बिहार में शिक्षकों का बड़ा फर्जीवाड़ा: कार्रवाई के आदेश

पटना। बिहार सरकार शिक्षा व्यवस्था को पारदर्शी और जवाबदेह बनाने के लिए लगातार डिजिटल उपायों को लागू कर रही है। लेकिन हाल ही में सामने आए एक बड़े खुलासे ने इन प्रयासों की जमीनी सच्चाई पर गंभीर प्रश्न खड़े कर दिए हैं। राज्य के कई जिलों के सरकारी विद्यालयों में शिक्षकों की उपस्थिति को लेकर बड़े पैमाने पर अनियमितता सामने आई है, जिसमें तकनीक का दुरुपयोग कर फर्जी हाजिरी दर्ज की गई।

कई जिलों से सामने आए मामले

शिक्षा विभाग के कंट्रोल एंड कमांड सेंटर को मिली रिपोर्टों के अनुसार बक्सर, छपरा, अरवल, जहानाबाद, शेखपुरा, नवादा, गया, किशनगंज, पूर्णिया, जमुई, मुंगेर, मधुबनी, पूर्वी और पश्चिमी चंपारण तथा दरभंगा जैसे जिलों में शिक्षकों की उपस्थिति में गड़बड़ी पाई गई। जांच में सामने आया कि सैकड़ों शिक्षक मोबाइल एप के माध्यम से वास्तविक उपस्थिति के बिना ही हाजिरी दर्ज कर रहे थे।

ई-शिक्षा कोष पोर्टल का दुरुपयोग

जांच से यह भी स्पष्ट हुआ कि शिक्षकों ने ई-शिक्षा कोष पोर्टल की तकनीकी कमजोरियों का लाभ उठाया। कई मामलों में शिक्षक विद्यालय आए बिना ही व्हाट्सएप के माध्यम से पुरानी या एक ही फोटो भेजते थे, जिसे प्रधानाध्यापक विद्यालय की आईडी से अपलोड कर देते थे। इससे यह संकेत मिलता है कि इस फर्जीवाड़े में केवल शिक्षक ही नहीं, बल्कि कुछ विद्यालय प्रमुख और कर्मचारी भी शामिल थे।

एक फोटो, कई दिनों की उपस्थिति

कुछ मामलों में तो स्थिति और भी चौंकाने वाली रही। एक ही फोटो को कई तिथियों पर आगमन और प्रस्थान के रूप में अपलोड किया गया, जबकि कई दिनों में प्रस्थान की तस्वीर दर्ज ही नहीं थी। इस तरह की लापरवाही और मिलीभगत ने डिजिटल निगरानी व्यवस्था की विश्वसनीयता पर सवाल खड़े कर दिए हैं।

विभाग की सख्ती और कार्रवाई के संकेत

मामले के उजागर होने के बाद शिक्षा विभाग ने सभी जिला शिक्षा अधिकारियों को निर्देश दिया है कि दोषी शिक्षकों और जिम्मेदार अधिकारियों के खिलाफ कठोर विभागीय कार्रवाई की जाए। साथ ही यह भी कहा गया है कि पोर्टल की तकनीकी खामियों को जल्द से जल्द दूर किया जाएगा ताकि भविष्य में इस तरह की अनियमितताओं की गुंजाइश न रहे।

शिक्षा व्यवस्था के लिए गंभीर चेतावनी

यह मामला केवल उपस्थिति फर्जीवाड़े तक सीमित नहीं है, बल्कि यह पूरे सरकारी शिक्षा तंत्र की जवाबदेही और निगरानी प्रणाली पर गंभीर सवाल खड़ा करता है। यदि शिक्षक ही नियमों का पालन नहीं करेंगे और प्रशासनिक स्तर पर मिलीभगत होगी, तो शिक्षा की गुणवत्ता पर इसका सीधा असर पड़ेगा।

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