एक रिपोर्ट में मुताबिक ये देश मानते हैं कि भारत का वीटो पावर सुरक्षा परिषद में अधिक संतुलन और प्रभावी निर्णय लेने में मदद करेगा। इस समर्थन के साथ, भारत की संभावित स्थायी सदस्यता को और मजबूती मिली है, जो भारत के लिए एक महत्वपूर्ण कदम है।
बता दें की ब्रिटेन के पीएम कीर स्टार्मर ने सुरक्षा परिषद में भारत की स्थायी सदस्यता का खुलकर समर्थन किया हैं। वहीं, फ्रांस के राष्ट्रपति इमैनुअल मैंक्रों भी यूएन में दी अपनी स्पीच में भारत को वीटो पावर देने के लिए अपनी सहमति प्रदान कर दी हैं।
पिछले हफ्ते पीएम मोदी से मुलाकात के दौरान अमेरिकी राष्ट्रपति बाइडन ने भी भारत के लिए सुरक्षा परिषद में भारत की स्थायी सदस्यता का समर्थन किया था। वहीं, रूस पहले ही भारत के साथ हैं। लेकिन अब रास्ते में सिर्फ 'चीन की दीवार' ही बाधा है, जो भारत की दावेदारी के समर्थन में नहीं है।
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