वेतन विसंगति का मुद्दा
बिहार में शिक्षकों की वेतन विसंगति एक लंबा समय से चर्चा का विषय रही है। राज्य के सरकारी स्कूलों में नियोजित और विशेष श्रेणी के शिक्षकों के बीच वेतन में अंतर था। यह स्थिति इस हद तक पहुंच गई थी कि कई प्राथमिक शिक्षकों को माध्यमिक शिक्षकों से अधिक वेतन मिल रहा था। इसके कारण एक अराजकता उत्पन्न हो गई थी और कई शिक्षक अपनी सेवा की अवधि के बावजूद उचित वेतन नहीं प्राप्त कर पा रहे थे।
एमएलसी संजय कुमार सिंह ने इस पर चिंता व्यक्त की थी और कहा था कि इस विसंगति के कारण शिक्षकों की वरीयता प्रभावित हो रही थी। उन्होंने यह भी कहा कि जो शिक्षक 15 से 20 वर्षों से कार्यरत हैं, उन्हें सेवा निरंतरता का लाभ मिलना चाहिए। इस मुद्दे पर शिक्षा मंत्री सुनील कुमार ने स्पष्ट किया कि राज्य सरकार इस विसंगति को दूर करने के लिए एक उचित कदम उठाएगी।
उच्चस्तरीय कमेटी का गठन
इस समस्या को सुलझाने के लिए राज्य सरकार ने शिक्षा विभाग में एक उच्चस्तरीय कमेटी का गठन करने का निर्णय लिया है। इस कमेटी की अध्यक्षता शिक्षा सचिव करेंगे और यह कमेटी रिपोर्ट तैयार करके राज्य सरकार को इस मुद्दे पर उचित निर्णय लेने में मदद करेगी। शिक्षा मंत्री के अनुसार, इस कदम से शिक्षकों के वेतन विसंगतियों को दूर करने में मदद मिलेगी और उनका सही हक उन्हें समय पर मिल सकेगा।
सेवा निरंतरता का लाभ
इसके साथ ही, शिक्षकों को सेवा निरंतरता का लाभ भी दिया जाएगा, जिससे उनके वेतन में बदलाव के बावजूद उनका सेवा रिकॉर्ड सुरक्षित रहेगा। यह एक बड़ा कदम है क्योंकि लंबे समय तक सेवा देने वाले शिक्षकों को यह लाभ मिलने से उनका मनोबल बढ़ेगा और उन्हें न्याय मिलेगा।
शिक्षा मंत्री का बयान
शिक्षा मंत्री सुनील कुमार ने यह भी कहा कि वेतन विसंगति के इस मसले को सुलझाने के लिए राज्य सरकार गंभीर है और इसे शीघ्र सुलझाने के लिए एक ठोस योजना बनाई जा रही है। उन्होंने यह भी आश्वासन दिया कि राज्य सरकार के निर्णय से शिक्षकों को न केवल वेतन में सुधार मिलेगा, बल्कि उनका सम्मान भी बढ़ेगा।
0 comments:
Post a Comment