भारतीय सेना में अमेरिकी हथियारों का बढ़ता प्रभाव: सुरक्षा रणनीतियों में नया मोड़!

नई दिल्ली: भारत की सुरक्षा रणनीति में पिछले कुछ दशकों में महत्वपूर्ण बदलाव आए हैं। खासतौर पर, भारतीय सेना के उपकरणों की खरीद में रूस से कम होती निर्भरता और अमेरिका से बढ़ती साझेदारी इस बदलाव का अहम हिस्सा है। भारतीय सेना के तीनों अंग – थलसेना, वायुसेना, और नौसेना – में अमेरिकी हथियारों की तैनाती अब एक नई दिशा की ओर इशारा कर रही है।

रूस से अमेरिकी हथियारों की ओर बढ़ता रुझान

भारत हमेशा से ही रूस पर अपनी सैन्य आपूर्ति का अधिकांश हिस्सा निर्भर करता आया था। रूस के साथ रक्षा संबंधों की लंबी परंपरा रही है, जिसमें समय-समय पर भारी मात्रा में हथियारों की खरीदारी की गई। आज भी भारत के पास 60 से 70 प्रतिशत हथियार रूसी हैं। हालांकि, पिछले कुछ वर्षों में भारत और रूस के बीच रक्षा उपकरणों की खरीद में कमी देखी जा रही है, और इस खालीपन को भरने के लिए अमेरिका ने एक बड़ा कदम उठाया है।

अमेरिकी हथियारों का बढ़ता प्रभाव: नए बदलाव

वायुसेना: भारतीय वायुसेना की ताकत में हाल के वर्षों में अमेरिकी हथियारों का महत्वपूर्ण योगदान रहा है। 28 अपाचे अटैक हेलिकॉप्टर और 1354 AGM-114 हेलफायर एंटी टैंक मिसाइल, जैसी उच्च गुणवत्ता वाली प्रणालियाँ, वायुसेना की रणनीतिक क्षमता को मजबूत कर रही हैं। इसके अलावा, 15 चिनूक हैवी लिफ्ट हेलिकॉप्टर, 13 C-130 सुपर हरक्यूलिस और 11 C-17 ग्लोबमास्टर जैसे भारी भार उठाने वाले विमान भी भारतीय वायुसेना के बेड़े में शामिल हो चुके हैं, जो विशेष सैन्य अभियानों के लिए अत्यधिक प्रभावी साबित हो रहे हैं।

नौसेना: भारतीय नौसेना भी अमेरिकी हथियारों से सुसज्जित हो रही है। नौसेना के लिए जलाश्व “एंफीबियस ट्रांसपोर्ट डॉक”, 24 रोमियो हैलिकॉप्टर, और 12 P-8I एयरक्राफ्ट ने समुद्री सुरक्षा को एक नई दिशा दी है। इसके अतिरिक्त, अमेरिकी तकनीक से लैस एंटी-सबमरीन वॉरफेयर टॉरपीडो और हारपून एंटी-शिप मिसाइल, भारत की नौसेना को समुद्र में और भी सशक्त बना रहे हैं।

थलसेना: भारतीय थलसेना के लिए अमेरिकी हथियारों का योगदान भी बढ़ा है। 145 M-777 हॉवितसर और 1200 से अधिक गाइडेड आर्टिलरी शेल्स, थलसेना की मारक क्षमता में महत्वपूर्ण इजाफा कर रहे हैं। इसके अलावा, 31 MQ-9B ड्रोन और अपाचे हेलिकॉप्टर जैसी उच्च तकनीक वाली सैन्य प्रणाली, भारतीय थलसेना को परिष्कृत और अत्याधुनिक बनाने में मदद कर रही हैं।

तेजस और AMCA के लिए अमेरिकी इंजन

भारत और अमेरिका के बीच रक्षा सहयोग की एक और महत्वपूर्ण दिशा है, जिसका उदाहरण तेजस के लिए GE 414 इंजन की खरीद प्रक्रिया है। इस सहयोग से भारत को अत्याधुनिक लड़ाकू विमान विकसित करने में मदद मिलेगी, जो भारतीय वायुसेना की मारक क्षमता को और अधिक बढ़ाएंगे।

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