दुनिया में 5 देशों के पास वीटो पावर, जानें इसकी शक्ति

नई दिल्ली: संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद (UNSC) में पाँच देशों के पास वीटो पावर है, जो उन्हें वैश्विक निर्णयों में महत्वपूर्ण भूमिका निभाने का अधिकार देता है। ये पांच देश हैं – अमेरिका, रूस, चीन, फ्रांस और ब्रिटेन। इन देशों को वीटो पावर प्राप्त है, जिससे वे सुरक्षा परिषद के किसी भी प्रस्ताव को अस्वीकार कर सकते हैं। इस अधिकार का प्रभाव और शक्ति निम्नलिखित पाँच बिंदुओं में समझी जा सकती है:

अंतरराष्ट्रीय निर्णयों पर प्रभाव

वीटो पावर रखने वाले देशों के पास सुरक्षा परिषद के प्रस्तावों को रोकने की शक्ति होती है, चाहे बाकी सदस्य देशों का मत उस प्रस्ताव के पक्ष में हो। इसका मतलब है कि ये देशों का विरोध एक प्रस्ताव को पूरी तरह से निष्क्रिय कर सकता है, जिससे दुनिया भर में उनके निर्णयों का सीधा प्रभाव पड़ता है।

वैश्विक शक्ति संतुलन

वीटो पावर इन पाँच देशों को वैश्विक शक्ति संरचना में एक असाधारण स्थान देता है। इन देशों का वैश्विक राजनीतिक और कूटनीतिक प्रभाव उनकी वीटो शक्ति के कारण मजबूत होता है, क्योंकि उनका विरोध वैश्विक सुरक्षा और शांति से संबंधित किसी भी निर्णय को विफल कर सकता है।

विश्व शांति की रक्षा

वीटो पावर इन देशों को वैश्विक संघर्षों और युद्धों से जुड़ी महत्वपूर्ण मुद्दों पर प्रभाव डालने की शक्ति देता है। उदाहरण स्वरूप, यदि कोई प्रस्ताव युद्ध या आक्रमण रोकने के लिए प्रस्तुत किया जाता है, तो वीटो पावर वाले देश इसे रोक सकते हैं, जिससे वे शांति की रक्षा कर सकते हैं।

कूटनीतिक वार्ता में मजबूती

वीटो पावर रखने वाले देश सुरक्षा परिषद के भीतर अपनी कूटनीतिक स्थिति को मजबूत कर सकते हैं। इन्हें अक्सर अन्य देशों के साथ समझौतों या सहयोगों में उनके हितों को सुरक्षित रखने का अवसर मिलता है, क्योंकि वे जानते हैं कि उनका विरोध वैश्विक प्रस्तावों को विफल कर सकता है।

संघर्ष और विवाद का कारण

हालांकि वीटो पावर के फायदे हैं, लेकिन यह कभी-कभी अंतरराष्ट्रीय समुदाय के भीतर असंतोष और विवाद का कारण भी बनता है। छोटे देशों और विकासशील देशों के लिए यह स्थिति अन्यायपूर्ण हो सकती है, क्योंकि यह उनके हितों की अनदेखी कर सकता है, जिससे वैश्विक राजनीतिक असंतुलन बढ़ सकता है।

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