नई व्यवस्था का क्या है असर?
यूपी सरकार ने एंटी भू-माफिया पोर्टल को और भी ज्यादा प्रभावी और पारदर्शी बनाने के लिए सुधार किए हैं। अब, जब भी किसी भूमि पर अवैध कब्जे की शिकायत पोर्टल पर दर्ज होगी, तो इसे सीधे उप जिलाधिकारी (एसडीएम) के लॉगिन पर प्रदर्शित किया जाएगा। इससे शिकायत पर त्वरित कार्रवाई संभव होगी, और शिकायतकर्ताओं को उनके मामले में गति और न्याय मिल सकेगा।
इस नई व्यवस्था का सबसे बड़ा फायदा यह होगा कि अब शिकायतें सीधे राजस्व विभाग और पुलिस विभाग द्वारा लगातार निगरानी में रहेंगी, जिससे भ्रष्टाचार और देरी की संभावना कम हो जाएगी। इस तरह, यह प्रणाली सीधे तौर पर जिलाधिकारियों और उप जिलाधिकारियों को जिम्मेदार ठहराएगी, जिससे सरकारी अधिकारियों की जवाबदेही और पारदर्शिता बढ़ेगी।
अवैध कब्जे के मामलों में बदलाव
अब तक की व्यवस्था में कुछ मामलों में शिकायतों के समाधान में देरी होती थी, लेकिन इस नई व्यवस्था के तहत शिकायतों को तीन चरणों में हल किया जाएगा। इन शिकायतों को आठ श्रेणियों में विभाजित किया जाएगा, जिनमें प्रमुख हैं:
1 .शासकीय और सार्वजनिक भूमि पर कब्जा - जैसे चकरोड, तालाब, खलिहान, चारागाह।
2 .प्राइवेट आवासीय भूमि पर कब्जा - अवैध तरीके से निजी जमीन पर कब्जा करना।
3 .कृषि भूमि पर कब्जा - कृषि भूमि के पट्टे की भूमियों पर कब्जा।
4 .फर्जी बैनामे पर नामांतरण - फर्जी दस्तावेजों के जरिए भूमि का नामांतरण।
5 .सार्वजनिक भूमि का दुरुपयोग - पानी निकास, आबादी क्षेत्र, आदि की भूमि पर अवैध कब्जा।
6 .सहखातेदारों और अन्य भूमिधरों द्वारा कब्जा - अन्य व्यक्तियों द्वारा सामूहिक भूमि पर कब्जा।
इन मामलों पर एसडीएम सीधे कार्रवाई कर सकेंगे, और यह सुनिश्चित किया जाएगा कि कोई भी अवैध कब्जा न केवल चिन्हित हो बल्कि उसे तत्काल हटाया भी जाए। इस संशोधन के बाद, अब शिकायतों की जांच और कार्रवाई में एक नया अध्याय शुरू हो चुका है। पहले शिकायतें लंबे समय तक टलती रहती थीं, लेकिन अब एसडीएम और जिलाधिकारी के स्तर पर सीधी कार्रवाई सुनिश्चित की जाएगी।
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