1978 के बाद चीन में बदलाव का एक नया दौर
1978 में जब चीन ने अपने आर्थिक सुधारों की शुरुआत की, तब उस समय चीन की प्रति व्यक्ति आय महज 155 अमेरिकी डॉलर थी। वहीं, भारत की प्रति व्यक्ति आय तब 210 डॉलर थी। यह आंकड़े साफ तौर पर दिखाते हैं कि उस समय भारत आर्थिक दृष्टि से अधिक समृद्ध था। लेकिन चीन ने 1978 के बाद से जो सुधार शुरू किए, वह ऐतिहासिक साबित हुए। माओ जेडोंग के बाद, उनके उत्तराधिकारी देंग जियाओपिंग ने चीन की अर्थव्यवस्था को खोलने का साहसिक कदम उठाया। इस फैसले ने देश की आर्थिक दिशा और उसकी गति को पूरी तरह बदल दिया।
चीन की सफलता और भारत के पिछड़ने का कारण
भारत ने अपने आर्थिक सुधारों की शुरुआत 1991 में की, जब भारत ने उदारीकरण, निजीकरण और वैश्वीकरण की दिशा में कदम बढ़ाए। उस समय चीन की प्रति व्यक्ति आय 331 डॉलर थी, जबकि भारत की प्रति व्यक्ति आय 309 डॉलर थी। तब तक चीन पहले ही कई क्षेत्रों में सफलता हासिल कर चुका था। इसके बाद, चीन ने एक नई आर्थिक दिशा अपनाई और तकनीकी विकास, बुनियादी ढांचे के निर्माण, और वैश्विक व्यापार में भागीदारी को बढ़ावा दिया।
चीन ने 1991 के बाद से 24 गुना ज्यादा विकास किया है। वहीं भारत की प्रति व्यक्ति आय महज 5 गुना बढ़ी है। 2019 में, चीन की प्रति व्यक्ति आय लगभग 10,500 डॉलर थी, जबकि भारत की प्रति व्यक्ति आय महज 2,191 डॉलर थी। यह आंकड़े साफ बताते हैं कि चीन ने अपने आर्थिक सुधारों के जरिए भारत से बहुत आगे निकल चुका था।
साल 2025 में भारत और चीन की जीडीपी की स्थिति
आईएमएफ के ताजा आंकड़ों के मुताबिक, भारत की GDP 2015 में $2.1 ट्रिलियन थी, जो 2025 तक बढ़कर $4.3 ट्रिलियन हो गई। चीन की जीडीपी (GDP) वर्तमान में दुनिया की दूसरी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था है, जो 2024 में 18.273 ट्रिलियन डॉलर के अनुमानित नाममात्र जीडीपी के साथ, अमेरिका के बाद दूसरे स्थान पर है।
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