भारत का रक्षा क्षेत्र: 76 साल में क्यों नहीं बना सके जेट इंजन?

नई दिल्ली: भारत का रक्षा क्षेत्र बड़ी ताकत के रूप में उभरा है, लेकिन जेट इंजन जैसे अहम तकनीकी क्षेत्र में आत्मनिर्भरता हासिल करना अब भी एक बड़ी चुनौती है। इस रिपोर्ट में हम कुछ प्रमुख कारणों को देखेंगे, जिनकी वजह से भारत आजादी के 76 साल बाद भी अपना जेट इंजन नहीं बना सका।

1. उन्नत तकनीकी ज्ञान की कमी

जेट इंजन बनाने के लिए अत्यधिक उन्नत और विशिष्ट तकनीकी ज्ञान की आवश्यकता होती है। जेट इंजन का डिज़ाइन, निर्माण और परीक्षण बहुत जटिल होता है और इसमें उच्च-स्तरीय इंजीनियरिंग के साथ-साथ शुद्ध वैज्ञानिक कौशल की आवश्यकता होती है। भारत में इस स्तर की तकनीकी विशेषज्ञता की शुरुआत में कमी रही है, हालांकि अब इसमें सुधार हो रहा है।

2. संसाधनों और निवेश की कमी

जेट इंजन निर्माण के लिए विशाल निवेश की आवश्यकता होती है, जिसमें अनुसंधान, विकास, और परीक्षण के लिए उच्च गुणवत्ता वाली सुविधाओं और उपकरणों की जरूरत होती है। भारत में रक्षा क्षेत्र का बजट बढ़ने के बावजूद, लंबे समय तक इस क्षेत्र में पर्याप्त निवेश नहीं हो सका। इसके अलावा, ऐसे परियोजनाओं को समयबद्ध तरीके से पूरा करना भी मुश्किल होता है, क्योंकि इनके लिए स्थिर और पर्याप्त धन की आवश्यकता होती है।

3.आत्मनिर्भरता की धीमी गति

भारत ने रक्षा क्षेत्र में आत्मनिर्भरता के लिए बहुत देर से कोशिश की, वर्तमान की  नरेंद्र मोदी सरकार ने "आत्मनिर्भर भारत" और "मेक इन इंडिया" जैसे कार्यक्रम चलाये।  हालांकि इन पहलुओं ने भारतीय रक्षा क्षेत्र में सुधार किया है, लेकिन जेट इंजन जैसे अत्यधिक जटिल उत्पाद में आत्मनिर्भरता की ओर प्रगति धीमी रही है। भारतीय अनुसंधान संस्थानों और उद्योगों को ऐसे जटिल प्रोजेक्ट्स में आत्मनिर्भरता हासिल करने के लिए और अधिक समय और प्रयास की आवश्यकता है।

4. रक्षा क्षेत्र में प्राइवेट सेक्टर की भागीदारी कम

भारत में रक्षा उद्योग में अधिकतर काम सरकारी संस्थाओं के द्वारा ही किया जाता है। हालांकि हाल के वर्षों में निजी कंपनियों को भी इसमें शामिल किया गया है, लेकिन जेट इंजन जैसे प्रौद्योगिकियों को विकसित करने में प्राइवेट सेक्टर की भागीदारी सीमित रही है। इसमें सरकारी नियंत्रण और पुराने नियमों की वजह से निजी कंपनियों का जोखिम लेने की क्षमता सीमित रही है।

5. राष्ट्रीय सुरक्षा और जटिल परीक्षण प्रक्रिया

जेट इंजन रक्षा क्षेत्र से जुड़ा हुआ उत्पाद है, जो राष्ट्रीय सुरक्षा के लिहाज से बेहद संवेदनशील होता है। इसका डिज़ाइन, परीक्षण और उत्पादन कई स्तरों पर सुरक्षा जांच से गुजरता है, जो कि समय और संसाधनों की बड़ी खपत का कारण बनता है। इसके अलावा, कई बार जेट इंजन से जुड़े परीक्षणों में असफलताएं भी आई हैं, जिससे परियोजना की प्रगति धीमी हो गई है।

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