के सभी नकारात्मक प्रभावों को नष्ट करता है और शनि के शुभ प्रभाव को ग्रहण करने में मदद करता है।
जाप विधि: इसे रोज़ाना 108 बार जपने से व्यक्ति के जीवन से कष्ट दूर होते हैं और शनि की विशेष कृपा प्राप्त होती है। शनिवार के दिन इसे विशेष रूप से प्रभावी माना जाता है।
3. ऊँ श्रां श्रीं श्रूं शनैश्चाराय नमः
यह मंत्र शनिदेव की स्तुति और आशीर्वाद प्राप्त करने के लिए है। "श्रां" (शांति), "श्रीं" (समृद्धि) और "श्रूं" (शक्ति) के उच्चारण से व्यक्ति को शनि के सभी नकारात्मक प्रभावों से मुक्ति मिलती है और जीवन में सकारात्मक ऊर्जा का संचार होता है। यह मंत्र शनि के दोषों को शांत करने में सहायक होता है।
जाप विधि: इस मंत्र का जाप किसी भी दिन किया जा सकता है, लेकिन शनिवार के दिन इसका विशेष लाभ होता है। इसे नियमित रूप से 108 बार जपने से शनि का आशीर्वाद प्राप्त होता है।
4. ऊँ हलृशं शनिदेवाय नमः
यह मंत्र शनिदेव के विशेष रूप से सम्मान और पूजा के लिए है। "हलृशं" का अर्थ है "हल" (शक्ति) और "शं" (शांति), और "शनिदेवाय नमः" में शनिदेव को सम्मानित किया जाता है। इस मंत्र का जप आपके जीवन में शनि के कष्टों को कम करता है और शनिदेव से सुख और समृद्धि की प्राप्ति होती है।
जाप विधि: इस मंत्र का जाप रोज़ाना, विशेष रूप से शनिवार के दिन, 108 बार करने से शनि की कृपा मिलती है। यह मंत्र वशीकरण और दुर्बल ग्रहों के प्रभाव को समाप्त करने में मदद करता है।
5. ऊँ एं हलृ श्रीं शनैश्चाराय नमः
यह मंत्र शनि के प्रभाव को दूर करने और जीवन में समृद्धि, शांति, और सकारात्मक ऊर्जा का संचार करने के लिए है। "एं" का उच्चारण ध्यान और संतुलन को प्रोत्साहित करता है, "हलृ" का अर्थ शक्ति है, और "श्रीं" समृद्धि का प्रतीक है। इस मंत्र का जाप शनिदेव की कृपा प्राप्त करने के लिए किया जाता है।
जाप विधि: इसे नियमित रूप से 108 बार जपने से व्यक्ति को शनि ग्रह के कष्टों से मुक्ति मिलती है और जीवन में सुख और समृद्धि आती है। इसे विशेष रूप से शनिवार को जपने से अधिक प्रभावी होता है।
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