हाल ही में प्रोगेसिव एसोसिएशन ऑफ पैरेंट्स अवेयरनेस के राष्ट्रीय संयोजक दीपक सिंह सरीन और श्री बांके बिहारी एजुकेशनल सोसाइटी के संरक्षक डॉ. मदन मोहन शर्मा ने यह शिकायत की थी कि कई स्कूल प्रबंधन अभिभावकों को निर्धारित दुकानों से ही पाठ्यपुस्तकें और यूनिफॉर्म खरीदने के लिए विवश कर रहे हैं। इसके साथ ही ये विद्यालय प्रबंधन शिक्षा का अधिकार अधिनियम का उल्लंघन कर प्राइवेट पब्लिशर्स की किताबें छात्रों को थमा रहे हैं, जिससे अभिभावकों का शोषण हो रहा है।
बता दें की मुख्य विकास अधिकारी प्रतिभा सिंह ने इस गंभीर शिकायत को संज्ञान में लिया और तुरंत स्कूलों को सख्त निर्देश दिए। उन्होंने कहा कि यदि कोई स्कूल शासन के निर्देशों की अनदेखी करता है और छात्रों को अतिरिक्त वित्तीय बोझ डालता है, तो उसके खिलाफ कड़ी कार्रवाई की जाएगी।
शासन के निर्देशों की मुख्य बातें:
1 .किसी भी प्रकार का व्यावसायिक उद्देश्य नहीं:
यूपी सरकार ने यह स्पष्ट कर दिया है कि कोई भी विद्यालय किसी व्यक्ति या समूह को लाभ पहुंचाने के उद्देश्य से संचालित नहीं किया जाएगा। यह आदेश स्कूलों की स्थापना और संचालन के उद्देश्य को शिक्षा के प्रचार-प्रसार तक ही सीमित रखता है।
2 .निर्धारित पाठ्यक्रम का पालन:
सरकार ने यह निर्देश दिया है कि मान्यता प्राप्त विद्यालयों में केवल बेसिक शिक्षा परिषद द्वारा निर्धारित पाठ्यक्रम और पाठ्यपुस्तकों का ही उपयोग किया जाएगा। विद्यालयों को अपने मनमाने तरीके से प्राइवेट पब्लिशर्स की किताबों को नहीं लागू करने दिया जाएगा।
3 .विद्यालय परिसरों का सही उपयोग:
शिक्षा का अधिकार अधिनियम के तहत यह भी आदेश दिया गया है कि विद्यालयों के भवनों और परिसरों का इस्तेमाल किसी भी दशा में व्यावसायिक या आवासीय उद्देश्यों के लिए नहीं किया जाएगा।
4 .शासनादेश का पालन अनिवार्य:
खासकर, अशासकीय प्राथमिक और जूनियर हाई स्कूलों को 26 सितंबर 2023 के शासनादेश का पालन करना अनिवार्य होगा। इसके उल्लंघन की स्थिति में विद्यालय की मान्यता को रद्द करने की कार्रवाई की जाएगी।
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