ब्रेन मेमोरी की प्रकारें:
शॉर्ट-टर्म मेमोरी (Short-term memory): यह शॉर्ट-टर्म मेमोरी जानकारी को कुछ सेकंड से लेकर कुछ मिनटों तक बनाए रखती है।
लॉन्ग-टर्म मेमोरी (Long-term memory): यह जानकारी को दिनों, महीनों, या वर्षों तक संरक्षित रख सकती है। इसमें जिंदगी के अनुभव, ज्ञान और कौशल शामिल होते हैं।
मेमोरी की क्षमता:
भंडारण क्षमता: वैज्ञानिकों का मानना है कि मस्तिष्क लगभग 2.5 पेटाबाइट्स (या 1 पेटाबाइट = 1,000 टेराबाइट्स) डेटा को स्टोर कर सकता है। यह मानवीय ज्ञान और अनुभवों की विशाल मात्रा को दर्शाता है।
न्यूरोप्लास्टिसिटी: मस्तिष्क की संरचना नई जानकारी सीखने और याद रखने की क्षमता को बढ़ा सकती है। इसे न्यूरोप्लास्टिसिटी कहते हैं।
ब्रेन कैसे काम करता है:
तंत्रिका कोशिकाएँ (Neurons): मस्तिष्क में लाखों तंत्रिका कोशिकाएँ होती हैं, जो संवेग (signals) को प्रसारित करती हैं। ये कोशिकाएँ आपस में संवाद करती हैं और जानकारी का आदान-प्रदान करती हैं।
सिनैप्स (Synapses): तंत्रिका कोशिकाओं के बीच का अंतराल जहाँ जानकारी एक कोशिका से दूसरी कोशिका में जाती है। यह प्रक्रिया रासायनिक संदेशों के माध्यम से होती है।
इलेक्ट्रिकल एक्टिविटी: मस्तिष्क में गतिविधि इलेक्ट्रिकल सिग्नल के रूप में होती है, जो तंत्रिका कोशिकाओं के बीच संवाद को सक्षम बनाती है।
लर्निंग और मेमोरी: नए अनुभवों और जानकारी को याद रखने के लिए, मस्तिष्क संरचनाएँ बदलती हैं, जो कि न्यूरोप्लास्टिसिटी कहलाती है।
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