रुद्रम-3 की विशेषताएँ:
रुद्रम-3 की रेंज 550 किलोमीटर है, जो इसे दूर से दुश्मन के महत्वपूर्ण ठिकानों को निशाना बनाने की क्षमता देती है। इस मिसाइल को विशेष रूप से दुश्मन के हवाई रक्षा परिसंपत्तियों को निष्क्रिय करने के लिए डिज़ाइन किया गया है। इसका मुख्य उद्देश्य उन ठिकानों को निशाना बनाना है, जो रेडियो फ्रीक्वेंसी (RF) सिग्नल उत्सर्जित करते हैं, जैसे कि रडार, कमांड और कंट्रोल सेंटर, और निगरानी सिस्टम। रुद्रम-3 इन सिग्नल को पकड़ कर उनके स्रोत को नष्ट कर देती है, जिससे दुश्मन का एयर डिफेंस सिस्टम पूरी तरह से निष्क्रिय हो जाता है।
मिसाइल का सामर्थ्य:
रुद्रम-3 मिसाइल किसी भी प्रकार के रडार, कमान और नियंत्रण प्रणाली, निगरानी प्रणाली पर प्रभावी रूप से हमला कर सकती है। इसके द्वारा किसी भी क्षेत्र में स्थित दुश्मन के हवाई रक्षा और रेडियो संचार प्रणाली को हानि पहुँचाना संभव है। मिसाइल की यह क्षमता, खासकर वायुसेना के लिए, महत्वपूर्ण साबित होती है क्योंकि यह दुश्मन के हवाई नियंत्रण और रडार सिस्टम को नष्ट करके दुश्मन के विमान और रक्षा प्रणालियों को प्रभावी ढंग से निशाना बना सकती है।
इस्तेमाल की क्षमता:
रुद्रम-3 मिसाइल को भारतीय वायुसेना के सुखोई-30 और मिराज-2000 जैसे लड़ाकू विमानों से लॉन्च किया जा सकता है। इन विमानों की उच्चतम उड़ान क्षमता और मिसाइल की लंबी रेंज इसे और भी अधिक प्रभावी बनाती है। सुखोई-30 और मिराज-2000 जैसे लड़ाकू विमान पहले ही कई प्रकार की जटिल मिशनों को अंजाम देने के लिए तैयार हैं, और अब रुद्रम-3 के जरिए इनकी क्षमता को और भी बढ़ा दिया गया है।
चीन की बढ़ी चिंता:
रुद्रम-3 मिसाइल की शक्ति और रेंज ने चीन सहित अन्य देशों के डिफ़ेंस सिस्टम की नींद उड़ा दी है। चीन का एंटी-एयरक्राफ्ट डिफेंस सिस्टम, जो पहले तक भारत के लिए एक चुनौती था, अब रुद्रम-3 द्वारा निशाना बनने की स्थिति में है। इस मिसाइल के कारण चीन को अपनी रक्षा रणनीतियों को फिर से जांचने और अपडेट करने की आवश्यकता महसूस हो रही है। चीन के पास अत्याधुनिक रडार और एंटी-एयरक्राफ्ट सिस्टम हैं, लेकिन रुद्रम-3 के जरिए इन प्रणालियों को नष्ट करने की क्षमता भारत को एक महत्वपूर्ण सामरिक लाभ देती है।
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