क्या होता है फिटमेंट फैक्टर?
फिटमेंट फैक्टर (Fitment Factor) एक मल्टीप्लायर होता है, जो सरकारी कर्मचारियों की बेसिक सैलरी या मूल वेतन (Basic Pay) के कैलकुलेशन के लिए इस्तेमाल किया जाता है। यह फैक्टर कर्मचारियों की मौजूदा सैलरी को बढ़ाने में मदद करता है और वेतन आयोग की सिफारिशों के तहत इसे बढ़ाया जाता है।
फिटमेंट फैक्टर के महत्व को समझना आवश्यक है, क्योंकि यही वह संख्या होती है, जिसके आधार पर वेतन में वृद्धि की गणना की जाती है। उदाहरण के लिए, 7वें वेतन आयोग में फिटमेंट फैक्टर 2.57 था, जबकि 6वें वेतन आयोग में यह 1.86 था। 8वें वेतन आयोग में इसे 2.28 से 2.86 के बीच होने की संभावना जताई जा रही है।
वेतन में कितनी बढ़ोतरी हो सकती है?
यदि 8वें वेतन आयोग में फिटमेंट फैक्टर 2.86 तय किया जाता है, तो केंद्र सरकार के कर्मचारियों की बेसिक सैलरी में 40% से 50% तक की बढ़ोतरी हो सकती है। इसका मतलब है कि अगर किसी कर्मचारी की मौजूदा बेसिक सैलरी 20,000 रुपये है, तो नई सैलरी कुछ इस प्रकार होगी:
20,000 × 2.86 = 57,200 रुपये यानि 20,000 रुपये की सैलरी में करीब 37,200 रुपये की वृद्धि हो सकती है। इसी तरह, अगर किसी कर्मचारी की सैलरी 18,000 रुपये है, तो उसकी नई सैलरी 51,480 रुपये हो सकती है।
उदाहरण के तौर पर:
मौजूदा मिनिमम बेसिक सैलरी: 18,000 रुपये
संभावित नई मिनिमम बेसिक सैलरी:
18,000 × 2.86 = 51,480 रुपये
मौजूदा मिनिमम पेंशन: 9,000 रुपये
संभावित नई मिनिमम पेंशन:
9,000 × 2.86 = 25,740 रुपये
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