ट्रांजैक्शन अडवाइजर की चयन प्रक्रिया
ट्रांजैक्शन अडवाइजर की नियुक्ति के लिए तीन प्रमुख कंपनियों ने आवेदन किया है, जिनमें अर्नस्ट ऐंड यंग (ई ऐंड वाई), डेलॉयट और ग्रैंड थॉर्नटन शामिल हैं। इन कंपनियों के द्वारा प्रस्तुत किए गए टेक्निकल बिड्स को शनिवार को खोला गया, और अब इन तीन कंपनियों में से एक को चयनित किया जाएगा। इसके बाद, फाइनेंशियल बिड खोलने की प्रक्रिया शुरू की जाएगी, जो कि इस परियोजना की आगे की दिशा तय करेगी।
निजीकरण का उद्देश्य और संभावित लाभ
यूपी सरकार का दावा है कि विद्युत वितरण निगमों के निजीकरण से वितरण व्यवस्था में सुधार होगा, बिजली आपूर्ति की गुणवत्ता बेहतर होगी, और बिजली के बिलों में भी कमी आएगी। निजी कंपनियों की आमद से दक्षता में वृद्धि की उम्मीद जताई जा रही है। इसके साथ ही, बिजली विभाग पर वित्तीय दबाव कम होने की संभावना भी जताई जा रही है, क्योंकि निजी कंपनियां लागत कम करने और संसाधनों का बेहतर उपयोग करने में सक्षम होती हैं।
निजीकरण के विरोध और उसके कारण
हालांकि, बिजली इंजिनियरों और कुछ विपक्षी दलों का मानना है कि यह कदम आम जनता के हित में नहीं होगा। उनका आरोप है कि निजीकरण से बिजली की दरें बढ़ सकती हैं, और निजी कंपनियों की प्राथमिकता मुनाफा कमाना होगी, न कि उपभोक्ताओं की सेवा। इसके अलावा, कर्मचारियों के भविष्य को लेकर भी चिंता व्यक्त की जा रही है। इंजिनियरों का यह भी कहना है कि निजी कंपनियों को लेकर पहले से ही कई विवाद हैं, और इनका सरकारी बिजली कंपनियों से तुलना करने पर यह स्पष्ट होता है कि सरकारी कंपनियों में सेवा की भावना अधिक होती है।
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