पत्र में कहा गया है कि मुजफ्फरपुर, पटना, रोहतास, गोपालगंज, गया और कैमूर जिलों में सेना की भूमि पर अतिक्रमण किया गया है। वहीं, सेना के साथ-साथ राजस्व एवं भूमि सुधार विभाग के विशेष सचिव अरुण कुमार सिंह ने भी इन छह जिलों के समाहर्ताओं को एक पत्र भेजा है। इस पत्र में यह बताया गया है कि गलत म्यूटेशन (दाखिल-खारिज) के कारण अतिक्रमण और मुकदमेबाजी के मामले बढ़ गए हैं।
उन्होंने विभाग से अपील की है कि रक्षा भूमि के अभिलेखों का सही तरीके से रख-रखाव किया जाए, म्यूटेशन की प्रक्रिया सही ढंग से की जाए और अतिक्रमण की गई जमीन से कब्जा हटाया जाए। इसके साथ ही त्वरित कार्रवाई करने का भी निर्देश दिया गया है।
अतिक्रमण का विवरण:
मेजर जनरल के पत्र के अनुसार, बिहार के मुजफ्फरपुर जिले में 4.48 एकड़ पर बिहार सरकार और 4.88 एकड़ पर सिविलियन का कब्जा है। वहीं गया जिले में भारतीय विमानपत्तन प्राधिकरण को 344.39 एकड़ जमीन दी जाने का रिकॉर्ड नहीं मिला है। इसके अलावा गया में कुल 1052.150 एकड़ भूमि में से 1030.23 एकड़ सेना के पास है, जबकि 96.15 एकड़ भूमि को वन विभाग का कब्जा बताया गया है।
दानापुर कैंट क्षेत्र में 0.314 एकड़ जमीन पर बीएसएनएल का कब्जा है, मनेर में 0.227 एकड़ भूमि पर पीडब्ल्यूडी, कल्याण पदाधिकारी और धार्मिक स्थल का कब्जा है। नौसा में 19.88 एकड़ भूमि पर बिहार मिलिट्री पुलिस का कब्जा है। हथुआ में 10.003 एकड़ भूमि पर ग्रामीणों ने कब्जा कर रखा है, जबकि सासाराम में 10.06 एकड़ भूमि पर बीडीओ, ग्रामीण इंजीनियरिंग संगठन, पीडब्ल्यूडी आदि का कब्जा है। इसी जिले के सरवन में 6.36 एकड़ भूमि पर बिहार राज्य विद्युत बोर्ड (BSEB) का कब्जा बताया गया है। डेहरी आन सोन में 1.086 एकड़ भूमि पर बिहार पुलिस और सिविलियन का कब्जा है, और जहानाबाद में 18.96 एकड़ भूमि पर बिहार सरकार का अतिक्रमण है।
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