बता दें की भारत ने इस महत्वपूर्ण उपलब्धि को 16 जनवरी 2025 को हासिल किया हैं। इस डॉकिंग मिशन की सफलता न केवल भारतीय अंतरिक्ष कार्यक्रम के लिए एक मील का पत्थर है, बल्कि यह चंद्रयान-4, गगनयान और भारतीय अंतरिक्ष स्टेशन (ISS) जैसे महत्वपूर्ण मिशनों के लिए भी आधार तैयार करता है।
दरअसल चंद्रयान-4 मिशन के तहत चंद्रमा की मिट्टी के सैंपल पृथ्वी पर लाए जाएंगे, जबकि गगनयान मिशन में मानवों को अंतरिक्ष में भेजा जाएगा। इस प्रकार, डॉकिंग की सफलता ने इन दोनों मिशनों के लिए आवश्यक तकनीकी क्षमताओं का निर्माण किया है।
इसरो ने 30 दिसंबर 2024 को श्रीहरिकोटा के सतीश धवन स्पेस सेंटर से रात 10 बजे स्पेस डॉकिंग एक्सपेरिमेंट मिशन को लॉन्च किया था। इस मिशन के तहत PSLV-C60 रॉकेट से दो स्पेसक्राफ्ट्स को पृथ्वी से 470 किमी ऊपर अंतरिक्ष में तैनात किया गया।
इन दोनों स्पेसक्राफ्ट्स को 7 जनवरी 2025 को आपस में कनेक्ट किया जाना था, लेकिन तकनीकी कारणों से इसे स्थगित कर दिया गया। इसके बाद, 9 जनवरी को एक बार फिर डॉकिंग की कोशिश की गई, लेकिन स्पेसक्राफ्ट को एक-दूसरे के करीब लाने के बाद तकनीकी समस्याएं सामने आईं, जिसके चलते डॉकिंग संभव नहीं हो पाई। हालांकि, इसरो ने लगातार प्रयास किए और अंततः 16 जनवरी 2025 को दोनों स्पेसक्राफ्ट्स को सफलतापूर्वक डॉक किया।
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