नए ट्रैक पर ड्राइविंग टेस्ट में चेहरे की पहचान करने वाला फेस डिटेक्टर, वाहन की गति और स्थिति पर निगरानी रखने वाला टेस्ट डिटेक्टर और 66 उच्च-तकनीकी कैमरे होंगे। इनकी निगरानी में चालक की ड्राइविंग क्षमता का मूल्यांकन किया जाएगा। यह प्रणाली सुनिश्चित करेगी कि केवल उन व्यक्तियों को लाइसेंस मिले जो सड़क सुरक्षा के सभी मानकों पर खरे उतरते हैं।
यह ट्रैक विशेष रूप से दुर्घटनाओं को कम करने और ड्राइविंग के मानक सुधारने के लिए सरकार की एक महत्वपूर्ण पहल है। पहले जहां ड्राइविंग लाइसेंस प्राप्त करने की प्रक्रिया कुछ आसान थी, वहीं अब इसे और कठिन बना दिया गया है ताकि केवल योग्य व्यक्ति ही वाहन चलाने का अधिकार प्राप्त कर सकें।
ट्रेनिंग सेंटर और टेस्ट प्रक्रिया
गाजीपुर के बिलाइच गांव के पास स्थित ट्रेनिंग सेंटर में इस हाईटेक टेस्ट ट्रैक का निर्माण किया गया है। यहाँ पर दोपहिया, चार पहिया और भारी वाहनों (हेवी व्हीकल्स) के चालकों का परीक्षण किया जाएगा। इस ट्रैक पर चालक को अपने वाहन की सटीकता और दक्षता साबित करनी होगी, इसके बाद ही उन्हें लाइसेंस जारी किया जाएगा। खासकर भारी वाहनों का ड्राइविंग टेस्ट अधिक सख्त होगा, ताकि सड़क सुरक्षा सुनिश्चित की जा सके।
बता दें की यह ट्रैक करीब दो एकड़ के क्षेत्रफल में फैला हुआ है, और इसे लेकर जिले में टेस्ट आयोजित करने की जिम्मेदारी तेज सिंह मोटर ट्रेनिंग स्कूल (एडीटीसी) को सौंपी गई है। 66 कैमरों की निगरानी में ड्राइविंग टेस्ट होगा, जिससे यह सुनिश्चित किया जाएगा कि कोई भी चालक किसी प्रकार की गलतियाँ या लापरवाही नहीं करे।
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