जनरल द्विवेदी ने इस बदलाव के बारे में बताते हुए कहा, "मेरे पूर्ववर्ती जनरल मनोज पांडे दूरदर्शी थे। उन्होंने 2023 को परिवर्तन का वर्ष और 2024 को तकनीक को अपनाने का वर्ष घोषित किया था। जब मैंने पदभार संभाला, तो मैंने परिवर्तन के वर्ष को 'परिवर्तन के दशक' के रूप में घोषित किया, जो जनरल पांडे की घोषणा के समय से शुरू हुआ। साथ ही तकनीक को अपनाने के वर्ष को 2025 तक बढ़ा दिया गया क्योंकि इस मोर्चे पर अभी बहुत कुछ किया जाना बाकी है।"
यह निर्णय भारतीय सेना की ओर से आने वाले समय में तकनीकी क्षेत्र में और अधिक सक्षम होने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है। इसमें आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस, डेटा एनालिटिक्स, साइबर सुरक्षा, रोबोटिक्स, ड्रोन टेक्नोलॉजी और अन्य उन्नत तकनीकों को सैन्य प्रशिक्षण के प्रमुख हिस्से के रूप में शामिल किया जाएगा। इस बदलाव का उद्देश्य सेना के अधिकारियों और जवानों को न केवल सैन्य रणनीतियों के मामले में, बल्कि तकनीकी दृष्टिकोण से भी सक्षम बनाना है।
दरअसल दुनिया भर में युद्ध के तरीके तेजी से बदल रहे हैं, और तकनीकी नवाचारों की मदद से भविष्य में सैनिकों को अधिक प्रभावी ढंग से काम करने की क्षमता मिलेगी। इससे सेना की प्रतिक्रिया क्षमता में वृद्धि होगी, साथ ही युद्ध के मैदान में प्रतिस्पर्धात्मक लाभ भी मिलेगा। इस कदम के जरिए भारतीय सेना ने यह संकेत दिया है कि वह आने वाले दशकों में खुद को और अधिक मजबूत और सक्षम बनाना चाहती है।
0 comments:
Post a Comment