72 डिवीजन का गठन और इसकी रणनीतिक महत्ता
भारतीय सेना ने हाल ही में LAC पर अपनी सैन्य ताकत को बढ़ाने के लिए एक बड़े बदलाव का ऐलान किया है। यह कदम मौजूदा तीन डिवीजन के अतिरिक्त एक नए डिवीजन के गठन के रूप में सामने आया है। ‘72 डिवीजन’ का गठन भारतीय सेना के ऑर्डर ऑफ बैटल (ORBAT) में महत्वपूर्ण परिवर्तन के रूप में देखा जा रहा है, जो LAC पर स्थिति को और मजबूत करेगा।
कहा जा रहा है कि 72 डिवीजन का मुख्यालय पहले ही खोल दिया गया है और एक ब्रिगेड को पूर्वी लद्दाख में तैनात भी किया जा चुका है, जिससे यह साफ है कि इस डिवीजन ने अपनी गतिविधियां शुरू कर दी हैं। एक बड़ा हिस्सा इस डिवीजन का भारत के पश्चिमी हिस्से में प्रशिक्षण प्राप्त कर रहा है, ताकि यह सैनिक विशेष कार्यों के लिए पूरी तरह से तैयार हो सकें।
सैनिकों की संख्या और संरचना
आमतौर पर, एक डिवीजन में 10,000 से 15,000 सैनिक होते हैं, जबकि 8,000 सहायक होते हैं। किसी भी डिवीजन में 3-4 ब्रिगेड होते हैं, और हर ब्रिगेड में 3,500 से 4,000 सैनिक होते हैं। इस तरह, 72 डिवीजन के पास तैनात सैनिकों की संख्या और उनकी संरचना भारत की सेना की ताकत को दर्शाती है। इस डिवीजन को फायर एंड फ्यूरी कोर के अधीन रखा जाएगा, जो लेह में स्थित है। यह कोर अपने आप में एक महत्वपूर्ण सैन्य संगठन है जो LAC पर भारत की सुरक्षा में अहम भूमिका निभाता है।
सुरक्षा और सामरिक दृष्टिकोण
72 डिवीजन का गठन भारत की सुरक्षा नीति और सामरिक दृष्टिकोण को पुनः स्पष्ट करता है। यह कदम केवल LAC पर मौजूद सैनिकों की संख्या को बढ़ाने के लिए नहीं है, बल्कि यह एक बड़े रणनीतिक बदलाव का हिस्सा भी है, जिसमें सेना को और अधिक सुसज्जित और तैयार किया जा रहा है। भारतीय सेना का यह फैसला न केवल चीन के साथ सीमा पर तनाव की स्थिति को देखते हुए लिया गया है, बल्कि यह भारत की बढ़ती सैन्य ताकत का भी प्रतीक है।
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