भारत अपना खुद का जेट इंजन क्यों नहीं बना पाया?

नई दिल्ली: जेट इंजन एक प्रकार का इंजन है जो हवा को खींचकर और उसे गर्म करके उच्च गति से बाहर फेंकता है, जिससे विमान को आगे बढ़ने की शक्ति मिलती है। इसे बनाने में जटिल टेक्नोलॉजी की आवश्यकता होता हैं। दुनिया में अभी तक अमेरिका, रूस, ब्रिटेन और फ्रांस ही जेट इंजन बनाते हैं। 

खबर के अनुसार भारत ने साल 1989 में कावेरी नाम का जेट इंजन विकसित करने की कोशिश की थी, लेकिन वह सफल नहीं रहा। इसके लिए कई कारण जिम्मेदार हो सकते हैं। दरअसल जेट इंजन बनाने में मैकेनिकल, मेटलर्जिकल, एरोस्पेस और इलेक्ट्रिकल जैसी इंजीनियरिंग क्षेत्र में विशेषज्ञता की जरूरत होती है। 

भारत अपना खुद का जेट इंजन क्यों नहीं बना पाया?

1 .शोध और निवेश: जेट इंजन विकास के लिए बड़े पैमाने पर अनुसंधान और विकास (R&D) में निवेश की आवश्यकता होती है। लेकिन भारत में इस क्षेत्र में निवेश अपेक्षाकृत कम रहा है।

2 .निर्माण की क्षमता: जेट इंजन के लिए आवश्यक निर्माण सुविधाएं और क्षमताएं विकसित करना भी एक चुनौती है। यह एक महंगा और समय-ग्रहण प्रक्रिया है।

3 .आंतरराष्ट्रीय प्रतिस्पर्धा: कई देशों में पहले से ही विकसित कंपनियाँ और टेक्नोलॉजी हैं, जैसे अमेरिका, रूस और यूरोप, जिनके साथ प्रतिस्पर्धा करना कठिन है।

4 .सरकारी नीतियाँ: सरकारी नीतियों में स्थिरता और दीर्घकालिक दृष्टिकोण की कमी भी एक कारण हो सकती है। क्यों की जेट इंजन विकास के लिए निरंतरता और समर्थन की आवश्यकता होती है।

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