पैतृक संपत्ति को बेचने के ये हैं 7 कानूनी प्रावधान

नई दिल्ली: पैतृक संपत्ति से तात्पर्य उन संपत्तियों से है जो परिवार के पूर्वजों से विरासत में मिलती हैं। यह संपत्ति परिवार की संपत्ति होती है। इस संपत्ति पर किसी व्यक्ति का जन्म से ही अधिकार सुनिश्चित होगा। हालांकि इस संपत्ति को बेचने के लिए कई तरह के कानूनी प्रवधान किये गए हैं।

पैतृक संपत्ति को बेचने के ये हैं 7 कानूनी प्रावधान

1 .संपत्ति के मालिकाना हक की पहचान: पैतृक संपत्ति बेचने के लिए यह सुनिश्चित करें कि संपत्ति पर आपके पास कानूनी अधिकार है। अगर संपत्ति पर अन्य वारिस हैं, तो उनके अधिकारों को भी ध्यान में रखना होगा।

2 .सहमति प्राप्त करना: यदि संपत्ति में अन्य वारिस भी हैं, तो उनके साथ सहमति लेना आवश्यक है। बिना सहमति के संपत्ति बेचना कानूनी विवाद का कारण बन सकता है।

3 .वसीयत या उत्तराधिकार पत्र: यदि दादा या पिता ने वसीयत बनाई है, तो उसका पालन करना होगा। यदि वसीयत नहीं है, तो उत्तराधिकार के आधार पर संपत्ति का बंटवारा होगा।

4 .कानूनी दस्तावेज़: संपत्ति की बिक्री के लिए सही कानूनी दस्तावेज़ तैयार करें, जिसमें बिक्री विलेख (Sale Deed) और अन्य संबंधित दस्तावेज़ शामिल हों।

5 .विवाद की स्थिति: यदि किसी अन्य वारिस या पक्ष से विवाद होता है, तो उसे सुलझाने के लिए कानूनी प्रक्रिया अपनानी पड़ सकती है।

6 .वारिस का अधिकार: हिंदू उत्तराधिकार अधिनियम के अनुसार, सभी कानूनी वारिसों को पैतृक संपत्ति में हिस्सा मिल सकता है। इसमें दादा, पिता, भाई, और पोते शामिल होते हैं।

7 .बंटवारा: यदि संपत्ति में कई वारिस हैं, जो संपत्ति बेचने या हस्तांतरित करने की सहमति नहीं दे रहा हैं तो आपको पहले बंटवारा करना होगा। फिर आप अपने हिस्से की संपत्ति बेच सकेंगे।

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