भारत में SU-57 का निर्माण: रूस ने दिया ऑफर!

नई दिल्ली: भारत और रूस के बीच रक्षा सहयोग हमेशा से ही एक मजबूत और रणनीतिक संबंध रहा है। वर्षों से, भारत ने रूस से हथियारों की खरीदारी की है और आज भी भारतीय सेना के पास 60 प्रतिशत से ज्यादा रूसी हथियार और उपकरण हैं। हालांकि, पिछले कुछ सालों में भारत ने अपनी रक्षा नीति में बदलाव करते हुए रूस पर अपनी निर्भरता कम करने की कोशिश की है। 

रूस का बड़ा ऑफर:

रूस ने भारत को एसयू-57 स्टील्थ फाइटर जेट के उत्पादन का ऑफर दिया है। यह एक एडवांस स्टील्थ फाइटर जेट है, जो अपनी उच्च तकनीकी क्षमताओं और अत्याधुनिक सुविधाओं के लिए प्रसिद्ध है। रूस की प्रमुख हथियार कंपनी रोसोबोरोनएक्सपोर्ट, जो एसयू-57 का निर्माण करती है, ने भारत को यह प्रस्ताव दिया है कि वह इस फाइटर जेट का निर्माण भारतीय भूमि पर कर सकेगा। साथ ही, रूस ने इस जेट की टेक्नोलॉजी भारत को देने की भी बात कही है।

यह ऑफर भारत के लिए एक महत्वपूर्ण अवसर हो सकता है, क्योंकि यह मेक इन इंडिया के तहत स्वदेशी उत्पादन की दिशा में एक बड़ा कदम हो सकता है। एसयू-57 जैसी अत्याधुनिक सैन्य तकनीक को देश में विकसित और निर्मित करने से भारत की रक्षा क्षमता में उल्लेखनीय वृद्धि हो सकती है। इसके अलावा, भारत को हथियारों के निर्माण में आत्मनिर्भर बनाने की दिशा में यह एक महत्वपूर्ण कदम साबित हो सकता है।

तकनीकी और औद्योगिक सहयोग

रूस का यह प्रस्ताव केवल एसयू-57 तक सीमित नहीं है। रूस ने एडवांस सैन्य उपकरणों के विकास और उत्पादन में भारत के साथ सहयोग बढ़ाने की पेशकश की है। इसमें भविष्य के बख्तरबंद वाहनों के निर्माण और भारतीय सेना के लिए नए हल्के टैंकों के विकास पर भी जोर दिया गया है। यह प्रस्ताव भारत की सैन्य क्षमताओं को बढ़ाने के साथ-साथ देश में ही अत्याधुनिक हथियारों का निर्माण करने की संभावना खोलता है।

भारत के लिए मेक इन इंडिया का एक नया अवसर

रूस का यह प्रस्ताव भारत के लिए मेक इन इंडिया के दृष्टिकोण को और मजबूत कर सकता है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने हमेशा स्वदेशी उत्पादन और आत्मनिर्भरता की बात की है, और इस प्रस्ताव के स्वीकार होने से भारत को रक्षा उपकरणों के उत्पादन में न केवल आत्मनिर्भरता मिल सकती है, बल्कि यह देश को एक प्रमुख निर्यातक के रूप में भी स्थापित कर सकता है। भारत के पास पहले से ही सैन्य प्रौद्योगिकी और औद्योगिक क्षमता है, लेकिन रूस के साथ साझेदारी से इस क्षेत्र में और अधिक विकास हो सकता है।

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