चकबंदी अभियान का उद्देश्य
भूमि चकबंदी का मुख्य उद्देश्य किसानों के खेतों के आकार और स्थिति को सही करना है। बहुत से क्षेत्रों में जमीनों का बंटवारा असमान और विवादपूर्ण है, जिससे किसानों को अपनी भूमि पर काम करने में कठिनाई होती है। चकबंदी से न केवल भूमि का सही बंटवारा होगा, बल्कि यह खेती में सुधार के लिए भी सहायक होगा, जिससे कृषि क्षेत्र में उत्पादकता बढ़ेगी और किसानों को अपनी भूमि का अधिकतम लाभ मिल सकेगा।
अभियान की शुरुआत
इस अभियान की शुरुआत अप्रैल 2025 से होने जा रही है, और यह उन गांवों में लागू होगा जिनके 50 प्रतिशत किसान चकबंदी के लिए सहमति दे चुके हैं। चकबंदी निदेशालय ने अभियान की शुरुआत के लिए सभी जिलाधिकारियों को समय पर तैयारियों को पूरा करने के निर्देश दिए हैं। इस योजना का उद्देश्य यह सुनिश्चित करना है कि अभियान के दौरान किसी भी प्रकार की कोई बाधा उत्पन्न न हो, और किसानों को पारदर्शी तरीके से उनके खेतों का सही वितरण किया जा सके।
चकबंदी प्रक्रिया में क्या-क्या होगा?
1 .भूचित्र का पुनरीक्षण: पहले से मौजूद भूचित्रों का पुनरीक्षण किया जाएगा ताकि भूमि की सही स्थिति और उसके मालिक का पता लगाया जा सके।
2 .पड़ताल और विनिमय प्रारूप निर्धारण: जमीन के वर्तमान स्वामित्व और सीमाओं की जांच की जाएगी और भूमि का विनिमय प्रारूप तैयार किया जाएगा।
3 .वर्षीय रजिस्टर की समीक्षा: पुनरीक्षित वार्षिक रजिस्टर तैयार किया जाएगा, जिससे भूमि स्वामित्व में किसी प्रकार की कोई गड़बड़ी न हो।
4 .अवशेष वादों का विवरण: जिन भूमि विवादों का निपटारा नहीं हुआ है, उनका विवरण तैयार किया जाएगा और उनका समाधान किया जाएगा।
5 .प्रारंभिक चकबंदी योजना का निर्माण और प्रकाशन: सभी गांवों में चकबंदी योजना तैयार कर उसे सार्वजनिक किया जाएगा, ताकि हर किसान को उसकी भूमि के बारे में स्पष्ट जानकारी मिल सके।
6 .चर्चा और अपीलों का समाधान: किसी भी किसान की आपत्ति या अपील का समाधान पारदर्शी और सही तरीके से किया जाएगा।
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