नई भारतीय न्याय संहिता का महत्व:
भारत में न्याय व्यवस्था को सरल और सुलभ बनाने के लिए विभिन्न संशोधन और सुधार किए गए हैं। 2023 में लागू की गई नई भारतीय न्याय संहिता (Indian Justice Code) के तहत, बिहार की ग्राम कचहरियों को 40 धाराओं के तहत सुनवाई का अधिकार दिया गया है। इनमें प्रमुख अपराधों से लेकर सामुदायिक विवादों तक की सुनवाई की जा सकेगी। भारतीय दंड संहिता (IPC) की पुरानी धाराओं को बदलकर अब नई धाराएं तैयार की गई हैं, जिनके तहत ग्राम कचहरियों में मुकदमे की सुनवाई की जाएगी।
ग्रामीण न्याय में सुधार:
अब तक ग्राम कचहरियों के सरपंच और पंचों को यह अधिकार नहीं था कि वे भारतीय न्याय संहिता के तहत मुकदमों की सुनवाई करें। लेकिन अब उन्हें यह नया दायित्व सौंपा गया है। पंचायती राज विभाग ने जिलाधिकारियों और जिला पंचायती राज अधिकारियों को यह निर्देश दिया है कि वे सरपंच और पंचों को नई संहिता के तहत जानकारी और प्रशिक्षण दें। इसके बावजूद, अभी तक कई ग्राम कचहरी में सरपंच और पंच भारतीय न्याय संहिता से पूरी तरह से अवगत नहीं हैं, जिससे यह एक बड़ा मुद्दा बन गया है।
नए अधिकार और दायित्व:
ग्राम कचहरियों को दो तरह की अधिकारिता दी गई है। पहले, ग्राम कचहरी में अपराध और विवादों का समाधान किया जाएगा। यह अधिकार अश्लील कार्य, गाने गाने, लौटरी कार्यालय चलाने, आपराधिक बल का प्रयोग करने और किसी व्यक्ति को गलत तरीके से रोकने जैसे अपराधों पर सुनवाई करने का होगा। इसके साथ ही, यह कचहरियां छोटे विवादों जैसे भूमि विवाद, घरेलू हिंसा, वाद-विवाद आदि पर भी फैसला सुनाएंगी।
न्यायपालिका की पहुंच में वृद्धि:
यह पहल बिहार के ग्रामीण क्षेत्रों में न्याय की पहुंच को बढ़ाएगी। पहले, ग्रामीणों को अपनी शिकायतों के लिए कोर्ट तक जाने में कठिनाइयां होती थीं, लेकिन अब ग्राम कचहरियों के जरिए उनका न्यायिक समाधान जल्दी हो सकेगा। इससे ग्रामीण क्षेत्रों में दवाब कम होगा और लोग बिना किसी डर के अपने मामलों को सामने ला सकेंगे।
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