जल परिवहन की महत्वता
जल परिवहन को सस्ता और पर्यावरण अनुकूल माना जाता है। यह रोड और रेलवे परिवहन के मुकाबले कम खर्चीला और प्रदूषण मुक्त होता है। उत्तर प्रदेश में गंगा, यमुना, सरयू, घाघरा, गोमती, चंबल, बेतवा, वरुणा, कर्मनाशा, राप्ती, मंदाकिनी और केन जैसी नदियां हैं, जिनका जल परिवहन के लिए उपयोग किया जा सकता है। इन नदियों के माध्यम से माल ढुलाई और यात्री आवागमन को आसान बनाया जा सकेगा।
इस परियोजना के पहले चरण में प्रयागराज, वाराणसी से गाजीपुर तक गंगा नदी पर जल परिवहन के रूट की तैयारी की गई है। भविष्य में इस रूट को कानपुर और फर्रूखाबाद तक बढ़ाने की योजना है। इसके साथ ही, अन्य नदियों पर भी जल परिवहन की संभावनाओं का अध्ययन किया जाएगा।
जल पर्यटन की संभावनाएं
उत्तर प्रदेश में जल पर्यटन को बढ़ावा देने के लिए सरकार ने कई प्रमुख नदियों पर जल पर्यटन की शुरुआत की है। गंगा और यमुना नदी पर पहले ही जल पर्यटन की पहल की जा चुकी है। अब सरयू, गोमती, चंबल, बेतवा, वरुणा, कर्मनाशा, राप्ती, मंदाकिनी और केन नदियों पर भी जल पर्यटन की संभावनाएं तलाशी जाएंगी।
सरयू नदी पर अयोध्या, गोमती पर लखनऊ, चंबल पर इटावा, बेतवा पर हमीरपुर और जालौन, वरुणा पर वाराणसी, कर्मनाशा पर सोनभद्र, चंदौली और गाजीपुर, राप्ती पर गोरखपुर, मंदाकिनी पर चित्रकूट, और केन नदी पर बांदा में जल पर्यटन की संभावनाएं जांची जाएंगी। यह कदम न केवल स्थानीय पर्यटन को बढ़ावा देगा, बल्कि इन क्षेत्रों में रोजगार के अवसर भी उत्पन्न करेगा।
सर्वे और रिपोर्ट तैयार करना
इन नदियों में जल परिवहन और जल पर्यटन की व्यवहारिकता को समझने के लिए एक विशेषज्ञ टीम का गठन किया जाएगा। लोक निर्माण, पर्यटन एवं संस्कृति, सिंचाई एवं जल संसाधन, वन एवं पर्यावरण विभागों के अभियंताओं की टीम नदियों के उद्गम स्थल से लेकर समाहित होने तक का सर्वे करेगी। इस सर्वे का उद्देश्य यह पता करना है कि किन क्षेत्रों में जल पर्यटन के लिए नदी उपयुक्त है और कहां जल परिवहन के लिए उपयुक्त मार्ग बनाए जा सकते हैं।
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