खबर के अनुसार सरकार के द्वार इस योजना की शुरुआत दक्षिणांचल विद्युत वितरण निगम और पूर्वांचल विद्युत वितरण निगम से होगी, और इन निगमों के प्रबंधन के पद पर निजी क्षेत्र की कंपनियों के प्रबंध निदेशक होंगे, जबकि कारपोरेशन का अध्यक्ष सरकार का प्रतिनिधि होगा।
बता दें की यह कदम सरकार के लिए जरूरी हो गया है, क्योंकि लगातार बढ़ता घाटा और बकाया वसूली की समस्या उसे गंभीर रूप से प्रभावित कर रही है। हालांकि सरकार के इस फैसले से ऊर्जा संगठनों में आक्रोश फैल गया है, और वे इसके विरोध में आंदोलन करने की योजना बना रहे हैं।
वहीं, सरकार का यह कहना है कि इस बदलाव से कर्मचारियों के हित सुरक्षित रहेंगे, और उन्हें पेंशन जैसी सुविधाएं प्रदान की जाएंगी। बैठक में यह सुझाव भी दिया गया कि जहां घाटा ज्यादा हो और सुधार के लिए अन्य उपाय कारगर न हो, वहां इस प्राइवेट पार्टनरशिप मॉडल को लागू किया जाएगा।
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