1. अमेरिकी डॉलर: ग्लोबल करेंसी का प्रतीक
अमेरिकी डॉलर को वैश्विक स्तर पर एक सर्वमान्य करेंसी के रूप में माना जाता है। यह सिर्फ अमेरिका में इस्तेमाल होने वाली मुद्रा नहीं है, बल्कि अंतरराष्ट्रीय व्यापार, वित्तीय लेन-देन, और विदेशी मुद्रा भंडार का मुख्य आधार बन चुकी है। डॉलर की अहमियत सिर्फ अमेरिका की राष्ट्रीय अर्थव्यवस्था के संदर्भ में नहीं, बल्कि वैश्विक वित्तीय प्रणाली की धुरी के रूप में है।
2. डॉलर का ऐतिहासिक उदय
डॉलर के प्रभाव का इतिहास करीब 80 साल पुराना है। द्वितीय विश्व युद्ध के बाद, 1944 में ब्रेटन वुड्स समझौता (Bretton Woods Agreement) हुआ, जिसमें अमेरिकी डॉलर को वैश्विक मुद्रा के रूप में स्थापित किया गया। इस समझौते के तहत अन्य मुद्राओं को डॉलर से जोड़ा गया और डॉलर को सोने के साथ एक स्थिर दर पर लिंक किया गया। हालांकि 1971 में अमेरिका ने डॉलर को सोने से स्वतंत्र कर दिया, लेकिन तब तक डॉलर अपनी वैश्विक महत्ता स्थापित कर चुका था। आज, अमेरिकी डॉलर विश्व की प्रमुख रिजर्व मुद्रा है और अधिकांश देशों के केंद्रीय बैंक में इसका भंडार है।
3. डॉलर और अंतरराष्ट्रीय व्यापार
आज अंतरराष्ट्रीय व्यापार में अमेरिकी डॉलर का प्रमुख स्थान है। चाहे वो तेल का व्यापार हो, सोने का व्यापार हो, या अन्य वस्त्रों और सेवाओं का, अधिकांश लेन-देन डॉलर में होते हैं। ओपेक (OPEC) देशों द्वारा निर्यात होने वाला तेल भी डॉलर में ही व्यापारित होता है, जिसे "पेट्रोडॉलर" कहा जाता है। यह सुनिश्चित करता है कि डॉलर का उपयोग न केवल अमेरिका के भीतर, बल्कि विश्व स्तर पर हो रहा है।
4 . वैश्विक वित्तीय संस्थाएँ और डॉलर
विश्व बैंक, अंतर्राष्ट्रीय मुद्रा कोष (IMF) और अन्य प्रमुख वित्तीय संस्थाएँ अमेरिकी डॉलर में लेन-देन करती हैं। IMF द्वारा जारी की जाने वाली विशेष आहरण अधिकार (SDR) को भी अमेरिकी डॉलर से कनेक्ट किया जाता है। इन संस्थाओं के माध्यम से डॉलर की प्रमुखता बनी रहती है।
5. डॉलर का राजनीतिक और आर्थिक प्रभाव
अमेरिकी डॉलर का वैश्विक प्रभाव केवल आर्थिक और व्यापारिक दृष्टिकोण से ही नहीं है, बल्कि यह अमेरिका के राजनीतिक दबदबे का भी प्रतीक है। अमेरिका ने डॉलर के माध्यम से कई देशों पर आर्थिक प्रतिबंध (Sanctions) भी लगाए हैं। यदि किसी देश को अमेरिका के साथ आर्थिक रूप से असहमत होने पर प्रतिबंधों का सामना करना पड़ता है, तो यह उसकी मुद्रा और उसके व्यापार को गंभीर रूप से प्रभावित करता है।
6 .डॉलर की रिजर्व करेंसी के रूप में मान्यता
अमेरिकी डॉलर को दुनिया की प्रमुख रिजर्व करेंसी माना जाता है, जिसका मतलब है कि दुनिया के अधिकांश देशों के केंद्रीय बैंकों में अमेरिकी डॉलर का बड़ा भंडार होता है। अंतरराष्ट्रीय व्यापार में अधिकांश देशों के बीच लेन-देन अमेरिकी डॉलर में होता है। ये देशों के केंद्रीय बैंक इसे विदेशी मुद्रा के भंडार के रूप में रखते हैं। इस कारण अमेरिकी डॉलर पर दुनिया के अधिकांश देशों की आर्थिक नीतियाँ प्रभावित होती हैं।
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