बता दें की पोट्रोलियम को लेकर 3 सालों तक गंगा के कछार क्षेत्र में सर्वे किया गया। ओएनजीसी की भू-वैज्ञानिक टीम ने सेटेलाइट और जियोलॉजिकल सर्वे के माध्यम से इस क्षेत्र में पेट्रोलियम के भंडार होने की संभावना की पुष्टि की थी। सर्वे में विभिन्न तकनीकों का उपयोग किया गया, जिनमें भूकंपीय डाटा रिकॉर्डिंग, भू-रासायनिक, गुरुत्वाकर्षण चुंबकीय और मैग्नेटो-टेल्यूरिक (एमटी) सर्वे शामिल थे। इन सर्वेक्षणों के आधार पर तेल और गैस के भंडार की संभावना को सकारात्मक रूप से देखा गया।
ओएनजीसी की टीम ने ड्रिलिंग कार्य के लिए बलिया जिले के सागरपाली गांव के पास ग्रामसभा वैना (रट्टूचक) में स्थान का चयन किया। यहां पर करीब 8 एकड़ जमीन किराए पर ली गई और ड्रिलिंग प्रक्रिया की शुरुआत की गई। इस प्रक्रिया में लगभग 3001 मीटर गहरी ड्रिलिंग की जाएगी। ड्रिलिंग के बाद एक्स-रे (लॉगिंग) का इस्तेमाल करके गहरी जानकारी प्राप्त की जाएगी, जो इस क्षेत्र में पेट्रोलियम के भंडार की सटीकता को दर्शाएगी।
इस प्रोजेक्ट के लिए ओएनजीसी ने असम से क्रेन और अन्य आवश्यक उपकरण मंगवाए हैं। यह परियोजना बलिया जिले के आसपास के क्षेत्र के लिए न केवल रोजगार के अवसर पैदा कर सकती है, बल्कि राज्य के विकास के लिए भी एक महत्वपूर्ण कदम साबित हो सकती है। इस परियोजना पर लगभग 100 करोड़ रुपये खर्च होने का अनुमान है।
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