1990 तक भारत-चीन बराबरी पर थे, आज बड़ा अंतर

नई दिल्ली: भारत और चीन की आर्थिक यात्रा में विभिन्न बदलाव और उतार-चढ़ाव आए हैं। 1960 से 1990 तक दोनों देशों की प्रति व्यक्ति आय लगभग समान थी, लेकिन इसके बाद चीनी अर्थव्यवस्था में एक तेज़ वृद्धि हुई, जबकि भारत के विकास में अपेक्षाकृत धीमापन रहा। 1990 के दशक के बाद चीन ने जिस गति से अपने आर्थिक विकास को तेज किया, उसने उसे भारत से काफी आगे बढ़ा दिया है।

1960 से 1980 तक की स्थिति

1960 में, भारत और चीन की प्रति व्यक्ति आय लगभग समान थी—भारत की 82 डॉलर और चीन की 89 डॉलर। इस दौरान दोनों देशों की अर्थव्यवस्थाओं की संरचना में समानताएँ थीं। दोनों देशों की ग्रामीण अर्थव्यवस्थाएँ थीं और औद्योगिकीकरण की प्रक्रिया शुरुआती दौर में थी। 1970 तक, भारत की प्रति व्यक्ति आय 112 डॉलर और चीन की 113 डॉलर पर थी, यानी दोनों देशों का आर्थिक स्तर लगभग बराबरी पर था।

1980 तक, हालांकि चीन की प्रति व्यक्ति आय बढ़ने लगी थी, लेकिन वह फिर भी भारत से पीछे था। भारत की प्रति व्यक्ति आय 266 डॉलर थी, जबकि चीन की आय 194 डॉलर थी। इस समय तक भारत में औद्योगिकीकरण की प्रक्रिया धीमी थी और हमारी प्राथमिकता कृषि क्षेत्र में थी, जबकि चीन ने अपनी योजनाओं में औद्योगिकरण और बुनियादी ढांचे के विकास को प्राथमिकता दी थी।

1990 के दशक में बदलाव

1990 तक, भारत और चीन की प्रति व्यक्ति आय लगभग बराबरी पर थी, लेकिन उसके बाद चीन की आर्थिक नीतियों में एक बड़ा बदलाव आया। 1978 में, चीन ने अपनी योजनाओं में सुधार करते हुए खुले बाजार की ओर कदम बढ़ाए। चीन ने अपनी आर्थिक नीतियों में लिबरलाइजेशन किया और निजी क्षेत्र को बढ़ावा दिया। इसके अलावा, चीन ने भारी निवेश और तकनीकी नवाचारों को अपनाया, जिससे उसे तीव्र विकास हासिल हुआ।

1990 तक भारत में आर्थिक सुधारों की शुरुआत हुई, लेकिन तब तक चीन काफी आगे बढ़ चुका था। भारत की प्रति व्यक्ति आय 367 डॉलर थी, जबकि चीन की 317 डॉलर थी। हालांकि, 1991 में भारत ने अपने आर्थिक सुधारों की शुरुआत की, लेकिन इसका प्रभाव धीरे-धीरे देखा गया। इस दौर में भारत ने वैश्वीकरण, विदेशी निवेश, और व्यापार सुधारों को अपनाया, लेकिन चीन की आर्थिक नीति और बाजार में सुधार अधिक प्रभावी साबित हुई।

2000 के दशक में चीन की तेजी से वृद्धि

2000 तक भारत की प्रति व्यक्ति आय 1,357 डॉलर तक पहुंच गई, लेकिन इस दौरान चीन की प्रति व्यक्ति आय 4,450 डॉलर हो गई। चीन ने अपनी आर्थिक नीतियों में तेज सुधार किए, बुनियादी ढांचे में भारी निवेश किया, और विदेशी व्यापार को बढ़ावा दिया। चीन की "सस्ता उत्पाद" और "मेड इन चाइना" की रणनीति ने उसे वैश्विक स्तर पर एक बड़े उत्पादक के रूप में स्थापित किया। इसके अलावा, चीन ने अपनी शिक्षा और तकनीकी क्षमता में भी जबरदस्त निवेश किया, जिससे उसकी उत्पादकता और प्रतिस्पर्धा में वृद्धि हुई।

2022 में दोनों देशों की स्थिति में बड़ा अंतर

2022 तक भारत की प्रति व्यक्ति आय 2,388 डॉलर थी, जबकि चीन की प्रति व्यक्ति आय 12,720 डॉलर हो गई। यहां स्पष्ट रूप से दिखता है कि चीन ने अपनी आर्थिक नीतियों को लागू करते हुए काफी आगे बढ़ा लिया है। चीन ने न केवल अपनी घरेलू उत्पादन क्षमता को बढ़ाया, बल्कि वैश्विक स्तर पर भी खुद को स्थापित किया। वहीं, भारत का विकास धीमा रहा है, हालांकि हाल के वर्षों में भारत ने विभिन्न क्षेत्रों में प्रगति की है, जैसे डिजिटल तकनीकी, सेवा क्षेत्र, और निर्यात क्षेत्र।

2024 में भारत चीन की प्रति वक्ति आय में अंतर 

साल 2024 में चीन की प्रति व्यक्ति सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) भारत से करीब 2.5 गुना ज़्यादा थी। चीन की प्रति व्यक्ति सकल घरेलू उत्पाद 25,015 डॉलर थी, जबकि भारत की प्रति व्यक्ति सकल घरेलू उत्पाद 10,123 डॉलर थी।

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