यूजीसी की गाइडलाइनों का उल्लंघन
राजभवन ने बिहार के सभी विश्वविद्यालयों को एक पत्र भेजा है, जिसमें उन शोधार्थियों को चिह्नित कर सूचित करने के लिए कहा गया है, जो UGC की गाइडलाइनों का उल्लंघन कर रहे हैं। इन गाइडलाइनों के अनुसार, शोधार्थियों को पीएचडी कोर्स में शामिल होने से पहले अपने संस्थान से NOC (No Objection Certificate) प्राप्त करना अनिवार्य होता है। इसके अलावा, पार्ट टाइम पीएचडी करने वाले विद्यार्थियों को नियमित रूप से अपने शोध कार्य के लिए समय देना होता है, ताकि वे कार्य में पूरी तरह से समर्पित हो सकें।
यूजीसी की सख्त कार्रवाई
यूजीसी ने स्पष्ट किया है कि जो शोधार्थी इस प्रकार की अनियमितताओं में शामिल पाए जाएंगे, उनके खिलाफ सख्त कार्रवाई की जाएगी। अगर कोई शोधार्थी बिना सही प्रक्रिया और NOC के पीएचडी कोर्स में शामिल होता है, तो उसका शोध कार्य निरस्त कर दिया जा सकता है और ऐसे शोधार्थियों को कोर्स से बाहर कर दिया जाएगा। यूजीसी ने राज्य और केंद्र सरकार के विभागों में सेवा दे रहे अधिकारियों और कर्मचारियों के बारे में भी जानकारी प्राप्त की है, जो इस प्रकार के नियमों का उल्लंघन कर रहे हैं।
100 से अधिक शोधार्थी नियमों के उल्लंघन में शामिल
प्रारंभिक रिपोर्ट में पाया गया है कि बिहार के विभिन्न विश्वविद्यालयों में 100 से अधिक शोधार्थी ऐसे हैं, जो सरकारी और निजी कंपनियों में पूर्णकालिक कर्मचारी हैं। इन शोधार्थियों ने कोर्सवर्क के दौरान अपनी नौकरी जारी रखी, जो कि UGC की गाइडलाइनों के खिलाफ है। इसके अलावा, विश्वविद्यालय प्रशासन की मिलीभगत से इन शोधार्थियों को बिना संबंधित संस्थान से NOC प्राप्त किए कोर्सवर्क में शामिल किया गया। इससे यह संकेत मिलता है कि इन विश्वविद्यालयों में पीएचडी कोर्स में अनुशासनहीनता बढ़ रही है।
पटना विश्वविद्यालय, पाटलिपुत्र विश्वविद्यालय और अन्य विश्वविद्यालयों में अनियमितताएं
पटना विश्वविद्यालय, पाटलिपुत्र विश्वविद्यालय, मौलाना मजहरुल हक अरबी एवं फारसी विश्वविद्यालय समेत बिहार के कई अन्य विश्वविद्यालयों में ऐसे शोधार्थियों की संख्या अधिक पाई गई है, जो एक ही दिन में दोनों स्थानों पर— विश्वविद्यालय और अपनी सरकारी या निजी कंपनी— दोनों स्थानों पर उपस्थित होते हैं। इस प्रकार के मामलों ने विश्वविद्यालय प्रशासन के खिलाफ गंभीर सवाल खड़े कर दिए हैं।
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