अमेरिका-1, चीन-2, भारत-3.. इकनॉमी की यह कैसी दौड़?

नई दिल्ली: हाल ही में UBS द्वारा जारी की गई रिपोर्ट ने भारत के आर्थिक परिप्रेक्ष्य में एक महत्वपूर्ण बदलाव को उजागर किया है। इसके अनुसार, भारत अब दुनिया का तीसरा सबसे बड़ा अमीरों का देश बन चुका है, जबकि पहले यह स्थान चीन के पास था। इस रिपोर्ट ने यह भी बताया है कि भारत में पिछले वित्तीय वर्ष में अमीरों की कुल दौलत में 42% की भारी बढ़ोतरी हुई है, जिससे यह आंकड़ा 905 अरब डॉलर से भी अधिक हो गया है। यह एक अहम संकेत है कि भारत में अरबपतियों की संपत्ति और शक्ति में तेजी से वृद्धि हो रही है, जो देश की आर्थ‍िक स्थितियों को दर्शाता है।

चीन में कमी, भारत में वृद्धि

जहां एक ओर चीन में अमीरों की दौलत में कमी देखी गई है, वहीं भारत में यह लगातार बढ़ती जा रही है। इसका मुख्य कारण भारतीय उद्यमियों की सक्रियता और भारतीय अर्थव्यवस्था का सकारात्मक माहौल है। UBS की रिपोर्ट में यह भी उल्लेख किया गया है कि पिछले 10 सालों में भारत में अरबपतियों की संख्या दोगुनी से भी ज्यादा बढ़कर 185 हो गई है। इन अरबपतियों की कुल दौलत में तीन गुना बढ़ोतरी दर्ज की गई है। यह वृद्धि भारतीय बाजार की स्थिरता और भारत में निवेश के बढ़ते माहौल का प्रमाण है।

पारिवारिक व्यवसायों का योगदान

भारत में अरबपतियों की दौलत में इस बढ़ोतरी का एक बड़ा कारण पारिवारिक व्यवसायों का योगदान है। पारिवारिक व्यवसायों ने न सिर्फ अपनी संपत्ति बढ़ाई है, बल्कि कई कंपनियां शेयर बाजार में सूचीबद्ध भी हुई हैं। इन कंपनियों में विभिन्न क्षेत्रों जैसे दवाएं, ऑनलाइन शिक्षा, वित्तीय तकनीक और फूड डिलीवरी आदि शामिल हैं। इन क्षेत्रों में नई और स्थापित कंपनियों का मिश्रण भारतीय अर्थव्यवस्था के मजबूत स्तंभों के रूप में उभरा है।

भारतीय अर्थव्यवस्था का असाधारण विकास

भारत का आर्थिक विकास तेजी से हो रहा है, जो दुनिया भर में चर्चा का विषय बना हुआ है। विशेषकर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की एनडीए सरकार ने अपने दो कार्यकालों में कई ढांचागत सुधार किए हैं, जिन्होंने भारतीय अर्थव्यवस्था को मजबूती प्रदान की है। इन सुधारों के परिणामस्वरूप भारत दुनिया की पांचवीं सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था बन गया है। यह सफलता भारतीय नीति, सुधार, और उद्यमिता की शक्ति को दर्शाता है।

भारत में सकारात्मक आर्थिक माहौल

भारत में निवेश का माहौल लगातार बेहतर हो रहा है। सरकार की नीतियां, जैसे विनिवेश, सरल कर प्रणाली, और विदेशी निवेश को प्रोत्साहित करने वाली पहलें, भारतीय बाजार को और अधिक आकर्षक बना रही हैं। इसके परिणामस्वरूप न केवल भारतीय कंपनियां अपने कारोबार को विस्तार दे रही हैं, बल्कि विदेशी निवेशक भी भारतीय बाजार में अपनी भागीदारी बढ़ा रहे हैं। साथ ही, भारत की मजबूत उपभोक्ता मांग और बढ़ती मिडल क्लास भी आर्थिक विकास के प्रमुख कारण हैं।

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