बिहार के 31 जिलों में भूजल प्रदूषित: लाखों लोग हैं खतरे में!

पटना: बिहार में जल प्रदूषण एक गंभीर समस्या बनकर उभर रही है। राज्य के लोक स्वास्थ्य अभियांत्रिकी विभाग (पीएचईडी) द्वारा हाल ही में किए गए अध्ययन में यह खुलासा हुआ है कि राज्य के 38 जिलों में से 31 जिलों के लगभग 26 प्रतिशत ग्रामीण वार्डों में भूजल आर्सेनिक, फ्लोराइड और आयरन की मात्रा निर्धारित सीमा से अधिक पाई गई है। इससे न केवल जलस्रोतों की गुणवत्ता प्रभावित हो रही है, बल्कि ग्रामीण आबादी के स्वास्थ्य पर भी गंभीर असर पड़ सकता है।

भूजल प्रदूषण का कारण:

भूजल में आर्सेनिक, फ्लोराइड और आयरन की अधिकता से स्वास्थ्य संबंधित कई प्रकार की समस्याएं उत्पन्न हो सकती हैं। आर्सेनिक प्रदूषण के कारण त्वचा रोग, किडनी और लिवर की समस्याएं, और यहां तक कि कैंसर जैसी गंभीर बीमारियां भी हो सकती हैं। फ्लोराइड का अधिकतम सेवन दांतों की सड़न और हड्डियों की कमजोरी का कारण बन सकता है। आयरन की अधिकता से भी रक्त संबंधित समस्याएं हो सकती हैं। इन सभी तत्वों का बढ़ा हुआ स्तर लंबे समय में जानलेवा भी साबित हो सकता है।

प्रभावित जिले:

बिहार के जिन जिलों में भूजल प्रदूषण की समस्या अधिक गंभीर है, उनमें बक्सर, भोजपुर, पटना, सारण, वैशाली, लखीसराय, दरभंगा, समस्तीपुर, बेगुसराय, खगड़िया, मुंगेर, कटिहार, भागलपुर, सीतामढ़ी, कैमूर, रोहतास, औरंगाबाद, गया, नालंदा, नवादा, शेखपुरा, जमुई, बांका, सुपौल, मधेपुरा, सहरसा, अररिया और किशनगंज प्रमुख हैं। इन जिलों में पानी के स्रोतों में प्रदूषण का स्तर उच्च होने के कारण ग्रामीण इलाकों में लोग सुरक्षित पीने के पानी के लिए संघर्ष कर रहे हैं।

संगीन समस्या:

भूजल प्रदूषण के चलते ग्रामीण क्षेत्रों में पीने के पानी की गुणवत्ता पर गहरा असर पड़ रहा है। इस प्रदूषण के कारण होने वाली बीमारियों की संख्या में लगातार वृद्धि हो रही है, और चिकित्सा सुविधाओं का अभाव भी इस समस्या को और बढ़ा रहा है। इसके परिणामस्वरूप, ग्रामीण क्षेत्रों में स्वास्थ्य संकट का सामना करना पड़ रहा है, जिससे समाज के सबसे कमजोर वर्गों पर बुरा प्रभाव पड़ रहा है।

राज्य सरकार की पहल:

इस गंभीर स्थिति को देखते हुए, राज्य सरकार ने कई योजनाओं की शुरुआत की है। पीएचईडी मंत्री नीरज कुमार सिंह ने कहा कि राज्य सरकार ने ग्रामीण बिहार को "हैंडपंप मुक्त" बनाने का निर्णय लिया है। इसके साथ ही "हर घर नल का जल" योजना के तहत ग्रामीण क्षेत्रों में लोगों को सुरक्षित पेयजल उपलब्ध कराने की दिशा में कदम बढ़ाए जा रहे हैं। इस योजना के तहत राज्य सरकार यह सुनिश्चित करना चाहती है कि हर घर में नल के पानी का सुरक्षित और स्वच्छ जल उपलब्ध हो, जिससे जलजनित बीमारियों का खतरा कम किया जा सके।

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